सियाचिन पर प्राण गंवाने वाले कैप्टन अंशुमन को जब मिला कीर्ति चक्र …

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अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ दिवंगत कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और मां

सेना में भर्ती हुए  जवान और अधिकारी ही देश के लिए जज्बा और बहादुरी नहीं दिखाते, उनका पूरा परिवार  यानि  मां – बाप , बीबी – बच्चों तक तमाम चुनौतियों को जीते हैं. वह चुनौतियां हमेशा रहती हैं जब – जब भी सैनिक किसी मोर्चे या मिशन पर  निकलते हैं. सैनिकों की तरफ से सामना किये जाए वाले हालात का अंदाजा काफी लोगों को रहता है या लोग कल्पना कर लेते हैं लेकिन सैनिक की शहादत के बाद उस परिवार पर जो बीतता है उसका अहसास आम लोगों को बहुत कम होता है. ऐसे में परिवार के सदस्य बेहद मुश्किल से खुद को संभाल पाते हैं . लेकिन कुछ पल ऐसे होते हैं जो शहीद फौजी के परिवार को हमेशा और बार बार भावुक कर देते है. यह उनके लिए हर दफा एक  अग्निपरीक्षा से गुजरने जैसा होता है.

राष्ट्रपति भवन में बीते शुक्रवार को अलंकरण समारोह में ऐसे पल उन कई परिवारों के सामने आए जब  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों व पुलिस कर्मियों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र के अलंकरणों से सम्मानित किया. ऐसा ही पल सियाचिन में शहीद हुए  कैप्टन अंशुमन सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किए जाने का था जब उनकी पत्नी स्मृति सिंह और मां राष्ट्रपति से  सम्मान लेने जा रहीं थीं. स्मृति और कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी को अभी 5 महीने भी नहीं हुए थे कि सियाचिन की दुर्घटना में  कैप्टन अंशुमन की जान जाने की खबर आ गई.

स्मृति और कैप्टन अंशुमन सिंह की मां जब  राष्ट्रपति मुर्मू की तरफ  बढ़ रहीं थी तब समारोह में कुर्सियों पर बैठे कई लोग उन्हें देखकर विचलित भी हो रहे थे .  और तो और उनको एक  नजर देखते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी ही सख्ती से अपनी भावनाओं को काबू करते दिखे. वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह थोड़े विचलित हुए बिना न रह सके.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तो कैप्टन अंशुमन सिंह की पत्नी को देखकर एक मां की तरह भावुक नजर आईं. वह उनके कंधे पर हाथ रखकर सांत्वना दे रहीं थीं और  जता रहीं थी . इस मंजर को देखकर सभी नम आंखों से ताली बजाने लगे. इतनी छोटी सी उम्र में स्मृति सिंह ने देश के लिए अपने पति को खो दिया. फिर भी वह खुद को संभाले हुए रहीं. अपने पति के मान-सम्मान और बहादुरी के सम्मान के लिए वह अपने आंसुओं को हिमालय जैसी बड़ी इच्छाशक्ति से रोके रहीं.

सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी व उनकी पत्नी के साथ स्मृति सिंह

अलंकरण  समारोह के बाद, दिल को छू लेने वाले एक  वीडियो साक्षात्कार में, स्मृति सिंह ने अपने दिवंगत पति के साथ अपनी प्रेम कहानी को याद किया.  स्मृति ने कॉलेज में अपने दिवंगत पति से पहली बार मिलने को याद करते हुए कहा, “यह पहली नजर का प्यार था.” वह बोलीं ,  “हम कॉलेज के पहले दिन मिले थे. मैं नाटकीयता से नहीं कह रही  लेकिन यह पहली नजर का प्यार था.  एक महीने के बाद, उनका चयन सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (armed forces medical college – AFMC) के लिए हो गया… हम एक इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले, और उनका दाखिला  एक मेडिकल कॉलेज में हो गया,”

पेशे से इंजीनियर स्मृति सिंह ( smriti singh ) दिल्ली के पास नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं . वो बताती हैं कि हादसे से एक दिन पहले उनकी और कैप्टन अंशुमन के बीच लम्बी बातचीत हुई थी जिसमें उन्होंने एक दूसरे के साथ आने वाले बरसों में भविष्य के लिए संजोए सपनों को साकार करने के प्लान बनाए थे. अचानक अगले ही दिन अंशुमन की मृत्यु की सूचना  आना तो लाज़मी तौर ना काबिले यकीन था.

कैप्टन अंशुमन सिंह:
कैप्टन अंशुमन सिंह उत्तर प्रदेश के  देवरिया के रहने वाले थे और  ऑपरेशन मेघदूत के तहत, 17 हज़ार फीट की उंचाई  पर  सियाचिन ग्लेशियर ( siachen glacier ) में चिकित्सा अधिकारी के रूप में वह तैनात थे.

सियाचिन में हादसा : 

19 जुलाई 2023 को सियाचिन ग्लेशियर के चंदन ड्रॉपिंग जोन में ज़बरदस्त आग लगने से  नजदीकी फाइबर ग्लास हट लोग फंस गए . उनकी जान पर बन आई  देखकर कैप्टन अंशुमन सिंह  खुद को रोक नहीं सके और उन्हें बचाने की मदद की. हालांकि वह एक चिकित्सा अधिकारी थे. मगर उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की.

इसी दौरान मेडिकल इन्वेस्टिगेशन शेल्टर  ( medical investigation centre ) में आग लगा देख वह उसमें कूद पड़े ताकि जीवन रक्षक दवाइयों और उपकरणों को बचाया जा सके. तेज हवा के कारण पूरे शेल्टर को आग ने अपनी चपेट में ले लिया  और कैप्टन अंशुमन देश के लिए फर्ज़ निभाते  शहीद हो गए. कैप्टन अंशुमन सिंह के अदम्य साहस और देशभक्ति को देखते हुए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.