भारतीय पुलिस सेवा के 1985 (महाराष्ट्र कैडर) के अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल ने मुम्बई के पुलिस कमिश्नर का ओहदा सम्भाल लिया है. उन्होंने अपने से वरिष्ठ IPS दत्ता पडसाल्गिकर से शनिवार को चार्ज लिया. श्री पडसाल्गिकर को सतीश माथुर की जगह महाराष्ट्र का पुलिस महानिदेशक बनाया गया है. श्री माथुर शनिवार का ही रिटायर हुए हैं.
श्री जायसवाल भारत सरकार की ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस (रॉ-RAW ) में तैनात थे. पुलिस कमिश्नर बनने के बाद श्री जायसवाल ने मुम्बई जैसी ऐतिहासिक पुलिस फ़ोर्स की अगुआई का मौका देने पर सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा कि पूर्व पुलिस आयुक्तों के कार्यक्रमों की लीक पर चलते हुए काम को और बेहतर करने की उनकी कोशिश होगी. उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि पुलिस के मुख्य काम और मकसद उनकी प्राथमिकतायें हैं जिनमें कोई बदलाव नहीं होगा.
गढ़चिरौली में पुलिस अधीक्षक से पहले वो उस्मानाबाद और औरंगाबाद में एएसपी रहे हैं. इसके बाद वह मुम्बई में अतिरिक्त कमिश्नर (Additional Commissioner) भी रहे. 2006 भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रमोद महाजन की हत्या के मामले की जांच उन्हीं की देखरेख में की गई थी. वह महाराष्ट्र पुलिस के आतंकरोधी दस्ते (ATS) में डीआईजी भी रहे. मालेगाँव बम धमाके केस की जांच भी उन्होंने की थी. इसके अलावा श्री जायसवाल उस विशेष जांच दल (SIT) का भी हिस्सा थे जिसने चर्चित अब्दुल करीम तेलगी घोटाले की जांच की थी.
श्री जायसवाल का कार्यकाल 2022 तक है लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं कि वह कब तक मुम्बई पुलिस कमिश्नर के ओहदे पर रहेंगे. दरअसल महाराष्ट्र पुलिस के प्रमुख बनाये गये श्री पडसाल्गिकर के बाद श्री जायसवाल राज्य में दूसरे नम्बर पर सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं. श्री पडसाल्गिकर 31 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ध्यान में रखा जाये, जिसमें पुलिस महानिदेशक/प्रमुख को नियुक्त किये जाने के बाद उसका कार्यकाल कम से कम दो साल रखने को कहा गया है तो श्री पडसाल्गिकर इसी पद पर बने रहेंगे और ऐसे में श्री जायसवाल भी कमिश्नर रहेंगे. अगर पडसाल्गिकर का कार्यकाल नहीं बढ़ेगा तो उनकी जगह जायसवाल महाराष्ट्र पुलिस के महानिदेशक बनाये जा सकते हैं.
गर्मजोशी से विदाई
1982 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी श्री पडसाल्गिकर को सारा दिन बधाई देने के लिए मुम्बई पुलिस मुख्यालय में उनके मातहतों के आने का सिलसिला चलता रहा. अधिकारी उन्हें प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक नेतृत्व के लिए धन्यवाद दे रहे थे. असल में उनकी छवि एक ऐसे अफसर की है जो अपने मातहतों को उनके अच्छे काम श्रेय और पुरस्कार देता है और जो फ़ोर्स की बेहतरी के प्रति संवेदनशील है.
तरक्की पसंद अधिकारी
उन्होंने तरक्की पसंद मुखिया के तौर पर भी अपनी छवि बनाई है क्यूंकि उनके कार्यकाल में पुलिसकर्मियों के कामकाज के हालात बेहतर हुए. पुलिस के काम में डिजिटल स्वरुप अपनाया गया, सूचनाओं को साझा करने के लिए अंदरूनी सरवर का इस्तेमाल हुआ जिससे पुलिस नोटिस के रोजाना हजारों पन्ने छापे जाने का सिलसिला बंद हुआ.
इसके अलावा पुलिस की मैसेजिंग ऐप की शुरुआत और सेवारत पुलिसकर्मियों का आनलाइन डेटा बेस प्रोफाइल भी उनके कार्यकाल के दौरान हुआ. श्री पडसाल्गिकर कई अहम ओहदों पर रह चुके हैं जिनमें दो बार इंटेलिजेंस ब्यूरो में और तीन साल के लिए डेप्युटेशन पर वाशिंगटन में उनकी तैनाती ख़ास है.
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