कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला सैनिक अधिकारी बनी

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कैप्टन शिवा चौहान
कैप्टन शिवा चौहान

भारतीय सेना की कैप्टन शिवा चौहान दुनिया के सबसे ऊंचे जंग के मैदान में, ऑपरेशनल कार्य के लिए, तैनात की जाने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं. हमेशा बर्फ से ढके रहने वाले सियाचिन के इस जंगी मैदान में सोमवार 2 जनवरी को तैनाती से पहले उनको कई दिन की खासी मशक्कत और कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा. कैप्टन शिवा चौहान भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर से हैं. इसी कोर के ट्विटर हैंडल से उनकी तस्वीरें जारी की गई हैं.

यूं तो सियाचिन को मैदान कहना ही गलत है क्यूंकि ये एक ग्लेशियर है जहां मई जून के महीने में भी -20 या उससे भी कम डिग्री तापमान रहता है. वैसे कैप्टन शिवा की तैनाती यहां की कुमार चौकी पर हुई है. इस स्थान की ऊंचाई समुद्र तल से 15600 फुट है. कैप्टन शिवा की ये तैनाती 3 महीने के लिए की गई है. उनको कॉम्बैट इंजीनियरिंग ( combat engineering) से जुड़े हुए काम सौंपे गए हैं जो उनको पूरे करने हैं.

कैप्टन शिवा चौहान
कैप्टन शिवा चौहान

कैप्टन शिवा को जो ट्रेनिंग दी गई है उसमें शारीरिक ताकत और क्षमता का विकास करना, बर्फ की दीवार पर चढ़ना और बर्फीले तूफ़ान का सामना करना, राहत कार्य करना और मुश्किल से मुश्किल हालात में जीवन को बचाकर रखना शामिल है. उनको इसके लिए खासतौर से सियाचिन बैटल स्कूल (siachen battle school) में प्रशिक्षित किया गया. हालांकि इससे पहले भी सियाचिन महिला फौजी अफसर सियाचिन में तैनात की गई थीं लेकिन वो तैनाती बेस कैंप पर थी जो कि 9000 फुट की ऊंचाई पर है. लेकिन ये उनकी यूनिट के साथ नियमित तैनाती हुआ करती थी.

सियाचिन ग्लेशियर (siachen glacier) हिमालय की काराकोरम रेंज ( karakoram range) का एक ग्लेशियर है जिसकी ऊंचाई तकरीबन 20 हज़ार फुट है. भारत के लिए सामरिक रूप से यह बेहद महत्वपूर्ण है वहीं किसी भी सैनिक के लिए यहां तैनाती का अनुभव उसके सबसे मुश्किल व चुनौतीपूर्ण काम में गिना जाता है. यहां सबसे ज्यादा जोखिम एक तरफ मौसम है वहीँ बर्फीले तूफान यहां उससे भी बड़ा खतरा पैदा करते हैं. जहां जिंदा रहना ही बड़ी उपलब्धि हो वहां पर युद्ध लड़ना कितनी बड़ी उपलब्धि हो सकती है इसका अंदाज़ सैनिक को ही सकता है.