केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा की जगह पिछले साल अंतरिम निदेशक बनाये गये सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी एम. नागेश्वर राव को फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड विभाग के महानिदेशक के ओहदे पर नियुक्त किया गया है. ये वही ओहदा है जो सीबीआई से हटाये जाने के बाद आलोक वर्मा को दिया गया था लेकिन आलोक वर्मा ने इसे अस्वीकार कर दिया था.
भारतीय पुलिस सेवा के 1986 बैच के ओडिशा कैडर के अधिकारी नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर दो बार नियुक्ति हुई थी. वह सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक थे लेकिन सरकार ने वहां पर उनके कार्यकाल में कटौती करते हुए नए नियुक्ति आदेश जारी किये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके कार्यकाल में कटौती का फैसला लिया जिसके बाद गृह मंत्रालय ने उनकी नई नियुक्ति का आदेश जारी किया.
सीबीआई में अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अक्टूबर में अंतरिम निदेशक बनाया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई अहम फैसला करने से रोक दिया था. इसके बाद जब एम. नागेश्वर राव ने जनवरी में सीबीआई अधिकारियों के तबादले कर दिए तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी माना. इस पर राव ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी लेकिन कोर्ट ने उन्हें सजा के तौर पर दिन भर कोर्ट में बैठने और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
एम. नागेश्वर राव 7 अप्रैल 2016 को सीबीआई में बतौर संयुक्त निदेशक (ज्वाइंट डायरेक्टर) आने से पहले ओडिशा पुलिस में अतिरिक्त महानिदेशक थे. भारत सरकार की कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने अंतरिम के तौर पर उनको 23 अक्टूबर 2018 को सीबीआई के निदेशक के ओहदे के सभी काम करने की मंजूरी प्रदान की. 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने, आलोक वर्मा-राकेश अस्थाना मामले के विवाद से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये आदेशों में, एम. नागेश्वर राव के कार्य क्षेत्र को भी फिलहाल सीमित रखा. उन्हें कोई भी नीतिगत फैसला न लेने की हिदायत दी गई और 23 अक्टूबर के बाद लिए गये उनके फैसले का ब्योरा भी मंगवाया गया.
तेलंगाना के वारंगल जिले के मंगेपेट गाँव के मूल रूप से रहने वाले एम. नागेश्वर राव विज्ञान के छात्र रहे हैं. उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुऐशन) किया और आईपीएस बनने से पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आई आई टी – मद्रास) में रिसर्च कर रहे थे.
आईपीएस बनने के बाद एम नागेश्वर राव ने तरह तरह के पद पर कई तरह के काम किये जिनकी वजह से वह पुलिस के साथियों और प्रशासन में लोकप्रिय और चर्चित भी रहे. वो चार जिलों मयूरभंज, नबरंगपुर, बरगढ़ और जगतसिंह पुर में पुलिस अधीक्षक (एसपी) रहे. राउरकेला में एसपी (रेलवे) और कटक में एसपी (क्राइम) भी तैनात रहे. वह उन अधिकारियों में गिने जाते हैं जो कुछ नया करने में नहीं हिचकते.
माना जाता है कि पुलिस जांच में डीएनए फिंगर प्रिंट तकनीक का इस्तेमाल करने वाले वह पहले पुलिस अधिकारी हैं. उन्होंने 1996 में जगतसिंह पुर में बलात्कार के एक केस में इस तकनीक का इस्तेमाल किया था और उस केस में दोषी को सात साल की सजा भी हुई थी.
आपदाओं के समय में, किये गये उनके काम को लोग याद करते हैं. तूफ़ान फैलिन और हुदहुद के समय आपदा प्रबन्धन में खास भूमिका निभाने पर राज्य सरकार ने उन्हें अवार्ड भी दिया था और 5 लाख की पुरस्कार राशि भी भेंट की थी. आईपीएस एम नागेश्वर राव ओडिशा फायर और होम गार्ड्स के प्रमुख भी रहे.
एम नागेश्वर राव ने केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल में उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर काम भी काम किया. उनकी तैनाती पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में थी. 2008 में सीआरपीएफ के ईस्टर्न सेक्टर, कोलकाता में बतौर महानिरीक्षक (आई जी) उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ खुद लालगढ़ आपरेशन का नेतृत्व किया था. ओडिशा के सम्बलपुर में सीआरपीएफ की कोबरा (CoBRA) बटालियन और दूसरा ग्रुप सेंटर बनाने में भी उनकी भूमिका रही. 2008 में कंधमाल में हुए दंगों को काबू करके स्थिति बहाल करने में भी उनकी अहम भूमिका की सीआरपीएफ में चर्चा रही.
ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव को राष्ट्रपति के विशिष्ट सेवा मेडल और राष्ट्रपति के उत्कृष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. इन्हें स्पेशल ड्यूटी मेडल से भी नवाज़ा जा चुका है.