कई अहम ऑपरेशंस का हिस्सा रहे भारतीय सेना के मेजर जनरल एके ढींगरा को आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशंस (एएफएसओ-AFSO) डिवीज़न का पहला कमांडर नियुक्त किया गया है. सेना की इस डिवीज़न में तीनों अंगों के कमांडो होंगे. आतंकवाद विरोधी और इसी तरह के खतरनाक ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए गठित इस डिवीज़न में थल सेना की पैराशूट रेजिमेंट, नौसेना के मार्कोस और वायु सेना की गरुड कमाडो इकाई को शामिल किया गया है. ये भी कहा जा सकता है कि ये डिवीज़न भारत के सर्वश्रेष्ठ जांबाज कमांडो इकाइयों का ऐसा मिश्रण है जो समुद्र की गहराइयों से लेकर आकाश की असीमित ऊँचाइयों तक, कहीं भी अपने दम पर हर किस्म के आपरेशन करने की क्षमता रखता है.
भारत की सेना के तीनों अंगों ने थल, जल और नभ में पहले भी संयुक्त रूप से काम किया है लेकिन ये पहला मौका है जब तीनों सेनायें एक ही कमांड और नियंत्रण के तहत काम करेंगी. माना जा रहा है कि इससे काम करने में न सिर्फ गति बढ़ेगी बल्कि तालमेल भी बेहतर होगा. साथ ही ट्रेनिंग के खर्च में भी कमी आएगी. ये डिवीज़न देश ही नहीं विदेशी धरती पर भी कार्रवाई करने की ताकत रखती है.
सरकार ने इस डिवीज़न के गठन को पिछले साल मंजूरी दी थी. इसके साथ ही फैसला लिया गया था डिफेन्स साइबर एजेंसी भी बनाई जाये जिसकी ज़िम्मेदारी रियर एडमिरल मोहित गुप्ता को दी जा चुकी है. थल और नौसेना के अधिकारियों की कमांड के तहत बनी इन दो इकाइयों की तरह भारत में एक स्पेस एजेंसी भी बनाने का निर्णय लिया गया था और इसकी कमान वायु सेना के अधिकारी को सौंपी जानी है.
मेजर जनरल एके ढींगरा खुद भी कमांडो हैं और पैराशूट रेजिमेंट की पहली बटालियन का हिस्सा रहे हैं. वे श्रीलंका में भारतीय सेना के आपरेशन में शामिल रहे हैं. मेजर जनरल ढींगरा ने अमेरिका में विशेष आपरेशंस का कोर्स किया था. भारतीय शान्ति सेना में शामिल रहे श्री ढींगरा ने श्रीलंका में दुश्मन से बिलकुल नज़दीक के युद्ध का अनुभव लिया था.