विवाद में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा ने यूपी में हाई कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली

8
जस्टिस यशवंत वर्मा
दिल्ली से वापस उत्तर प्रदेश भेजे गए जस्टिस यशवंत वर्मा ने आज ( 5 अप्रैल, 2025 ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित घर में बेहिसाब पैसा पडा मिला था जब वहां लगी आग बुझाने में  के लिए दिल्ली अग्निशमन के कर्मचारी पहुंचे . काफी बड़ी इस रकम की मिलकियत को लेकर अभी जांच चल ही रही है .

इस विवाद के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले का उत्तर प्रदेश में  वकील संगठनों  ने कड़ा विरोध किया.  हालांकि, केंद्र सरकार ने 28 मार्च को स्थानांतरण को मंजूरी दे दी थी . इलाहाबाद और लखनऊ बार एसोसिएशन के विरोध के बावजूद,जस्टिस वर्मा ने शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.

वैसे भारत के मुख्य न्यायाधीश ( chief justice of india ) संजीव खन्ना ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा है कि वे जस्टिस  वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें. जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से बरामद नकदी की आंतरिक जांच अभी पूरी नहीं हुई है.

यह सारा विवाद तब शुरू हुआ जब 14 मार्च की शाम को जस्टिस वर्मा के घर में आग लग गई.  आग बुझाने वाले कर्मचारियों ने अनजाने में बड़ी संख्या में नकदी बरामद की. इसका वीडियो भी वायरल हो गया . उस वक्त  जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे . वे मध्य प्रदेश में यात्रा कर रहे थे. आग लगने के समय घर पर सिर्फ जस्टिस वर्मा की बेटी और वृद्ध मां ही थीं.

नकदी की बरामदगी ने जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और यहां तक कि उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग भी उठी. 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव  खन्ना ने मामले की आंतरिक जांच शुरू की और  हाईकोर्ट के तीन जजों को जांच करने की ज़िम्मेदारी सौंपी .

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने घटना पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट भी प्रकाशित की, साथ ही जस्टिस वर्मा का जवाब भी. जस्टिस वर्मा ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि उन्हें फंसाने की साजिश हो सकती है.

वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनके तबादले की खबर आने  के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया था. हालाँकि, 29 मार्च को हड़ताल स्थगित कर दी गई, जिसके एक दिन बाद मुख्य न्यायाधीश ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे न्यायमूर्ति वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक कार्य न सौंपें.