केजरीवाल के बैचमेट गौरव यादव पंजाब पुलिस के कार्यकारी प्रमुख, डीजीपी भावरा छुट्टी पर

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IPS Gaurav Yadav
गौरव यादव ने पंजाब के कार्यकारी पुलिस महानिदेशक का पदभार संभाला.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी गौरव यादव (IPS Gaurav Yadav)  को पंजाब के कार्यकारी पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त काम सौंपा गया है. 1992 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस गौरव यादव वर्तमान में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में प्रमुख सचिव हैं और पुलिस, क़ानून व व्यवस्था व इंटेलिजेंस मामलों में मुख्य सलाहकार का काम करते हैं. गौरव यादव को वर्तमान पंजाब पुलिस प्रमुख वीरेश कुमार भावरा के मंगलवार से दो महीने की छुट्टी पर जाने के कारण, काम चलाने के लिए, ये जिम्मेदारी दी गई है. माना जा रहा है कि कालांतर में अंतत गौरव यादव को ही पूर्ण रूप से पंजाब पुलिस की कमान सौंप दी जाएगी.

पंजाब पुलिस के कार्यकारी महानिदेशक बनाए गए आईपीएस गौरव यादव के बारे में दो दिलचस्प जानकारियां हैं. पहली ये कि गौरव यादव उन रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी पीसी डोगरा के दामाद हैं जो पंजाब के पुलिस महानिदेशक रहे हैं. दूसरा, गौरव यादव सिविल सर्विस परीक्षा पास करके जिस बैच का हिस्सा बने उसी बैच में, पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP ) के मुखिया, अरविन्द केजरीवाल भी थे. फर्क ये था कि गौरव यादव आईपीएस और केजरीवाल आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) के अधिकारी बने.

गौरव यादव को कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने सम्बंधी आदेश सोमवार देर रात जारी किये गए थे. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के निवासी आईपीएस गौरव यादव उन चार अधिकारियों में से एक हैं जिनको पिछले महीने ही डीजीपी रैंक पर तरक्की मिली थी.

पंजाब पुलिस के महानिदेशक वीके भावरा के छुट्टी पर जाने के पीछे राज्य में कानून व्यवस्था के हालात को लेकर उठे सवालों के कारण मुख्यमंत्री भगवंत मान की नाराज़गी को कारण के तौर पर देखा जा रहा है. हाल के वर्षों में पंजाबी गायकों में से सबसे लोकप्रिय सिद्धू मूसेवाला की हत्या होना और इसी दौरान संगरूर लोक सभा सीट पर उपचुनाव में क़ानून व्यवस्था का मुद्दा बनना इस नाराजगी की ख़ास वजह कही जा रही है.

वैसे पंजाब पुलिस महानिदेशक की कुर्सी के दावेदारों के तौर पर गौरव यादव से वरिष्ठ पांच अधिकारी और हैं. इनमें से एक 1987 बैच के हैं तो दो 1988 और दो ही अधिकारी 1989 बैच के हैं. पांच में से एक को अगस्त में रिटायर होना है और दो केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं. वर्तमान तौर तरीके के हिसाब से राज्य सरकार 6 महीने के अरसे के लिए किसी अधिकारी को कार्यकारी पुलिस चीफ बना सकती है. इस दौरान उसे केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को डीजीपी ओहदे ले पात्र अधिकारियों की लिस्ट भेजनी होती है. उन्हीं में से तीन नाम चुनकर राज्य सरकार को भेजे जाते हैं. राज्य सरकार उनमें से किसी को भी पुलिस महानिदेशक बनाती है.