गोल्फर दीक्षा डागर ने एक बार फिर भारतीय सैनिक परिवार और देश का नाम रोशन किया है. दीक्षा ने चेक लेडीज़ ओपन का खिताब अपने नाम कर लिया. यह लेडीज़ यूरोपीय टूर (एल ई टी ) पर उनका दूसरा खिताब है . 22 वर्षीय दीक्षा भारतीय सेना के पूर्व कर्नल नरेंद्र डागर की बेटी है लेकिन सुनने में अक्षम हैं . दीक्षा ओलंपिक और डिफलिम्पिक्स ( deaflympics) में हिस्सा लेने वाली एकमात्र महिला गोल्फर हैं . दीक्षा दिल्ली स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल की छात्रा रही हैं .
आर्मी वाईव्स वेलफेयर एसोसिएशन ( awwa) ने दीक्षा डागर की शानदार जीत पर बधाई देते हुए उनकी तस्वीरें ट्वीट की हैं . 14 दिसंबर 2000 को जन्मी दीक्षा क्योंकि सुनने में अक्षम थी इसलिए 6 साल की उम्र में उन्होंने सुनने वाली मशीन लगानी शुरू कर दी थी. बचपन में मात्र 7 साल की उम्र में ही दीक्षा अपने भाई योगेश डागर के साथ गोल्फ खेलने आगी थी. उनके पिता कर्नल नरेंद्र डागर ने कोचिंग देनी शुरू की जोकि एक पूर्व स्क्रैच गोल्फर थे और सेना में सेवारत थे.
लेफ्ट हैंड गोल्फर दीक्षा (left hand player ) का एल ई टी (let) में यह 79 वां मुकाबला था. वह अब तक दो बार चैम्पियन रही है और 9 बार शीर्ष 10 में रह चुकी हैं . 5 फुट साढ़े 8 इंच कद वाली दीक्षा ने पेशेवर करियर के शुरूआती साल यानि 2019 में ही एल ई टी का पहला खिताब जीता था. इस तरह दीक्षा 18 साल की उम्र में लेडीज यूरोपियन टूर खिताब जीतने वाली भारत की सबसे कम उम्र की महिला भी बन गईं. इससे पहले दीक्षा डागर ने 2018 एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी योग्यता हासिल की.
दीक्षा डागर सर्बियाई टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच के अलावा अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स को अपना प्रेरणादायक रोल मॉडल मानती है. भारतीय गोल्फ संघ ने 2020 में दीक्षा को अर्जुन पुरस्कार के लिए उम्मीदवार के तौर पर नामित भी किया.