नैनीताल में बढ़ती आबादी और सैलानियों की तादाद में साल दर साल हो रही बढ़ोतरी से पानी की खपत भी बढ़ रही है. नैनीताल में घरेलू और होटलों आदि में पानी की सप्लाई का स्त्रोत नैनी झील ही है. जल्द ही इसके जलस्तर में सुधार न आया तो इससे पानी की सप्लाई के सुचारू रहने में मुश्किल होगी. वर्षा पर निर्भर नैनी झील में पानी ऊंचाई वाले क्षेत्रों से बहते बरसाती नालों और भूमिगत चश्मों से आता है. लगातार बढ़ते शहरीकरण के दबाव के फल स्वरुप घटते वन क्षेत्र , भवन व सडकों आदि जैसे निर्माण कार्य और कंक्रीट का ज्यादा इस्तेमाल जल स्त्रोतों के रिचार्ज होने की प्रक्रिया व क्षमता को प्रभावित करता है जोकि नैनीताल के मामले में भी देखा जा रहा है .
वैसे नैनी झील का जल स्तर पूर्व में घटता बढ़ता रहा है. छह साल पहले यानि महामारी कोविड संक्रमण काल में जहां 2020 में यह 6 फुट 10 इंच था वहीं 2021 में घटकर 4 फुट 4 इंच हो गया जबकि 2022 नैनी झील का पानी बढ़ा और जल स्तर 7 फुट 9 इंच पहुंच गया. लेकिन उसके बाद से जल स्तर का ग्राफ अचानक नीचे आया जो साढ़े चार फुट के आसपास से पौने पांच फुट के बीच ही रहा. इस बार तो यह पिछले साल के मुकाबले दो इंच और घट गया. 22 मार्च को नैनी झील का जल स्तर 4 फुट 5 इंच के निचले ग्राफ तक पहुंच गया .
सिंचाई विभाग का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो 15 अप्रैल तक इंतज़ार किया जाएगा. इसके बाद पेय जल संस्थान को झील से पानी की सप्लाई कम करने का आदेश दिया जाएगा. यह सप्लाई तब नियंत्रित करके 8 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की जाएगी. वैसे उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल तक नैनी झील में पानी का लेवल बढ़ेगा.
मैदानी इलाकों में अप्रैल में गर्मी पड़ने के साथ ही सैलानी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की तरफ रुख करते हैं लेकिन नैनीताल में मई और जून पर्यटन के लिहाज़ से पीक सीजन होता है.