पुलिस और सेना की तरह वन रक्षकों को उत्तराखंड में सम्मान व पदक देने का मुद्दा उठा

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प्रतीकात्मक फोटो
उत्तराखंड के वन विभाग में भी सेना , पुलिस और ऐसे विभिन्न बलों  की तर्ज पर सेवा पदक सम्मान प्रदान करने  की शुरुआत की होने की संभावना है . भारतीय वन सेवा संघ के सम्मेलन में इससे संबंधित मांग वाले प्रस्ताव पर उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल के  सकारात्मक रुख से ऐसे संकेत मिले हैं .
वहीं  जंगलात और वन्यजीवों की सुरक्षा कर रहे फील्डकर्मियों के लिए उसी तरह से ‘फ़ॉरेस्ट लाइंस ‘ (forest lines ) बनाने पुलिस लाइन की तर्ज पर फारेस्ट लाइन का निर्माण करना भी इन प्रस्तावों में शामिल है .

भारतीय वन सेवा संघ ( उत्तराखंड) का  वार्षिक सम्मेलन शनिवार को  राजपुर रोड पर  वन मुख्यालय स्थित मंथन सभागार में शुरू हुआ . इसमें  वन मंत्री सुबोध उनियाल ने  मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की.  प्रमुख वन संरक्षक डा. धनंजय मोहन , संघ के अध्यक्ष कपिल लाल समेत  वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी व भारतीय वन सेवा के अधिकारी यहां उपस्थित रहे.

सम्मेलन के पहले दिन वन संपदा के संरक्षण , पर्यावरण आदि मुद्दों पर चर्चा हुई . इस अवसर पर जो प्रस्ताव रखे गए उनमें वन्यजीवों के हमले में जान  गंवाने वाले वन कर्मियों को वन शहीद का दर्जा देने और उसके आश्रितों  को 25 लाख रुपये की धनराशि आर्थिक सहायता के तौर पर देने की मांग शामिल है . उत्कृष्ट कार्य करने वाले वन कर्मी  को पुरस्कृत करने के लिए राज्यपाल उत्कृष्ट सेवा पदक, मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक एवं वन बल प्रमुख प्रतिष्ठित पदक प्रदान करने का अनुरोध किया गया. वन मंत्री के सामने प्रस्ताव के रूप में एक अन्य प्रस्ताव पुलिस की तर्ज़  पर ‘ फ़ॉरेस्ट लाइन्स ‘ बनाने का था . प्रस्ताव में कहा गया है कि अग्रिम पंक्तियों के वन कर्मचारियों के लिए गढ़वाल क्षेत्र  (देहरादून ) और कुमाऊं (हल्द्वानी ) में एक-एक फ़ॉरेस्ट लाइन स्थापित की जाए.