उत्तराखंड के डीएमएमसी और कुमार मुन्नन सिंह को सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार

327
प्रतीकात्मक फोटो

उत्तराखण्ड के आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र को (संस्था श्रेणी में) और कुमार मुन्नन सिंह (व्यक्तिगत श्रेणी) को सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार (वर्ष 2020 ) के लिए चुना गया है. आपदा प्रबंधन में संस्था के विजेता होने की स्थिति में, उसे एक प्रमाणपत्र और 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. यह नकद पुरस्कार केवल आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के लिए विजेता संस्था द्वारा उपयोग किया जाएगा. विजेता के व्यक्तिगत होने के मामले में, उसे प्रमाणपत्र और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा.

भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देने के लिए, भारत सरकार ने एक वार्षिक पुरस्कार की स्थापना की थी , जिसे सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबन्धन पुरस्कार के नाम से जाना जाता है. यह पुरस्कार हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर घोषित किया जाता है. पिछली दफा वर्ष 2019 के लिए, गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 8वीं बटालियन को आपदा प्रबंधन में अपने सराहनीय कार्य के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया था.

आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र का काम :

उत्तराखंड सरकार के तहत राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कार्यों का निर्वहन आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी) करता है. 2006 में स्थापना के बाद से, इसने 2010, 2012 और 2013 में आपदा की प्रमुख घटनाओं के बाद समन्वय, सूचना के आदान-प्रदान और मीडिया ब्रीफिंग से संबंधित विभिन्न कार्यों को पूरा किया है. एनडीएमए के सहयोग से डीएमएमसी राज्य, जिला और तहसील स्तर पर मॉक अभ्यास आयोजित कर रहा है और राज्य सरकार के अधिकारियों को आपदा मोचन प्रणाली (आईआरएस) के लिए प्रशिक्षित किया है और तहसील स्तर तक घटना प्रतिक्रिया प्रशिक्षण (आईआरटी) का आयोजन किया है. डीएमएमसी कार्यशालाओं के माध्यम से राज्य सरकार के विभागों के बीच उभरती प्रौद्योगिकियों और तकनीकों के प्रचार के लिए देश में डीआरआर के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ विचार-विमर्श सुनिश्चित किया जाता है.

एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि डीएमएमसी ने छात्रों के लिए अनुसंधान सुविधाओं का विस्तार किया है और समीक्षा की गई वैज्ञानिक पत्रिकाओं में 50 से अधिक पेपर प्रकाशित किए हैं. इसने समृद्ध ऑडियो-विज़ुअल और प्रिंट आईईसी सामग्री विकसित की है, जो विशेष रूप से हिंदी में देश में सर्वश्रेष्ठ सामग्रियों में शामिल है. इसमें सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित लोकप्रिय फिल्म ‘द साइलेंट हीरो’ शामिल है, जो 11 दिसंबर, 2015 को भारत के 100 शहरों में 200 से अधिक सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. यह फिल्म तैयारी और क्षमता निर्माण के महत्व पर प्रकाश डालती है और सामाजिक समावेशन का संदेश देती है. डीएमएमसी द्वारा किया गया काम अभिनव और मौलिक है और इसमें आपदा-पूर्व तैयारी और क्षमता निर्माण से लेकर आपदा-पश्चात प्रत्युत्तर और पुनर्वास तक शामिल है.

कुमार मुन्नन सिंह का काम :

साल 2004 में हिंद महासागर में सुनामी के दौरान उनके सराहनीय कार्यों के बाद 2005 में कुमार मुन्नन सिंह को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संस्थापक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था. एनडीएमए में श्री सिंह ने अपनी विशिष्ट विशेषज्ञ आपदा मोचन बल, ‘नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स’ को स्थापित करने के लिए श्रमसाध्य प्रयासों की शुरुआत की.