रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन ने भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के कर्मचारियों के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया. इस अवसर पर बैंककर्मियों ने व्यक्तिगत तौर पर ऐसे प्रयास करने के संकल्प लिए जिससे पर्यावरण को पहुँच रहे नुकसान को कम किया जा सके. रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन ने एसबीआई के कर्मचारियों को इस मौके पर ‘ लव फॉर फाउंटेन पेन ‘ #LoveForFountainPen अभियान के तहत फाउंटेन पेन और स्याही के सेट भेंट किए. इन्हीं पेन से कर्मचारियों ने संकल्प पत्र भरे और पर्यावरण की रक्षा के लिए वादा किया .
इस अवसर पर फाउंडेशन के अध्यक्ष संजय वोहरा ने कहा कि सीधे तौर पर तो ये अभियान पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने वाले उस किस्म के पैन या लिखाई में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का इस्तेमाल रोकने के लिए लोगों को जागरूक करता है जो पेन फिर से इस्तेमाल या रीसायकल नहीं हो पाते लेकिन इस अभियान में बड़ा मकसद छिपा हुआ है . अभियान का स्लोगन ‘ नो मोर यूज़ एंड थ्रो – सोच बदलो ‘ उपभोक्तावाद और बाजारवाद की अंधी दौड़ में तमाम तरह के उस सामान से पर्यावरण को पहुँच रहे नुक्सान के प्रति लोगों को सचेत करता है जो एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है . इनमें घटिया किस्म की सामग्री से बनी थैलियां , लिफ़ाफ़े , बोतलें , डिस्पोज़ेबल कप , प्लेट्स , ग्लास , चम्मच और पैकिंग का ऐसा सामान शामिल होता है जो फेंके जाने के बाद ज़मीन में दब जाता है या जलस्त्रोतों में पहुँच जाता है . ऐसा सामान गलता नहीं है और गलता भी है तो बरसों में . इस तरह ये कचरा अपने रासायनिक दुष्प्रभावों से प्रकृति को नुकसान पहुंचाता है . शहरों में तो ये बड़ी समस्या है ही लेकिन मैदानी इलाकों से ज्यादा इस तरह की सामग्री ने उन पहाड़ी ग्रामीण इलाकों और वन क्षेत्रों के लिए विकट समस्या खड़ी कर दी है जहां कचरा हटाने के साधन नहीं हैं. वहां से कूडा कचरा हटाना संभव भी नहीं है .
कश्मीर और लदाख की हाल की अपनी यात्रा के दौरान हुए अनुभव को साझा करते हुए संजय वोहरा ने बताया कि कई जगह स्थानीय निवासी अज्ञानतावश इस कचरे को बढ़ा रहे हैं . वहीं इन क्षेत्रों में पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या भी कचरे में निरंतर इजाफा कर रही है .
बैंक के मुख्य प्रबंधक आलोक सिंह हिंगवासिया ने कहा कि यूं तो पर्यावरणीय चुनौतियों से हम लोग वाकिफ है और बैंक अपने कामकाज में ऐसी सामग्री व तौर तरीकों को इस्तेमाल करने को हतोत्साहित करना है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे. डिजीटल बैंकिंग को बढ़ावा देना सरकार और बैंकों की प्राथमिकता है जिससे कागज का कम से कम इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने इस दिशा में संस्थागत और व्यक्तिगत तौर पर अधिक काम करने की ज़रुरत पर ज़ोर दिया . श्री हिंगवासिया ने ‘ लव फॉर फाउंटेन पेन ‘ अभियान को अनूठा बताते हुए रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन की इस पहल की सराहना की .
बैंक के कर्मचारियों ने इस अवसर पर आपसी चर्चा में हिस्सा लिया और तरह तरह के प्रदूषण से प्रकृति को बचाने के लिए अपने जीवन में अपनाए जा रहे उपायों के बारे में जानकारी साझा की. इस दिशा में विभिन्न स्तर पर चलाई जा रही योजनाओं का भी ज़िक्र हुआ . फाउंडेशन की तरफ से शरद शर्मा ने कार्यक्रम के समन्वयक की भूमिका निभाई.
क्या है अभियान :
रक्षक वर्ल्ड फाउंडेशन के ‘ लव फॉर फाउंटेन पेन ‘ अभियान के तहत लोगों में फाउंटेन पेन और लकड़ी की बनी पेंसिल बांटी जा रही हैं . साथ ही लोगों से कुदरती संसाधनों के इस्तेमाल के वक्त उनको कम से कम नुकसान पहुंचाने के संकल्प को याद रखने के लिए शपथ भी दिलाई जा रही है . लोग इस ‘ सस्टेनेबिलिटी प्लेज ‘ में ऐसा कोई काम करने का वादा लिखते हैं जिसके करने से वे प्रकृति को पहुंचने वाले नुकसान को कम कर सकें . ये अनूठे किस्म का अभियान इसलिए भी है क्योंकि इसके तहत ऐसे पुराने फाउंटेन पेन जमा किये जा रहे हैं जिन्हें लोग इस्तेमाल नहीं करते. ये पेन छात्रों या उन लोगों तक पहुंचाए जाएंगे जो उनका इस्तेमाल कर सकते है.