अपनी धरती से अपने सबसे भारी प्रक्षेपक की मदद से सबसे भारी उपग्रह को प्रक्षेपित करके भारत ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तय किया है. प्रक्षेपण यान की मदद से अपने लक्षित कक्ष में उपग्रह को पूरी तरह स्थापित किया गया है. इस उपलब्धि के लिए मैं इसरो की पूरी टीम को बधाई देता हूं. भावुक क्षणों के बीच ये बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO-इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के सिवन ने जीएसएलवी एमके III-डी 2 (GSLV-MK-III D2) के बाद कही.
जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क III (जीएसएलवी एमके III-डी 2) के दूसरे दौर की उड़ान से आज सतीश भवन अंतरिक्ष केन्द्र (एसडीएससी) श्रीहरिकोटा से जीएसएटी-29 संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ही इस तीन स्तरीय भारी प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके III को तैयार किया है. दस साल की उम्र वाली इस सेटेलाइट का वज़न 3423 किलोग्राम हैं जो न सिर्फ संचार के माध्यम के तौर पर काम करेगी बल्कि कई तरह की नई और नाजुक किस्म की तकनीक की आजमाइश में अहम साबित होगी.
जीएसएलवी एमके III-डी 2 को 3423 किलोग्राम वाले जीएसएटी-29 उपग्रह के साथ भारतीय समय के अनुसार 17:08 बजे सतीश भवन अंतरिक्ष केन्द्र के दूसरे प्रक्षेपण पैड से प्रक्षेपित किया गया. तकरीबन 17 मिनट के बाद, इस प्रक्षेपण यान द्वारा योजना के अनुसार उपग्रह को जियोसिंक्रोनस स्थापन कक्ष (जीटीओ) में स्थापित कर दिया. स्थापित करने के बाद हासन स्थित इसरो की शीर्ष नियंत्रण इकाई ने उपग्रह के नियंत्रण का जिम्मा ले लिया है. आने वाले दिनों में, उपग्रह को भूस्थैतिक कक्ष में इसके निर्धारित स्थान पर तीन कक्षों में स्थापित किया जाएगा.