पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस की वो मशहूर तस्वीर आज भी लोगों के जेहन में है…जो उन्हें तानाशाही के खिलाफ सबसे बड़े प्रतीक के रूप में पेश करती है. हथकड़ी पहने हाथ उठाये जार्ज फर्नांडिस की वह तस्वीर इमरजेंसी के दौर की है जब बडौदा डायनामाइट केस में उन्हें 10 जून 1976 को कोलकाता (तब का कलकत्ता) के एक चर्च से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया था…और तीसहजारी कोर्ट में वह पहली पेशी पर आए थे. उनके जीवन के हजारों ऐसे किस्से हैं जो उन्हें एक राजनेता के बजाय तड़क-भड़क और ताम-झाम से दूर आम आदमी का नेता मानने को मजबूर कर देते हैं. वो राजनेता जो रक्षा मंत्री होते हुए भी खुद अपने कपडे धोता था…जिसके घर के दरवाजे तो क्या बेडरुम तक किसी की पहुंच बेहद आसान थी. ऐसे सरल राजनेता और पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस का आज सुबह करीब पौने सात बजे लम्बी बीमारी के बाद नई दिल्ली में निधन हो गया. वह 88 साल के थे. खबर मिलते ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण उनके घर पहुंची और जार्ज फर्नांडिस के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करने के बाद उनकी पत्नी लैला से मुलाकात की.
मैक्स हेल्थकेयर की टीम घर पर ही उनका इलाज कर रही थी. उनकी पत्नी लैला के अनुसार वह कई साल से अल्जाइमर से पीडित थे. उनका अंतिम संस्कार उनके पुत्र सीन फर्नांडिस के अमेरिका से लौटने के बाद किया जाएगा. मूलत: कन्नड भाषी जार्ज फर्नांडिस का जन्म 1933 में मंगलोर के कैथोलिक ईसाई परिवार में हुआ था. वहाँ से वह मुंबई पहुंचे और मजदूर नेता बने.
अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में रक्षा मंत्री रहे जार्ज फर्नांडिस वो शख्स थे जिनके कार्यकाल में 1999 में कारगिल संघर्ष हुआ था और भारत ने विजय पाई थी. 1998 में पोखरन परमाणु विस्फोट भी उनके रक्षा मंत्रित्व काल में ही हुआ था. रक्षा मंत्री के रूप में अनेक उपलब्धियों के साथ उनके दामन पर एक दाग भी राजनीतिक रूप से लगाया गया कारगिल संघर्ष के दौरान ताबूत घोटाले का. लेकिन प्रकारांतर में यह विपक्ष का राजनीतिक आरोप भर ही रह गया क्योंकि सीबीआई और कोर्ट ने साफ कर दिया कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं.
. @DefenceMinIndia pays her tribute to the departed leader and former Raksha Mantri George Fernandes in AIIMS today. @nsitharaman shares the moment of sorrow with Mrs Fernandes. pic.twitter.com/rBFGSidP7S
— Defence Spokesperson (@SpokespersonMoD) January 29, 2019