भारत की आज़ादी से अब तक अलग-अलग युद्धों में शहीद सैनिकों की याद दिल्ली में इंडिया गेट के पास बनाये जा रहे युद्ध स्मारक का एक हिस्सा इसी 15 अगस्त तक पूरा कर लेने की तैयारी चल रही है. इंडिया गेट के पिछले हिस्से से लेकर मेजर ध्यान चंद स्टेडियम के बीच तकरीबन 40 एकड़ वर्ग क्षेत्र में दो हिस्सों में बनाये जा रहे स्मारक के लिए सरकार ने 500 करोड़ रूपये लागत की योजना 2015 के बजट में मंजूर की थी और इसे पूरा करने के लिए 5 साल यानि 2020 का समय तय किया गया था.
गोलाकार में और एक के बीच चार चक्रों वाला ये खुला स्मारक है जो जमीन की सतह से नीचे से शुरू होगा और एक से दूसरे चक्र के बीच ढलान होगी. बीचों बीच करीब 15 मीटर ऊँचा स्तम्भ स्थापित होगा जिस पर राष्ट्र चिन्ह के साथ शहीद सैनिकों को समर्पित लौ हमेशा वैसे ही जलती रहेगी जैसे कि इंडिया गेट में अमर जवान ज्योति है. स्मारक के साथ ही एक संग्रहालय भी बनना है और इन दोनों के बीच सुरंगनुमा रास्ता होगा.
प्रिंसेस पार्क से सटे हिस्से में बन रहे इस प्रोजेक्ट का ठेका नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कम्पनी को दिया गया है लेकिन इसके निर्माण की ज़िम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की है. लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के एक सैन्य अधिकारी की देखरेख में मेजर जनरल रैंक का अफसर इसे कोआर्डिनेट कर रहा है. निर्माण से जुड़े एक अफसर का कहना है कि प्रोजेक्ट पूरा करने की तारीख 31 जुलाई 2020 रखी गई थी लेकिन नये निर्णय के मुताबिक स्मारक तो 15 अगस्त 2018 तक पूरा करना है, संग्रहालय इसके काफी बाद में पूरा बन सकेगा.
आधा हिस्सा तैयार करके इसे 2018 में फटाफट चालू कर देने के इस फैसले के पीछे राजनीतिक कारण भी माने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं लिहाज़ा उससे पहले ही इसे तैयार करा देने को चुनाव में भुनाने के लिए एक उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है. वन रैंक वन पेंशन लागू करने के बाद ये कदम रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के बीच सरकार की सैनिक कल्याण वाली इमेज मजबूत करने में मददगार होगा. बताया तो ये भी जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को इसका उद्घाटन करेंगे.
स्मारक बनाने में इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि इसके बनने के बाद इसकी ऊँचाई से आसपास के निर्माण की द्रष्टयता में रुकावट न आये. स्मारक के दूसरे चक्र को वीर चक्र का नाम दिया गया है जिसमें शेड के नीचे खुली दीर्घा होगी. इसमें लोंगोवाल, करांची हार्बर समेत कुछ और युद्धों की शौर्यगाथा दर्शाती ताम्र कलाकृतियाँ दिखाई देंगी. तीसरा और चौथा त्याग चक्र है जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना के करीब 26 हज़ार से ज्यादा शहीदों के सुनहरे अक्षरों में लिखे नाम वाली ग्रेनाइट की पट्टियाँ लगी मिलेंगी. इसके साथ ही करीब चार हज़ार पट्टियां खाली भी होंगी जिन पर भविष्य में शहीद होने वालों के नाम लिखे जा सकेंगे. स्मारक का आकार ऊँचाई से चक्रव्यूह की संरचना जैसा दिखाई देता है.
स्मारक का पांचवां चक्र रक्षा चक्र कहलायेगा. इस चक्र में वृक्ष लगाये जायेंगे और हरेक वृक्ष रक्षा में तैनात सैनिक का प्रतीक है. राजपथ पर जब विजय चौक से इंडिया गेट की तरफ नजर पड़ेगी तो तीनों निर्माण ‘इंडिया गेट-उसके पीछे केनोपी (छतरी) -स्मारक स्तम्भ’ एक सीध में दिखेंगे. स्मारक तो इण्डिया गेट के पांच लान में से दो में बनाया जा रहा है. तीसरे लान को, जो अभी अगस्त क्रान्ति मैदान कहलाता है उसे परमयोद्धा स्थल नाम दिया गया है. यहाँ उन 21 शहीदों की प्रतिमा लगेंगी जिन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया है.
आपकी सभी ख़बरें रोमांच भरी होती ही हैं इसमें कोई संदेह नही है लेकिन युद्ध स्मारक की ख़बर पढ़ने के बाद आपके पोर्टल द्वारा प्रकाशित ख़बरों के लिए मेरी उत्सुकता और बड़ गयी है
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