यूपी पुलिस में आउटसोर्सिंग प्रस्ताव पर बवाल मचा तो अधिकारी बोले- गलती से जारी हुआ पत्र

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आउटसोर्सिंग के प्रस्ताव वाली चिट्ठी और पुलिस का बयान

भारत में नई केंद्र सरकार बनने के बाद जहां सेना में अग्निवीर नाम से सैनिकों की भर्ती वाली अग्निपथ योजना की जहां समीक्षा की जा रही है वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पहले से ही पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने से युवाओं में नाराज़गी है वहीं पुलिस मुख्यालय से जारी हुई एक चिट्ठी ने बवाल खड़ा कर डाला .

पुलिस महकमे में कुछ पदों पर सीधी भर्ती की जगह आउट सोर्सिंग ( out sourcing in police ) के प्रस्ताव वाली इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद  इतनी छीछालेदर हुई कि पुलिस को यह चिट्ठी वापस लेनी पड़ी और कहा गया कि पत्र ‘त्रुटिवश ‘ जारी हो गया .

दरअसल यूपी पुलिस के अपर महानिदेशक (स्थापना) कार्यालय से उप महानिरीक्षक  ( deputy inspector general ) प्रभाकर चौधरी  की तरफ से जारी यह चिट्ठी सभी पुलिस कमिश्नर , वरिष्ठ अधिकारियों  और  एडीजी को भेजी गई थी जिसका विषय ‘ उत्तर प्रदेश पुलिस बल में कार्यकारी बल की भांति लिपिक संवर्ग का पुनर्गठन के बारे’ था.

यूपी पुलिस के इस  पत्र के  जरिए , क्लेरिकल ,अकाउन्ट्स , रिकॉर्ड कीपिंग आदि पदों के लिए  असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (एएसआई ) के स्तर पर आउटसोर्सिंग से भर्तियों पर अपनी राय भेजने को कहा गया था. इन अधिकारियों को इस प्रस्ताव पर  17 जून तक अपनी राय देनी थी. इसमें स्पष्ट पूछा गया  था कि सहायक उप निरीक्षक (लिपिक), सहायक उप निरीक्षक(लेखा), सहायक उप निरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती की जा सकती है या नहीं.

पत्र इंटरनेट पर वायरल हो गया. इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप विभिन्न स्तरों पर आलोचना होने लगी विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र में. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में सांसद अखिलेश यादव ने एक्स ( x) पर अपनी पोस्ट में  लिखा , ”  ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा. भाजपा सरकार जवाब दे कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाकायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है? पुलिस सेवा में भर्ती के इच्छुक युवाओं की ये आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बनाने वाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है. क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाजे से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है.”

आउटसोर्सिंग के प्रस्ताव पर राय वाला पत्र

विभिन्न समाचार माध्यमों और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर यह खबर तुरंत फ़ैल गई. यूपी में पुलिस प्रमुख पद पर काफी समय से कार्यवाहक महानिदेशक की नियुक्त किए जाने से पहले से ही आलोचना होती रही है. वर्तमान पुलिस प्रमुख  आईपीएस  प्रशांत कुमार  ( ips prashant kumar ) भी  कार्यवाहक महानिदेशक हैं .

आउटसोर्सिंग संबंधी उपरोक्त पत्र वायरल होने के बाद अब यूपी पुलिस की तरफ से 13 जून 2024 को बयान जारी करके कहा गया है कि ,”  चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पूर्व से प्रचलित है.  त्रुटिवश चतुर्थ कर्मचारियों के स्थान पर मिनिस्टीरियल स्टाफ के लिए जारी पत्र को निरस्त कर दिया गया है. इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग एवं शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है.”

लेकिन पुलिस के पत्र को लेकर तरह तरह की जो आलोचनाएं हो रहीं है उनमें कहा जा रहा है कि आउट सोर्सिंग करके  सरकार आरक्षण ख़त्म कर रही है वहीं कुछ इसके पीछे  निजीकरण के ज़रिए प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मंशा बता रहे हैं.  यूपी में कुछ ही अरसा पहले पुलिस भर्ती के लिए ली गई परीक्षा रद्द कर दी गई थी जिसे लेकर उन युवाओं में पहले से ही नाराजगी है जो पुलिस में भर्ती होने के इरादे तैयारी कर रहे हैं. बहुतों को तो यह दर भी सता रहा है कि इस इंतज़ार में उनकी भर्ती की अधिकतम आयु सीमा भी पार हो जाएगी.