यूपी के साइबर कॉप त्रिवेणी सिंह मुसीबत में , कोर्ट ने वारंट जारी कर जुर्माना भी लगाया

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हमेशा शानदार काम और रिकॉर्ड के लिए तारीफ़ हासिल करने वाले यूपी के  ‘साइबर कॉप’ आईपीएस अधिकारी  त्रिवेणी सिंह अब  एक परेशानी में फंस गए हैं .  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तैनात त्रिवेणी सिंह साइबर सेल के इंचार्ज हैं लेकिन बीस साल पुराने एक केस में मऊ की एक अदालत ने उनके  वारंट जारी कर दिए हैं और  साथ ही  उन पर जुर्माना भी ठोका है. आईपीएस त्रिवेणी सिंह को 20 जुलाई तक इस मामले में मऊ की की अदालत में पेश करने का आदेश दिया गया है. दूसरी तरफ रक्षक न्यूज़ से बातचीत के दौरान त्रिवेणी सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से वे मऊ नहीं जा सके थे.  वह निश्चित तिथि पर मऊ पहुंचकर मामले  की सुनवाई में शामिल होंगे.

उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी त्रिवेणी सिंह  ( ips triveni singh ) से जुडा ये मामला तब का है जब वे मऊ में क्षेत्र अधिकारी ( सीओ ) थे . वहां एस सी / एसटी  एक्ट और अन्य कानूनों की विभिन्न धाराओं के तहत एक केस दर्ज हुआ था. राज्य बनाम प्रवीण आदि के नाम से यह मुकदमा अब भी अदालत में चल रहा है और  फैसला नहीं हो पा रहा है. अदालत का कहना है कि त्रिवेणी सिंह की गवाही न होने के कारण यह  देरी हो रही है . त्रिवेणी सिंह को अदालत में आने के लिए बार बार समन भेजे जा चुके हैं लेकिन वो अदालत में पेश नहीं हो रहे . ये मामला 1999 में थाना सरायलखंसी में अपराध संख्या 437 के तहत दर्ज हुआ था.  त्रिवेणी सिंह इसके विवेचक थे.

अब मऊ के विशेष न्यायाधीश ने पुलिस महकमे को आदेश दिया है वो त्रिवेणी सिंह के वेतन से 3000 रुपये काटकर अदालत में जमा कराए और त्रिवेणी सिंह को गिरफ्तार करके 20 जुलाई तक पेश करें . आईपीएस त्रिवेणी सिंह वर्तमान में लखनऊ में सिग्नेचर बिल्डिंग स्थित पुलिस कमिश्नरेट में साइबर सेल के एसपी हैं. अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि अगर त्रिवेणी सिंह 20 जुलाई तक मऊ की अदालत में पेश नहीं हुए तो उनको फिर से  गवाही का  मौका नहीं दिया जाएगा और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी पुलिस की होगी.

ये कहना है एसपी त्रिवेणी सिंह का :
किसी अनुभवी अधिकारी के बारे में इस तरह का समाचार हैरान करने वाला है . इस सन्दर्भ में रक्षक न्यूज़ ने जब लखनऊ में अपने दफ्तर में मौजूद एसपी त्रिवेणी सिंह से फोन पर बात की तो उनका कहना था कि वारंट जारी होना  अदालती प्रक्रिया है . आईपीएस त्रिवेणी सिंह ने माना कि उनके पास अदालत के समन आए थे . साथ ही कहा  कि उनकी सेहत ठीक नहीं रहने के कारण वह  अदालत में सुनवाई के लिए मऊ नहीं जा सके थे. लेकिन बार बार समन  होने पर ही वारंट जारी होने के बारे में पूछने पर उनका यही  कहना था कि चिकित्सकीय कारणों से वह नहीं जा रके थे लेकिन अब 20 जुलाई को अदालत में पहुंचकर कार्यवाही में हिस्सा लेंगे.

कौन हैं त्रिवेणी सिंह :
57 वर्षीय त्रिवेणी सिंह को उत्तर  प्रदेश पुलिस ( up police ) में सेवा करते लगभग 30 साल होने वाले हैं . त्रिवेणी सिंह 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस सेवा  के अधिकारी के तौर पर भर्ती हुए थे . उनको 2011 में आईपीएस अधिकारी बनाया गया था. त्रिवेणी सिंह की शुरू से ही साइबर मामलों को सुलझाने में दिलचस्पी रही है. उन्होंने बैंक फ्रॉड और इंटरनेट के जरिए धोखाधडी जैसे कई केस की गुत्थी सुलझाई और अपराधियों को सलाखों  में पहुंचाया . यूपी पुलिस में साइबर अपराधों की जांच पड़ताल के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने का शानदार काम भी त्रिवेणी सिंह ने किया है. यहां उन साइबर थानों के गठन में भी उनका अहम योगदान है जो साइबर सेल से जुड़े हुए हैं .

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले त्रिवेणी सिंह ने साइबर अपराधों पर शोध कार्य किया है और इसी विषय में  पीएचडी की है .  इस विषय पर  उन्होंने पुस्तक भी लिखी है .  यही नहीं आईपीएस त्रिवेणी सिंह राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार ( president medal for gallantry ) से भी अलंकृत हैं . उनके कई और सम्मान भी मिले हैं . उनके और उनके काम के आधार पर एक वेब सिरीज़ भी बन रही है . कुछ अरसा पहले त्रिवेणी सिंह के समय से पूर्व सेवानिवृत्ति ( वी आर एस ) लेने के समाचार भी छपे थे.

पुलिस में करियर : 
उत्तर प्रदेश पुलिस में आने से पहले त्रिवेणी से मध्य प्रदेश सरकार की सेवा में थे. उस दौरान   (वर्ष  1991 – 92  में ) त्रिवेणी सिंह इंदौर जेल में  बतौर  सहायक जेलर ( assistant jailor ) तैनात रहे और उसके बाद 1993 -94 में खंड विकास अधिकारी ( बीडीओ – BDO ) के पद पर काम किया. 1994 में यूपी पुलिस सेवा में आने के बाद त्रिवेणी सिंह डीएसपी के तौर पर लखनऊ में तैनात रहे जनवरी 2013 में त्रिवेणी सिंह को नोएडा में साइबर सेल का डीएसपी बनाया गया. इसके बाद तो त्रिवेणी सिंह ने अपनी मेहनत और सूझबूझ के दम पर एक के बाद एक ऐसी उपलब्धियां हासिल करनी शुरू की कि यूपी पुलिस में उनकी अहम् जगह बन गई.

साल 2013 में  त्रिवेणी सिंह को तरक्की देकर नोएडा में स्पेशल टास्क फ़ोर्स में साइबर क्राइम का प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ( एएसपी ) बना दिया गया. यूपी ही नहीं देश भर  में सूचना तकनीक उद्योग के  मानचित्र पर नोएडा  एक ख़ास मुकाम रखता है जहां बड़ी बड़ी  विभिन्न बहुराष्ट्रीय और भारतीय कम्पनियों के कॉल सेंटर और दफ्तर , कई मीडिया घरानों के परिसर , वित्तीय कम्पनियों की गतिविधियां और अरबों का निवेश है. लिहाज़ा त्रिवेणी सिंह को ऐसी ज़िम्मेदारी मिलना किसी उपलब्धि से कम थी. वह 4 साल 8 महीने इस पद पर नोएडा में रहे . इस दौरान साइबर अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी के कई पेचीदा केस उनके नेतृत्व में सुलझाए गए . वर्तमान में यूपी के सभी 18 कमिश्नरेट के साइबर अपराध सेल तकनीकी सुपरविज़न के लिए उन्ही पर निर्भर हैं . उनका दफ्तर लखनऊ मुख्यालय में हैं और यहां पर लगभग तीन साल से तैनात हैं .

त्रिवेणी सिंह औरैया के पुलिस अधीक्षक ( sp, auraiya ) और आज़म गढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ( ssp , azamgarh) भी रहे हैं . हालांकि जिलों में उनकी तैनाती लम्बे अरसे तक नहीं रही .

सम्मान मिले :
सीबीआई डायरेक्टर ने दिसंबर 2012 में त्रिवेणी सिंह को , भोपाल की आरटीआई एक्टिविस्ट  ( RTI activist ) और सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहला मसूद (snehala masood)की हत्या में शामिल दो शार्प शूटरों को दिन में सरे आम  हुई एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार करने जैसा कारनामा करने पर सम्मानित किया था.  सीबीआई इस केस की जांच कर रही थी .  इससे पहले जनवरी 2011 में , राष्ट्रपति ने कानपुर में अपनी जान जोखिम में डालकर टीम के साथ शार्प शूटरों का  गोलीबारी में  मुकाबला करने पर त्रिवेणी सिंह को वीरता पदक से सम्मानित किया था.   यूपी पुलिस के महानिदेशक से भी उनको सम्मान पत्र मिला है .