यूपी पुलिस का ‘त्रिनेत्र’ एप लांच, अपराधी का चेहरा एक क्लिक पर सामने

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त्रिनेत्र एप
यूपी पुलिस के आला अफसरों ने लांच किया त्रिनेत्र एप.

यूपी पुलिस अपराधियों की पहचान और धरपकड़ की दिशा में टेक्नालाजी का प्रयोग व्यापक स्तर पर करने जा रही है. इसके लिए उसने त्रिनेत्र एप लांच किया है. पुलिस को किसी अपराधी की पहचान के लिए हफ्तों थानों के रजिस्टर व अपराधियों के अलबम पलटने से निजात मिल जाएगी. स्मार्ट फोन पर एप के जरिए बस एक क्लिक पर पुलिस के सामने संबंधित अपराधी की तस्वीर से लेकर पूरा ब्योरा आ जायेगा. प्रदेश के करीब पांच लाख अपराधियों का सेंट्रलाइज्ड डिजिटल डाटाबेस जुटाया जा चुका है.

पुलिस सप्ताह के तहत गुरुवार दोपहर यूपी 100 मुख्यालय में आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने त्रिनेत्र एप लांच किया. इस मौके पर डीजी सतर्कता अधिष्ठान हितेश चंद्र अवस्थी व डीजी रेडियो मुख्यालय पीके तिवारी समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.

एप के जरिये पुलिस किसी संदिग्ध की तस्वीर को अपने डाटाबेस में कैद अपराधियों से मैच भी करा सकेगी. यह देश का पहला एप है, जो जेल के अंडर ट्रायल मैनेजमेंट सिस्टम से सीधे जुड़ा है. लिहाजा कौन अपराधी जेल में है और कौन बाहर. इसका पता भी पुलिस मिनटों में लगा सकेगी.

त्रिनेत्र एप को विकसित कराने व अपराधियों का डिजिटल डाटाबेस तैयार कराने में आईजी क्राइम एसके भगत की अहम भूमिका है. डीजीपी मुख्यालय स्तर से एप का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. अभी एप 1464 थाना प्रभारी, 65 जीआरपी प्रभारी, सभी सीओ, एएसपी, एसपी के अलावा रेंज, जोन, एटीएस व एसटीएफ के अधिकारियों को उपलब्ध होगा. अगले चरण में एप को बीट के दरोगा, सिपाही व यूपी 100 के पीआरवी वाहनों पर तैनात पुलिसकर्मियों तक पहुंचाया जायेगा.

अंग्रेजी भाषा में काम कर रहे एप में अपराधियों के नाम-पता, फोटो, उन पर घोषित इनाम, उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे और अन्य ब्योरा क्रमवार दर्ज किया गया है. उन अपराधियों का ब्योरा भी है, जो दूसरे प्रदेशों से आकर यहां आपराधिक मामलों में पकड़े जा चुके हैं. आइजी एसके भगत ने सम्मेलन में त्रिनेत्र एप का प्रस्तुतीकरण भी दिया.

आमतौर पर किसी लापता लड़की अथवा लड़के को बरामद करने के लिए पुलिस अक्सर उसके परिवारीजन से ही गाड़ी बुक कराने से लेकर यात्रा की अन्य व्यवस्थाएं कराने की मांग करती है. पुलिस की किसी विवेचना से जुड़ी ऐसी दिक्कतों को दूर करने के लिए एडीजी आशुतोष पांडेय ने सम्मेलन में अपना प्रस्तुतीकरण दिया. तेलंगाना मॉडल पर उन्होंने यूपी में विवेचना फंड की व्यवस्था की बात कही. इसके लिए शहरी क्षेत्र के बड़े थानों को 50 हजार रुपये तथा देहात के थानों को 25 हजार रुपये प्रतिमाह विवेचना फंड दिये जाने की सिफारिश की गई. सम्मेलन में तय हुआ कि पुलिस मुख्यालय स्तर से इसका प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा जायेगा.

एडीजी वीमेन पावर लाइन अंजू गुप्ता ने महिला की सुरक्षा के लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट, एडीजी यूपी 100 आदित्य मिश्र ने वन टाइम इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम तथा एडीजी बरेली जोन प्रेमप्रकाश ने पुलिस थानों के निरीक्षण पर अपने प्रस्तुतीकरण दिये.