भारत के सबसे बड़े राज्य में बिजली चोरी से निपटने में नाकाम सम्बन्धित विभाग अब न सिर्फ पुलिस के तौर तरीके से काम करेंगे बल्कि इसके लिए पुलिस थाने भी खुलवा रहा है. जल्द ही ऐसा थाना गाज़ियाबाद के वसुंधरा में शुरू हो जाएगा. इसके लिए तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं. इसका नाम ‘एंटी पावर थेफ़्ट पुलिस थाना’ रखा गया है. ऐसा अब तक का ये तीसरा थाना है.
दरअसल उत्तर प्रदेश विद्युत निगम ने पिछले साल जो एक रिपोर्ट तैयार की थी उसके आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले में सबसे ज़्यादा बिजली चोरी होती है. इस तरह की सबसे ज़्यादा एफआईआर यहाँ के अलग अलग थानों में दर्ज हुईं लेकिन ऐसे मामले पुलिस के काम की प्राथमिकता में नहीं होने के कारण इनका निपटारा या इन पर कार्रवाई लम्बे समय तक पूरी नहीं हो पाती. इसी बात को ख्याल में रखते हुए यूपी में बिजली चोरी निरोधक थाने खोले की शुरुआत हाल ही में हुई है. प्रयागराज (इलाहबाद) और कौशाम्बी ज़िले के बाद गाज़ियाबाद में खुलने वाला ये तीसरा थाना है.
थाने की टीम :
वसुंधरा के सेक्टर 8 में थाने को पहले से तैयार बिल्डिंग में खोला गया है. एक अधिकारी के मुताबिक़ यहाँ उत्तर प्रदेश पुलिस से प्रति नियुक्ति पर चार सब इन्स्पेक्टर और 16 सिपाही तैनात होंगे. उनको सहयोग के लिए बिजली विभाग की विजिलेंस की टीम रहेगी. वैसे इन पुलिस कर्मियों को भी खास तरह की ट्रेनिंग दी जायेगी. इन्हें विद्युत अधिनियम और सम्बन्धित कानूनों की जानकारी होगी.
बिजली विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ चार साल के दौरान ग़ाज़ियाबाद में विजिलेंस की टीम ने 11295 मामले पकड़े और इनमें से 6857 मामलों में एफआईआर दर्ज की गईं. अब तक 26 हज़ार ऐसे कनेक्शन हैं जिनसे बिजली के बिल का बकाया वसूला जाना है. जनपद में सबसे ज़्यादा बिजली चोरी की एफआईआर लोनी, मोदी नगर और मुराद नगर में दर्ज हुईं हैं लेकिन इस थाने की इमारत इन इलाकों से बहुत दूर है.
थाना खोलने के कारण ये हैं :
दरअसल बिजली चोरी की सूचना मिलने पर विभाग तुरंत छापामार कार्रवाई नहीं कर पाता था. कई दफा विभाग के कर्मचारियों और दलालों की मिलीभगत से ये मामले रफा-दफा कर दिए जाते थे. जब तक छापामार टीम पहुंचती भी थी तो चोरी का सबूत भी कई बार हाथ नहीं लगता था. जो मामले पकड़े भी जाते तो उसकी एफआईआर इलाके के थाने में भेज दी जाती थी. कभी काम के दबाव या अन्य कारणों से पुलिस इन मामलों को प्राथमिकता पर नहीं लेती थी.
अधिकारियों को लगता है कि थाना बनने के बाद ये समस्या हल हो सकती है. चोरी पकड़ने वाले, जांच करने वाले और अदालती कार्रवाई करने वाली टीमें साथ साथ काम करेंगी. यही नहीं चोरी के सबूत तुरंत मिलने के साथ बिजली चोरों में गिरफ्तारी का डर कायम होगा.
पुलिस भी डिफाल्टर :
दिलचस्प बात तो ये भी है कि बिजली की वसूली के 123 करोड़ रूपये बकाया हैं और इनमें 52 करोड़ तो चोरी के मामलोँ में वसूले जाने हैं. यही नहीं खुद कुछ सरकारी विभागों ने बिल नहीं भरे हैं. उनके 13 करोड़ रूपये बकाया हैं. और इन डिफाल्टरों की लिस्ट में जो जो विभाग सबसे पहले नम्बर पर हैं उनमें पुलिस भी है. स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग भी बकायेदारों में शामिल हैं. पिछले महीने प्रयागराज और कौशाम्बी में ऐसे थानों का उद्घाटन हुआ था. यूँ तो बिजली चोरी के मामलों के लिए ही थाने गुजरात और महाराष्ट्र में भी हैं.