सच में ये हैरानी पैदा करने वाली ऐसी घटना है जिसने पुलिस को भी शर्मसार कर डाला है. चंडीगढ़ में सुरक्षा के हिसाब से अति संवेदनशील समझे जाने वाले सेक्टर 1 इलाके में से चोर पंजाब पुलिस की विरासती तोप चुरा ले गए. ब्रिटिश जमाने की समझी जाने ये तोप पंजाब सशस्त्र पुलिस punjab armed police की 82 वीं बटालियन में राजपत्रित अधिकारियों की मेस GO’s Mess के बाहर सजाकर रखी रखी गई थी. हैरानी की बात ये भी है कि बेशकीमती इस प्राचीन शस्त्र की सुरक्षा के मद्देनजर पहरेदारी तो अलग सीसीटीवी कैमरा तक वहां नहीं लगाए गए थे.
संभवत एक पखवाड़ा पहले चोरी हुई इस तोप के गायब होने के बारे में पीएपी की 82 वीं बटालियन के कमांडेंट बलविंदर सिंह ने अब एफ आई आर दर्ज कराई है . दरअसल पहले पहल पंजाब पुलिस तोप को अपने ही स्तर पर खोजती रही क्योंकि पता चलने पर न सिर्फ लापरवाही उजागर होती बल्कि बेइज्जती भी होती. पुलिस अधिकारियों को पहले पहल लगा होगा कि तोप को खोज लेंगे तो मामला दब जाएगा या ज्यादा शर्मिदगी नहीं उठानी पड़ेगी. तोप की खोज खबर में नाकाम रहने पर आखिर उनको थाने में प्राथमिकी दर्ज करानी पड़ी. पंजाब पुलिस के बड़े अफसर इस मामले में कुछ बोल नहीं रहे. उनका अंदाज़ा है कि इस वारदात में भीतर के किसी आदमी का हाथ है और वो जो जल्द ही उसे पकड़कर तोप को खोज निकालेंगे.
पीतल व संभवत अन्य कीमती धातुओं के मिश्रण से बनाई गई इस पुरातन तोप की खासी अहमियत है. इसके गायब होने सबसे पहले अहसास मेस में तैनात सब इंस्पेक्टर देवेन्द्र कुमार को हुआ . उन्होंने उस जगह को खाली पाया जहां तोप रखी रहती थी. इसके बाद उन्होंने कमांडेंट बलविंदर सिंह को सूचित किया जोकि पंजाब पुलिस सेवा Punjab Police Service -PPS के अधिकारी हैं . यही तोप तकरीबन डेढ़ साल पहले स्टोर रूम में रख दी गई थी. बाद में बाहर प्रदर्शन के लिए इसे फिर रखा गया था. ये पंजाब पुलिस की खास बेशकीमती धरोहरों में से एक मानी जाती है .
पंजाब पुलिस की तोप चोरी होने की ये एफआईआर 17 मई को चंडीगढ़ के सेक्टर 3 थाने में लिखाई गई है जिसके मुताबिक़ वारदात 5 मई की देर रात या फिर 6 मई की तडके हुई है . इतनी भारी तोप को वहां से चोरी छिपे ले जाने में एक दो आदमी तो कामयाब हो ही नहीं सकते. एक तो ये वहां से किसी वाहन में लादकर ले जाई गई होगी. पुलिस परिसर से इतने वजन वाली वस्तु को उठाकर या वाहन में छिपाकर ले जाना किस आम चोर का काम हो भी नहीं सकता. वैसे भी ये तोप सिर्फ उसकी धातु के कारण किसी कबाड़ी आदि नहीं चुराई होगी. साधारण छोर के बस का इसे बेच पाना भी संभव नहीं है. कीमती धरोहरों को खरीदने बेचने वाले गिरोहों का ऐसी घटनाओं में हाथ होता है. ऐसी चुराई गई वस्तुएं विदेशों में छोरी छिपे भेज दी जाती हैं. वहां संग्रहालयों आदि के कारण भी ऐसी वस्तुओं की डिमांड रहती है . ऐसी कई भारतीय धरोहरें विदेशों से वापस लाई भी गई हैं .
चंडीगढ़ पुलिस ने तोप चोरी होने के मामले में धारा 379 के तहत सामान चोरी होने का मामला दर्ज किया है. इसके मुताबिक़ चोरीशुदा तोप की लम्बाई तकरीबन 3 फुट और वजन 200 से 300 किलो के बीच है और ये मेन गेट के भीतर बिल्डिंग के पास रखी थी. जांच पड़ताल कर रहे सेक्टर 3 थाने के एस एच ओ का कहना है कि कमान्डेंट बलविंदर सिंह ने हमको बताया कि ये तोप विरासती धरोहर वाली वस्तुओं में शामिल है .
पुलिस ने वारदात के वक्त के आसपास इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच पड़ताल भी की थी ताकि वहां से निकले ट्रक टेम्पो जैसे वाहनों को देखा जा सके.