कुछ इस अंदाज़ से सेवानिवृत्त हुए दिल्ली पुलिस के ये दो खास कर्मी

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ASI बालानाथ (बाएं) और इंस्पेक्टर महिपाल सिंह (दाएं) के बीच पुलिस उपायुक्त राजन भगत. Source/Sanjay Vohra

आमतौर पर किसी भी सरकारी या गैर सरकारी महकमे में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर कुछ रस्मी कार्यक्रम होने पर, उसमें शिरकत सम्बन्धित विभाग या मंत्रालय के कर्मचारियों की होती है और दिलचस्पी भी उन्हीं की होती है. किन्हीं भी कारणों से बहुत लोकप्रिय रहे कर्मचारी या अधिकारी के रिटायरमेंट के मौके पर कुछ ज़्यादा साथी जुटते हैं लेकिन दिल्ली पुलिस के मुख्यालय में दो दिन से दो ऐसे कर्मचारियों के रिटायरमेंट के रस्मी आयोजन से एक ऐसा समुदाय भी जुड़ा हुआ है जो न तो वर्दीधारी है और न ही औपचारिक तौर पर पुलिस तंत्र का हिस्सा है. शायद रिटायर हुए पुलिसकर्मियों के साथियों से ज़्यादा भावुक रिश्ता इनका रहा. हैरानी की बात तो ये है कि सेवानिवृत्ति के ये कार्यक्रम जिनके लिए हुए, वे दिल्ली पुलिस के कोई बड़े अफसर नहीं है. एक हैं सहायक उपनिरीक्षक बालानाथ और दूसरे हैं इंस्पेक्टर महिपाल सिंह. और जिस समुदाय की यहाँ बात हो रही है वो हैं दिल्ली के मीडियाकर्मी.

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Insp महिपाल सिंह अपने रिटायरमेंट पर दिल्ली पुलिस adorn का अंतिम कदम उठाते हुए. Source/दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड पीआरओ रवि पवार के फेसबुक वाल से

अखबार, टेलीविजन चैनल हो, रेडियो या डिजिटल माध्यम… हर किसी के रिपोर्टर, फोटो व वीडियो जर्नलिस्ट इन दोनों से, पुलिस मुख्यालय में इनकी ड्यूटी के आखरी दिन मिलना चाहता था. कुछ इनकी रस्मी विदाई पर मौजूद थे तो कुछ पहले भी मिलकर गये. जो नहीं आये या जिन्हें बाद में पता चला वो भी इन्हें फोन के जरिये या संदेश भेजकर जीवन की नई पारी की शुभकामनाएं दे रहे थे. हाल फिलहाल जिन्होंने बतौर क्राइम रिपोर्टिंग शुरू की हो या जो 80 के दशक में भी दिल्ली में क्राइम रिपोर्टिंग करते रहे हों. कोई भी इनको याद करना नहीं भूला. यहाँ तक कि जो मीडिया संस्थानों से रिटायर हो गये वो भी और वो भी जो कभी इनके बॉस हुआ करते थे. वे भी इनके काम और इनके व्यक्तित्व के कायल होकर इन्हें याद करते हैं. और तो और जिनसे इनके बरसों से संपर्क (पेशेवर) नहीं था वो भी इनकी सेवानिवृति के बारे में पता चलने पर इनसे बात कर रहे थे, इनकी चर्चा कर रहे थे. कुछ तो इनके बारे में सोशल मीडिया पर भी लिख रहे हैं.

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सेवानिवृत्त ASI बालानाथ (बीच में) रक्षकन्यूज.इन के प्रधान संपादक संजय वोहरा (दाएं) और PRO ACP अनिल मित्तल के साथ. Source/Sanjay Vohra

एएसआई बालानाथ और इंस्पेक्टर महिपाल सिंह दिल्ली पुलिस की पीआरओ ब्रांच में थे. बालानाथ ज्यादा पुराने हैं. जब तक ई मेल का जमाना नहीं आया (उसके बाद भी लम्बे समय तक) तब तक किसी अखबार का क्राइम रिपोर्टर बालानाथ के लाये पुलिस बुलेटिन और फोटोग्राफ के बिना अपनी ड्यूटी पूरी नहीं कर पता था. बालानाथ की लोकप्रियता तो इतनी रही कि हर अख़बार के न्यूजरूम में लोग इन्हें जानने लगे वो भी जिनका पुलिस या क्राइम रिपोर्टिंग से ताल्लुक न रहा हो. बेहद सरल स्वभाव और मृद भाषी बालानाथ सिपाही के तौर पर दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे. बालानाथ मोटर साइकिल राइडर का काम करते थे लेकिन महिपाल सिंह विज्ञापन अनुभाग सम्भालते थे.

मजेदार बात तो ये भी थी कि शुक्रवार को जो पत्रकार विदाई रस्म के समय नहीं पहुँच सके वो शनिवार को बालानाथ को 60 वें जन्मदिवस की बधाई देने पुलिस मुख्यालय पहुंचे. दिल्ली पुलिस के पीआरओ सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) अनिल मित्तल की सरपरस्ती में छोटा सा कार्यक्रम हुआ.