राजसी ठाट से विदा हुई एसपी वंदिता राणा, रंजीता शर्मा बनीं दौसा की नई एसपी

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दौसा की सड़कों पर जब दूल्हे की तरह निकलीं एसपी वंदिता राणा

उत्तर भारत में इन दिनों शादियों के सीजन में सड़कों पर  घोड़ी पर दूल्हे को बैंड बाजे व ढोल धमाके के साथ ले जाते नाचते बारातियों  के नजारे तो खूब देखने को मिल रहे हैं, लेकिन मंगलवार की  सुबह राजस्थान के  दौसा शहर में ऐसी एक बारात ने लोगों को चौका दिया. असल में यह न तो बारात थी और न ही घोड़ी पर दूल्हा था . दूल्हे जैसे वेश में महिला थी और बैंड बाजे वाले खाकी वर्दी धारक पुलिसकर्मी थे जो आमतौर पर पुलिस परेड में दिखाई देते हैं. जुलूस जैसे इस नज़ारे को सड़क पर  देखकर हर कोई शख्स  लगातार देखता रहता था. खासतौर पर लोगों की रूचि तब ज्यादा हो जाती थी जब पता चलता कि घोड़ी पर दुल्हे के वेश में सवार असल में दौसा की पुलिस अधीक्षक ( suprintendent of police ) वंदिता राणा हैं .

असल में राजसी ठाटबाट के साथ आईपीएस वंदिता राणा को विदाई दिए जाने का एक तरह का कार्यक्रम था जिसमें शहर के नागरिकों को भी एक तरह से शामिल करने का मौका दिया गया था . वंदिता राणा दौसा में तैनात हुई पहली महिला एसपी थीं और अब हाल में जारी हुए आदेशों के तहत उनका तबादला सिरोही की एसपी के पद पर किया गया है. दौसा ज़िले से विदाई के समय  कोतवाली थाना पुलिस ने इस अनूठे तरीके से समारोह किया .इस मौके पर एसपी वंदिता राणा ने  दौसा में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि यहां  की जनता और पुलिस से उन्हें अपार स्नेह मिला है जिसको वह कभी भूल न सकेंगी . उन्होंने  ने कहा उन्हें  यहां तैनात होने  पर पता चला कि यहां के लोग कानून के साथ देने वाले हैं. इसलिए उन्हें दौसा में महिला एसपी होने के नाते ज्यादा परेशानी नहीं हुई .

दिलचस्प है कि दौसा की कमान अब वंदिता राणा की जगह पर रंजीता शर्मा (IPS Ranjeeta Sharma) को सौंपी गई है. 2019 बैच की राजस्थान कैडर की आईपीएस  रंजीता शर्मा कोई साधारण  अधिकारी नहीं है. वह देशभर  में  आईपीएस एसोसिएशन का ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्ड’ पाने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं.  यह अवॉर्ड आउटडोर ट्रेनिंग में प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है. आमतौर पर यह अवार्ड पुरुष प्रशिक्षु अधिकारी  ही लेते आएं है लेकिन रंजीता शर्मा ने इस इतिहास को बदलकर यह अवॉर्ड अपने नाम दर्ज किया.

आईपीएस रंजीता शर्मा – दौसा की नई एसपी

 आईपीएस बैच 2019  में देशभर से कुल 144 प्रशिक्षु अधिकारी थे . ट्रेनिंग के दौरान रंजीता शर्मा ने वितरित की गई कुल 50 ट्राफियों में से आठ ट्राफियां जीतने की उपलब्धि हासिल की थी.

आईपीएस रंजीता शर्मा दौसा आने से पहले कोटपूतली में  तैनात थीं. रंजीता शर्मा मूल रूप से हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गांव डहीना की रहने वाली हैं. उनकी योगा में रूचि है और पत्रकार बनना चाहती थीं. भारत में पत्रकारिता के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार भारतीय जनसंचार संस्थान ( indian institute of mass communication ) से उन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया था. इसके बाद उन्होंने जनसंपर्क के क्षेत्र में कई साल कम किया. रंजीता शर्मा कितनी मेहनती और धुन की पक्की हैं इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पांच दफा संघ लोक सेवा आयोग ( यूपीएससी – upsc ) की परीक्षा में नाकाम रहने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंतत परीक्षा पास करके आईपीएस बनीं.

वैसे उनके पति सागर भी उन्हीं के बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनको पश्चिम बंगाल कैडर मिला था लेकिन राजस्थान कैडर की पत्नी होने के कारण नियम के मुताबिक उन्होंने अपना कैडर बदलवाकर राजस्थान करवा लिया था. वैसे इसे करवाने में उनको बेहद जद्दोजहद करनी पड़ी थी क्योंकि पश्चिम ब्नागाल सरकार राज्य में आईपीएस अधिकारियों की कमी के कारण उनको यहां से मुक्त नहीं करना चाहती थी. इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी लेकिन इसमें सागर की ही जीत हुई.