मुंबई में आतंकवादियों का सामना करते हुए जान गंवा बैठे अपने वरिष्ठ अधिकारी आईपीएस हेमंत करकरे के बारे में की गई टिप्पणी से आहत मुंबई पुलिस के रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) रियाजुद्दीन गयासुद्दीन देशमुख ने विवादित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल के चुनावी मैदान में पटकनी देने की ठानी है. एसीपी रियाजुद्दीन गयासुद्दीन देशमुख, आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के चीफ रहे और अशोक चक्र से सम्मानित हेमंत करकरे के मातहत सब इंस्पेक्टर थे. एसीपी देशमुख का कहना है कि जिस दिन प्रज्ञा ठाकुर ने हेमंत करकरे के बारे में टिप्पणी की थी, उसी दिन उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर से चुनाव में मुकाबला करना सोच लिया था.
आईपीएस हेमंत करकरे 2008 में 26 /11 के मुंबई हमले में मारे गये थे और हाल ही में उनकी मौत पर, मालेगांव सीरियल बम धमाकों वाले केस की अभियुक्त रही विवादित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने टिप्पणी की थी कि उनकी मौत उनके कर्मों की वजह से और उनके दिये (प्रज्ञा ठाकुर के) श्राप की वजह से हुई थी. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का ये भी कहना था कि ये श्राप उन्होंने हेमंत करकरे की मृत्यु से एक महीना पहले ही दिया था.
वैसे इस टिप्पणी के बाद भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की संस्था आईपीएस एसोसिएशन ने चुनाव आयोग को ट्वीट करके शिकायत भी की थी और आयोग ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को नोटिस भी जारी किया है.
साठ वर्षीय रियाजुद्दीन गयासुद्दीन देशमुख ने कल भोपाल निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा है. समाचार एजेंसी पीटीआई को रिटायर्ड एसीपी रियाजुद्दीन ने बताया कि उन्होंने हेमंत करकरे के मातहत तब काम किया था जब करकरे अकोला में पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे. उस वक्त सब इंस्पेक्टर रहे रियाजुद्दीन ने कहा, ‘वो मेरे बॉस थे. बहुत बहादुर थे, बहुत सहयोग और प्रोत्साहन देते थे’.
प्रज्ञा ठाकुर का इलज़ाम रहा है कि हेमंत करकरे ने उनको तब टार्चर किया था जब उन पर मालेगांव सीरियल बम धमाकों वाले केस में अदालत में मुकदमा चल रहा था और वह जेल में विचाराधीन कैदी के तौर पर बंद थीं. प्रज्ञा ठाकुर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में भोपाल से चुनाव लड़ रही हैं.