पंजाब की ये घटना उन नौजवानों को होशियार करने के लिए काफी है जो पुलिस, सेना, अर्ध सैन्य बलों आदि में भर्ती होने की इच्छा पूरी करने के लिए सिफारिश व रिश्वतखोरी जैसे तौर तरीकों को आजमाने की फिराक में रहते हैं. ऐसे ही नौजवानों को फांसने के रैकेट का खुलासा हुआ है. ये पूरा गोरखधंधा एक उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) नरपिंदर सिंह और उसकी वकील पत्नी दीप किरन मिलकर चला रहे थे. दीप किरन खुद को जज बताया करती थी. इनको पंजाब में लुधियाना की पुलिस ने गिरफ्तार किया है .
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ये गिरोह सिपाही के तौर पर भर्ती कराने का 5 लाख से 8 लाख रुपये में और सब इंस्पेक्टर के ओहदे पर भर्ती कराने का तकरीबन 8 लाख रुपये में सौदा करता था. लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मनदीप सिंह सिधु ने बताया कि इस गिरोह को सीआईए-2 के प्रभारी इन्स्पेक्टर बेअंत जुनेजा और मोटी नगर थाने के एसएचओ सब इन्स्पेक्टर जगदीप सिंह गिल ने पकड़ा है. दीप किरन जमालपुर के सेक्टर 39 की रहने वाली है और वकील है जबकि नरपिंदर सिंह मानसा जेल में तैनात है. दोनों पति-पत्नी करीब 35 साल की उम्र के हैं. उनके दो फरार साथियों में साहनेवाल निवासी सुखदेव सिंह और मंडी गोबिंदगढ़ निवासी लखविंदर सिंह की तलाश जारी है. ये दोनों डीएसपी नरपिंदर सिंह के दोस्त हैं और पुलिस में भर्ती होने के इच्छुक ऐसे नौजवानों को फांसते थे जो शॉर्टकट में विश्वास रखते हों या भर्ती में चुने नहीं जा पा रहे हों.
पुलिस में भर्ती के नाम पर ठगने वाले इस गिरोह का खुलासा दीप किरन की गिरफ्तारी के बाद हुआ. पुलिस ने उसे पहले दबोचा जब वो अपनी स्विफ्ट कार में जा रही थी. कर में से पुलिस भर्ती के 10 फॉर्म और 1 लाख रुपये की नकदी मिली. बाद में, ठगी के धन से खरीदी गई आलिशान टोयोटा फॉर्च्यूनर कार और सोना भी बरामद हुआ.
ठग गिरोह के बारे लुधियाना में पुलिस को भनक तब लगी जब इनके हाथों ठगे गए उन 4 युवकों ने शिकायत की जिनसे पैसे तो ले लिए गए थे लेकिन उनको ये पुलिस में भर्ती नहीं करा सके. ये उनके पैसे भी लौटा नहीं रहे थे. गिरोह के पास से एक महिला पुलिस की वर्दी भी मिली है जिस पर श्रेया कपूर की नेम प्लेट है. उसका भी पता लगाया जा रहा है.
यूं मिले ये ठग :
पुलिस ने जो तथ्य बताए उसके हिसाब से डीएसपी नरपिंदर सिंह और उसकी वकील पत्नी दीप किरन की कहानी भी दिलचस्प है. इन दोनों की पहले भी अलग अलग शादियां हो चुकी है. तकरीबन 2 साल पहले ये एक दूसरे से सम्पर्क में आए थे. दीप किरन तब मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल की पहले सदस्य थी जो लुधियाना सेंट्रल जेल में काम के सिलसिले में जाया करती थी. तब डीएसपी नरपिंदर सिंह भी उसी जेल में तैनात था. वहीं इनकी जान पहचान व दोस्ती हुई. तकरीबन डेढ़ साल पहले इन्होने कपूरथला के एक मंदिर में विवाह किया था.
ठगी का तरीका :
सुखदेव सिंह और लखविंदर सिंह शिकार युवाओं को खोज कर लाते थे और वकील दीप किरन से ये कहकर मिलवाते थे कि वो जज हैं. फिर दीप किरन उनको मानसा जेल में डीएसपी नरपिंदर सिंह से मिलने के लिए भेज देती थीं. इससे युवाओं को तसल्ली हो जाती थी कि उनका काम हो जाएगा और वो इस गिरोह के झांसे में आकर मोटी मोटी रकम भी दे दिया करते थे.