पंजाब पुलिस प्रमुख तय करने में यूँ फंसा पेंच – सुरेश अरोड़ा के बाद DGP कौन ?

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सुरेश अरोड़ा
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुरेश अरोड़ा

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुरेश अरोड़ा की सेवानिवृत्ति के बाद भारत के पंजाब राज्य की ऐतिहासिक पुलिस की कमान कौन सम्भालेगा? इस सवाल को लेकर एक बार फिर चर्चाएं गर्म हैं क्यूंकि पंजाब समेत पांच राज्यों की सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उपजी स्थिति को देखते हुये केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस के वर्तमान महानिदेशक 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी सुरेश अरोड़ा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है.

पिछले साल सितम्बर में सेवानिवृत्ति की कतार वाले आईपीएस सुरेश अरोड़ा अब सितम्बर 2019 में रिटायर होंगे. सुरेश अरोड़ा की सेवा में तीसरी बार हुए इस विस्तार ने कुछेक अफसरों को तो महानिदेशक बनने की सम्भावना वाली फेहरिस्त से ही साफ़ कर दिया है.

पंजाब पुलिस के महानिदेशक बनने की इस सम्भावित सूची में जो नाम थे उनमें मार्च में रिटायर होने वाले 1985 बैच के आईपीएस हरदीप सिंह ढिल्लों और सितम्बर में रिटायर होने वाले 1986 बैच के जसमिंदर सिंह तो हैं ही केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW-रॉ) में तैनात सामंत कुमार गोयल का भी नाम आ गया है क्यूंकि उनकी सेवानिवृत्ति का समय मई 2020 है. उनके बाद ये मौका एसटीएफ के वर्तमान महानिदेशक 1985 के आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा का था जिनको फरवरी 2021 में रिटायर होना है.

सुरेश अरोड़ा
दिनकर गुप्ता, मोहम्मद मुस्तफा, सी एस आर रेड्डी.

क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ तय नियमों के हिसाब से पुलिस महानिदेशक के पद पर पुलिस संगठन का प्रमुख उसे ही बनाया जा सकता है जिस अधिकारी का दो साल का कार्यकाल बचा हुआ हो. मोहम्मद मुस्तफा को इस ओहदे का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन सुरेश अरोड़ा को मिले नये सेवा विस्तार ने ये सम्भावना धूमिल कर दी क्यूंकि सितम्बर 2019 के बाद उनका कार्यकाल डेढ़ साल का बचता है. वो दो साल वाले इस नियम के हिसाब से उपयुक्त नहीं हैं.

इसके बाद बचते हैं 1987 बैच के दिनकर गुप्ता जिनकी सेवानिवृत्ति मार्च 2024 में होनी है. यानि सुरेश अरोड़ा के बाद पुलिस प्रमुख के तौर पर काम करने के लिए उनके पास चार साल से ज्यादा का वक्त होगा. लेकिन उनके साथ के ही यानि पंजाब कैडर के 1987 बैच के ही तीन आईपीएस अधिकारी और हैं. इनमें एम. तिवारी (फरवरी 2022 में सेवानिवृत्ति), वीके भवरा (मई 2024 में सेवानिवृत्ति) और सीएसआर रेड्डी (मार्च 2020 में सेवानिवृत्ति). हालांकि सीएसआर रेड्डी के लिये तो मौका लगभग है ही नहीं क्यूंकि दो साल वाला पहलू अगर नजरन्दाज किये जाने की परिस्थिति यदि बनती है तो वरिष्ठता के आधार पर मोहम्मद मुस्तफा का नम्बर पहले आयेगा.

अब खबर है कि किसी विवाद और अफ़सरशाही की सियासत और लाबिंग के दबाव से बचने के लिये पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पुलिस महानिदेशक के ओहदे के लिये पांच की बजाय उन सभी नौ अधिकारियों के नाम का पैनल केंद्र सरकार के पास भेज दिया है जो अधिकारी महानिदेशक बनने की वरिष्ठता रखते हैं.

सुरेश अरोड़ा को कैप्टन अमरिंदर सिंह से पहले वाली प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल – भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की सरकार में 2015 में पुलिस महानिदेशक बनाया था. आमतौर पर पंजाब और अन्य राज्यों में नई पार्टी की सरकार आने पर सबसे पहले जो अफसर बदले जाते हैं उनमें पुलिस महानिदेशक का ओहदा लिस्ट में ऊपर ही होता है लेकिन पंजाब में इस बार आई सरकार ने सुरेश अरोड़ा को पुलिस प्रमुख के तौर पर जारी रखा था.

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति के सम्बन्ध में प्रक्रिया की रूपरेखा तय करते हुए कहा था कि तमाम राज्य कार्यरत पुलिस महानिदेशक की सेवानिवृत्ति से कम से कम तीन महीने पहले उन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का पैनल लोक संघ सेवा आयोग के पास भेजें जो पुलिस प्रमुख बनाये जाने के लायक समझे जाते हों. इसके बाद लोक संघ सेवा आयोग उनमें से तीन नाम की छंटनी करके तीन नाम राज्य सरकार के पास भेजेगा जिनमें से किसी एक को वहां की पुलिस का प्रमुख बनाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट की जुलाई 2018 में दी गई इस प्रक्रिया में बदलाव के लिए पंजाब, हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार ने याचिका दाखिल की थी जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.

क्यूंकि ये प्रक्रिया जुलाई में तय हुई लेकिन सुरेश अरोड़ा की सेवानिवृत्ति सितम्बर में ही होनी थी लिहाज़ा पंजाब सरकार ने उनके कार्यकाल में विस्तार कर दिया. इस बीच प्रक्रिया के खिलाफ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. इस बीच जहां याचिका लम्बित रही वहीं पंजाब पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा को सेवा विस्तार मिलता रहा.