ये नाक का सवाल था, पुलिस की अकड़ थी या सिर्फ 20 रुपये की बात. लेकिन बरसों पुरानी इस घटना का भूत एक बार फिर पंजाब पुलिस को परेशान करने आ गया है. पंजाब पुलिस को शर्मसार करने वाली ये घटना जो 20 रुपये से शुरू हुई फिर हाई कोर्ट तक पहुंची और आज लाखों की रिश्वतखोरी भी इससे जुड़ गई. अब तक एसएसपी रैंक के अधिकारी इस काण्ड की चपेट में आये थे और अब तो इसकी आंच ने आईजी स्तर के एक आईपीएस अधिकारी को अपने घेरे में ले लिया. इस बीच जांच के घेरे में आए फिरोजपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) गुरिंदर सिंह ढिल्लों का आज देर रात ट्रांसफर कर दिया गया है. उनकी जगह मुखविंदर सिंह छीना को आईजीपी फिरोजपुर रेंज बनाया गया है.
मामला पंजाब के विजिलेंस विभाग से रिटायर हुए उन विवादास्पद एसएसपी शिव कुमार शर्मा से जुड़ा है जिन्होंने आय से अधिक सम्पति के एक मामले में अरसा पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तक से भी पूछताछ की थी. इतना ही नहीं उनके सलाहकार बी आई एस चहल को और पुलिस महानिदेशक एस एस विर्क को भी गिरफ्तार किया था.
विवाद की शुरुआत :
पंजाब पुलिस में ‘पटवारी केस’ नाम से चर्चित इस मामले और विवाद की शुरुआत तब हुई जब शिव कुमार शर्मा ने फतेहगढ़ साहिब ज़िले के रुड़की गाँव की अपनी ज़मीन की राजस्व रिपोर्ट (फर्द) मुहैया करने के लिए पटवारी मोहन सिंह को कहा. पटवारी मोहन सिंह ने रिपोर्ट दे दी लेकिन उसे जारी करने की फीस के तौर पर शिव कुमार शर्मा से 20 रुपये मांगे. ये सरकारी फीस थी लेकिन एसएसपी शर्मा को पटवारी का फीस जमा कराने की बात कहना शायद तौहीन लगा और उन्होंने रुपये देने से इनकार कर दिया.
इस घटना के बाद, धान की सरकारी खरीद में गड़बड़ी के एक मामले में रिश्वतखोरी के केस में पटवारी मोहन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया इसकी जांच के दौरान थाने में उन्हें न सिर्फ नंगा किया गया बल्कि इलज़ाम तो ये तक है कि एक पुलिसकर्मी को पटवारी से अप्राकृतिक कृत्य करने को कहा गया. यही नहीं, इसकी वीडियो फिल्म भी बनवाई गई.
मुख्यमंत्री बादल ने कराई जांच :
पटवारी मोहन सिंह ने ये सारा मामला पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तक पहुंचाया तो उनके विशेष प्रमुख सचिव आईएएस अधिकारी काहन सिंह पन्नू ने इसकी जांच की जिसमें पटवारी मोहन सिंह को यातना देने में शिव कुमार शर्मा का कसूर सामने आया. इसके बाद शिव कुमार शर्मा और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गये लेकिन किन्ही दबाव की वजह से मामला दबा दिया गया. इसके बाद दूसरी जांच कराई गई जिसमें एसपी रैंक के एक अफसर ने शिव कुमार शर्मा को क्लीन चिट दे दी. शिव कुमार शर्मा के अलावा तीन और पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों सुरिंदर पाल सिंह विर्क, जसपाल सिंह और एसएस ग्रेवाल को भी 2013 में इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई थी जो शुरू में मल्लान्वाला थाने में 2012 में दर्ज हुआ था.
अभी अभी ये हुआ :
हाल ही में फिरोजपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने उसी केस की फिर से जांच के लिए एसआईटी गठित की जिसने शिव कुमार शर्मा के ठिकानों पर छापे मारे और कुछ दस्तावेज़ व सामान जब्त किया. शिव कुमार गायब हो गया और बाद में अदालत से अपनी गिरफ्तारी से पहले ही ज़मानत ले ली.
शिव कुमार शर्मा ने इस मामले की सीबीआई को शिकायत की जिसमें आरोप लगाया कि उसके खिलाफ दर्ज किये जाने वाले मामले को हल्का करने के लिए रिश्वत माँगी जा रही है. उसकी शिकायत पर CBI ने लुधियाना में अशोक कुमार गोयल को तब रंगे हाथ गिरफ्तार किया जब वो दस लाख रुपये की रकम बतौर रिश्वत ले रहा था. बाद में उसके घर से पांच लाख रुपये और मिले. ये रकम भी इसी रिश्वत की एक किश्त थी, जैसाकि शिव शर्मा ने CBI को बताया .
सीबीआई ने 17 अगस्त को IG गुरिंदर सिंह ढिल्लों से भी पूछताछ की और शिव शर्मा के केस से जुड़े दस्तावेज़ भी देखे. IG ढिल्लों का कहना है कि ये सब शिव शर्मा के उन पर दबाव बनाने के हथकंडे हैं. आई जी गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने मीडिया को बताया कि सीबीआई अधिकारीयों ने उनसे कुछ सवाल किये थे जिसके उन्होंने जवाब दे दिए. सीबीआई ने श्री ढिल्लों के पटियाला और फिरोजपुर में घरों पर भी छापा मारा था. श्री ढिल्लों ने कहा कि वे किसी तरह के दबाव में नहीं आयेंगे. शिव कुमार के केस में कानून के हिसाब से कार्रवाई जारी रहेगी.
हाई कोर्ट में भी केस :
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 19 जुलाई को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के पूर्व एसएसपी शिव कुमार शर्मा की याचिका पर उनकी गिरफ्तारी पर रोक सम्बन्धी आदेश देने से पहले उन्हें डीएसपी के सामने पेश होने को कहा था. शुरू में अगस्त 2012 फिरोजपुर के सदर थाने में पटवारी मोहन सिंह को रिश्वतखोरी के मामले में फंसाने का केस दर्ज हुआ था. हाल ही में इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक कृत्य का अपराध भी जोड़ा गया. शर्मा के वकील ने इसे गलत बताया. उनका कहना था कि पुलिस इस मामले में 11 नवम्बर 2013 को अदालत में, उस मामले का चालान अथवा अंतिम जांच रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है जो 23 अगस्त 2012 को दर्ज हुआ था. ऐसे में बिना उस अदालत को बताये या बिना अनुमति लिए केस में और अपराधों की धारायें नहीं जोड़ी जा सकती और न ही इस तरह से दुबारा जांच की जा सकती है. तब पुलिस ने IPC की धारा 167, 211, 355 और 506 के तहत केस किया था. बाद में अब 9 जुलाई को फिरोजपुर के सदर थाने में डी डी रिपोर्ट में IPC और धारायें 193, 377, 511, 295 -A , 201 और 120 -B जोड़ीं थीं.
इस मामले पर जस्टिस अरविन्द सिंह सांगवान ने नोटिस जारी करते हुए 5 दिसम्बर को सुनवाई का दिन तय किया और कहा कि याचिका कर्ता शिव कुमार शर्मा दस दिन के भीतर फिरोजपुर के पुलिस उपाधीक्षक (DSP) जांच के सामने पेश हों. साथ ही उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक उसी तरह जारी रखने का भी आदेश दिया.
शिव कुमार के बेटा भी शिकंजे में :
शिव कुमार शर्मा को पंजाब सरकार ने 2008 विजिलेंस ब्यूरो से तब हटाया था जब उनके बेटे मोहित शर्मा को चर्चित हीरा लूट काण्ड में गिरफ्तार किया गया था. मोहित के साथ शिव शर्मा के गनमैन अमनदीप सिंह का नाम भी इस काण्ड की जांच में सामने आया था. ये लूटपाट गुजरात से आये हीरा व्यापारियों से की गई थी. वैसे मोहित तब खुद लुधियाना में हीरों का व्यापार करता था. वहां उसकी दुकान भी थी और घर भी. तब जलंधर की पुलिस ने उसके घर पर मारे छापे में करोड़ों रुपये कीमत के वो हीरे भी ज़ब्त किये थे जो व्यापारियों से लूटे गये थे. उसके बाद शिव शर्मा के पटियाला स्थित सरकारी आवास पर भी पुलिस ने छापा मारा था. वहां से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज़ भी मिले थे.
CBI ने पंजाब पुलिस के आईजी के नाम से 10 लाख की रिश्वत लेने वाला पकड़ा