भारतीय सेना ने इलज़ाम लगाया है कि बौखलाए हुए कुछ हानिकारक तत्व मणिपुर की घटनाओं में मनगढ़ंत किस्से गढ़कर केन्द्रीय बलों और खासतौर से असम राइफल्स की छवि खराब करने की बार बार नाकाम कोशिश कर रहे हैं जबकि असम राइफल्स 3 मई से लोगों के जीवन की रक्षा और शान्ति कायम करने में लगी है . यह ट्वीट भारतीय थल सेना की स्पीयर कोर (spear corps ) ने किया है . यू तो असम राइफल्स एक अर्ध सैन्य बल जो केंद्र सरकार के अधीन है लेकिन सीमा की सुरक्षा और आंतरिक कानून व्यवस्था में भी यह भूमिका निभाता है. यहां यह बल सेना के ऑपरेशनल क्षेत्र में आता है .
असल में सेना की तरफ से ऐसी पोस्ट सोशल मीडिया पर तब डाली गई है जब मणिपुर पुलिस ने एक मामले में असम राइफल के खिलाफ एक एफ आई आर दर्ज की है . पुलिस का कहना है कि असम राइफल्स के जवानों ने उसको उस क्षेत्र में जाने से रोका जहां हत्याओं के मामले के अपराधी के मौजूद होने की खबर मिलने पर पुलिस घेराबंदी करने की कोशिश कर कर रही थी . यह घटना 5 अगस्त की विष्णुपुर की है जहां कुछ आदिवासी आतंकियों के छिपे होने के आशंका थी . जिस वक्त मणिपुर पुल्लिस वहां जा रही थी तो रास्ते में असम राइफल्स की 9 बटालियन के जवानों ने रोका और आगे बढ़ने नहीं दिया.
मणिपुर पुलिस के सब इंस्पेक्टर एन देवदास सिंह ने फुगाचा इखई थाने में यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया कि कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने एक पिता पुत्र और उनके पड़ोसी को उनके घर के अंदर ही मार डाला था. पुलिस जब अपराधियों को धर पकड करने क्वाक्ता इलाके में जा रही थी तो असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के जवानों ने आपनी बख्तरबंद गाडी बीच रास्ते में लगा कर पुलिस को आगे बढ़ने से रोक दिया. पुलिस टीम का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक (एसपी ) स्तर के अधिकारी कर रहे थे और उनके साथ कुछ कमांडो थे. एफ आई आर में आरोप लगाया है कि असम राइफल्स के जवानों ने कुकी आतंकियों को वहां से सुरक्षित बच निकलने का मौका दिया.
असम राइफल्स और पुलिस की कहा सुनी का वीडियो सोमवार को जब वायरल हो गया तब महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया बिश्नुपुर में उस मोइरंग लमखाई नाके से अर्द्धसैनिक बल के जवान हटा लिए गए. क्वाक्ता इलाके में 5 अगस्त की सुबह 3 लोगों की हत्या के बाद प्रतिक्रिया स्वरुप फायरिंग में 3 और मौतें हुई तथा 16 लोग फायरिंग और मोर्टार शेलिंग में घायल हो गये. इसी इलाके से अपने घर छोड़ने पर मैतेई पंगाल ( मुस्लिम ) समुदाय के लोग मजबूर हुए थे. स समुदाय के लोगों का प्रतिनिधिमंडल राज्य के सुरक्षा सलाहकार से मिला 3 महीने से भी ज्यादा वक्त से चल रहे हिंसा रोक शान्ति स्थापित करने की मांग की.
सेना की स्पीयर कोर का कहना है कि मणिपुर के हालात में काम करने में विभिन्न बलों के बीच कुछ पेचीदगियां सामने आ जाती हैं. आपसी बातचीत के ज़रिये इनको सुलझा लिया जाता है. कहा गया है कि 24 घंटे के दौरान ऐसी दो घटनाएं हुई हैं जिसमें असम राइफल्स को बदनाम करने की कोशिश की गई है . एक मामले में असम राइफल्स की बटालियन ने बफर ज़ोन में दो समुदायों के बीच हिंसा को रोकने के लिए संयुक्त मुख्यालय के तय नियम कायदों का सख्ती से पालन करते हुए कारवाई की . एक अन्य इलाके में सेना की इन्फेंटरी बटालियन तभी से तैनात है जब से वहां हिंसा की शुरुआत हुई लेकिन ऐसे भ्रम फैलाया जा गया है कि जैसे वहां पर असम राइफल्स तैनात थी व उसे हटा दिया गया हो.