भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रभाकर चौधरी का एक बार फिर से तबादला कर दिया गया है. इस बार उनको उत्तर प्रदेश के बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ( एस एस पी – ssp ) के पद से हटाकर पीएसी में भेज दिया गया है. बरेली में उन कांवड़ियों पर लाठीचार्ज की घटना के बाद आईपीएस प्रभाकर चौधरी को हटाया गया जो कांवड़िये बवाल करने पर तुले हुए थे . कांवड़ियों के बीच में से किसी ने तमंचे से फायरिंग भी की थी .
अपनी सादगी और ईमानदार छवि के कारण चर्चा में रहने वाले 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रभाकर चौधरी ( ips prabhakar chaudhary ) अपने तबादलों की वजह से भी सुर्ख़ियों में रहते रहे हैं . अपने तेरह साल के पुलिस करियर में उनका 21 दफा तबादला हो चुका है . कई जिलों में एसएसपी या एसपी रहे प्रभाकर चौधरी को बरेली का एसएसपी तैनात किये मुश्किल से चार महीने हुए हुए थे . रविवार की देर रात उनका तबादला कर दिया गया. प्रभाकर चौधरी को यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित पीएसी की 32 वीं बटालियन (pac 32nd ) में तैनात किया गया है . उनके स्थान पर सीतापुर के एसएसपी सुशील घुले चंद्रभान को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया है .
आईपीएस प्रभाकर चौधरी की बरेली से रुखसती का कारण कांवड़ियों के मचे बवाल में खोजा जा रहा है . असल में बरेली में कुछ लोग साम्प्रदायिक सौहार्द खराब करके गड़बड़ी कराने की फिराक में लगे हए थे. आईपीएस प्रभाकर चौधरी के आदेश के बाद पुलिस ने बिना पक्षपात सख्त कार्रवाई की और राजनीतिक दबाव या दखल की भी परवाह नहीं की थी.
काम करने का अलग अंदाज़ :
यूँ तो आईपीएस पीएस प्रभाकर चौधरी सादगी से काम करते हैं लेकिन उनका अंदाज बेहद अनूठा है . 15 जून 2021 को उनको जब मेरठ का एसएसपी ( ssp meerut ) बनाया गया तो ज्वाइनिंग से पहले 15 से 17 जून तक छुट्टी पर रहे. मज़े की बात कि इस दौरान उन्होंने फ़िल्मी स्टाइल में गुपचुप तरीके से शहर घूमा और हालात का जायजा लिया. मेरठ चोरी के वाहनों की बिक्री के लिए दशकों से बदनाम रहा है . प्रभाकर चौधरी ने आते ही वाहन माफियाओं की लिस्ट तैयार की . वाहन चोरों के सरगना नईम उर्फ हाजी गल्ला की करोड़ों की जायदाद की जब्ती की गई है. इसके अलावा कई अन्य अपराधियों की कुर्की हुई. कुछ ही अरसे में तकरीबन 50 से ज्यादा वाहन चोरों को जेल भिजवाया .
आईपीएस प्रभाकर चौधरी उस वक्त भी काफी चर्चा में आए थे जब वह पीठ पर स्टूडेंट की तरह बैग टांग कर और रोडवेज बस में सफर करके होकर कानपुर में एसपी के ओहदे का चार्ज संभालने पहुंचे थे. उनका कहना था कि ऐसा करना उनके लिए आम दिनचर्या जैसा था. परिवार लखनऊ में था . उनको अकेले आना था और कानपुर कोई ज्यादा दूर है नहीं . सो जैसा छात्र जीवन में बस में आते जाते थे , वैसा ही अब किया था .
प्रभाकर चौधरी पुलिस महकमे में नए प्रयोग भी करने के लिए चर्चा में आते हैं . देवरिया में बतौर एसपी की इन्होंने जोड़ जुगाड़ की जगह योग्य थानेदारों की तैनाती का सिस्टम तैयार किया था. इसके लिए दरोगाओं का इम्तिहान लिया जाता था . मेरिट के आधार पर ही थाने का इंचार्ज बनाया जाता था . ऐसे में इनके यहां तैनाती में किसी नेता , विधायक या मंत्री आदि की कोई सिफारिश नहीं चलती थी. ऐसे में आम लोग इनको पसंद करते थे.
कौन हैं प्रभाकर चौधरी :
बचपन से ही पढ़ने में दिलचस्पी रखने वाले प्रभाकर चौधरी का जन्म 1 जनवरी 1984 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में हुआ. इनके पिताजी का नाम पारस नाथ चौधरी है. प्रभाकर रोज पांच से छह घंटे पढ़ाई किया करते थे. बचपन में प्रभाकर चौधरी केमेस्ट्री के लेक्चरर ( chemistry lecturer ) बनना चाहते थे. इंटरमीडिएट में 76 प्रतिशत अंक ही प्राप्त किए तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी 61 प्रतिशत अंकों लेकर पास की . बाद में एलएलबी की पढ़ाई की और पहली ही बार में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर आईपीएस बन गए. प्रभाकर 2010 बैच में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में कामयाब हुए .