जुनून के आगे कुछ मायने नहीं रखता और कभी कभी तो किस्मत भी जुनूनी किस्म के शख्स के आगे घुटने टेक देती है. ये सच्ची घटना एक ऐसे ही शख्स की है. नाम है मनोज कुमार रावत. अब तक वो पुलिस में सिपाही था और अब शायद होगा भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का अधिकारी. राजस्थान के एक मामूली से परिवार का मनोज उन नौजवानों और युवतियों में से एक है जिन्हें UPSC की 2017 परीक्षा के शुक्रवार को आये फाइनल नतीजों में कामयाबी हासिल हुयी है. दिलचस्प तो ये भी है कि मनोज इस कामयाबी का श्रेय एक हिंदी फिल्म ‘इन्डियन’ में सनी देयोल के निभाए किरदार राज शेखर आज़ाद को देता है जो फिल्म में एक IPS अधिकारी है.
- 29 साल के मनोज ने ये फिल्म तब देखी थी जब वो आठवीं क्लास में थे. मनोज अनुसूचित जाति से है, इसी वजह से (आरक्षण से) 824 रैंक के बावजूद उनके आईपीएस बनने के मौके हैं. सामान्य श्रेणी में IPS के लिए इस फेहरिस्त में 400 से नीचे रैंक वाले ये मौका नहीं पा सकते.
पुलिस में कांस्टेबल जैसे सबसे छोटे रैंक की खाकी से IPS की सितारों वाली वर्दी तक पहुंचने का मनोज का सपना और सफर आसान नहीं रहा. सरकारी स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद मनोग ने प्राइवेट उम्मीदवार के तौर पर 2007 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीए पास की और पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हो गये. पुलिस में नौकरी के दौरान ही 2012 में मनोज रावत ने राजनीति शास्त्र में एमए किया और फिर इसके बाद ही पुलिस छोड़कर अदालत में क्लर्क (एलडीसी) की नौकरी कर ली.
शुरू में तो लोगों ने उसे बहुत समझाया कि UPSC की परीक्षा के चक्कर में क्लर्क की नौकरी न छोड़ना, कहीं ऐसा न हो कि नौकरी भी छूटे और इम्तेहान भी क्लियर न हो. UPSC के इस पांचवें प्रयास की कामयाबी से पहले भी उसने कुछ अहम इम्तेहान पास किये थे हालांकि जिनमें CISF में सहायक कमांडेंट की परीक्षा भी शामिल थी. इसके साथ ही मनोज ने पीएचडी भी शुरू कर डाली, साथ ही दो दफा उनका जूनियर फेलोशिप के लिए भी चयन हो गया.
एक शिक्षक की सन्तान होने के नाते अध्ययन और अध्यापन के गुण तो उन्हें विरासत में मिले लेकिन इसमें कैरियर के तौर पर उनकी कभी भी दिलचस्पी नहीं रही. उनका सपना तो बस IAS या IPS बनने का था.