अब दिल्ली की तर्ज पर वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने की कवायद शुरू हो चुकी है. लखनऊ पुलिस इसके लिए एक स्पीड प्लान तैयार करने में जुटी हुई है, जिसके बाद अलग-अलग इलाकों में वाहन चलाने के लिए स्पीड निर्धारित कर दी जाएगी. निर्धारित से ज्यादा स्पीड से अगर वाहन चलाते पकड़े गए तो यातायात पुलिस वाहन चालकों पर जुर्माना भी लगाएगी. यह पहल अच्छी है. लेकिन यह समस्या तो पूरे प्रदेश की है और यह प्लान अगर सब जगह लागू हो तो बेहतर होगा. यह स्कीम दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में पहले से लागू है.
लखनऊ पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक शहर के लिए त्रिस्तरीय स्पीड प्लान तैयार कर लिया गया है. वरिष्ठ अधिकारियों की मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा.
दरअसल, राजधानी में पिछले तीन महीनों के भीतर हुए सड़क हादसों में लगभग 200 लोगों की मौत हो चुकी है. तेज रफ्तार के चलते पिछले तीन महीने में 491 हादसे हुए, जिसमें 306 लोग घायल हुए हैं. पिछले एक वर्ष में 2700 सड़क हादसों में घायलों की संख्या 1486 तक पहुंच गई है. इसीलिए ओवर स्पीड पर अंकुश लगाकर हादसों को कम करने की कवायद शुरू की जा रही है.
लखनऊ पुलिस की मानें तो शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में स्पीड 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की जा रही है. इसके अलावा बाहरी इलाकों में रफ्तार 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाएगी. शहर को जोड़ने वाले हाईवे के लिए गाड़ियों की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटे तय की जा रही है.
अधिकारियों के मुताबिक निर्धारित गति से ऊपर वाहन चलाने वाले लोगों के खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए यातायात पुलिसकर्मियों को स्पीडोमीटर दिए जाएंगे. पुलिसकर्मी स्पीडोमीटर से वाहन की रफ्तार आसानी से नाप सकेंगे. इसके बाद उस वाहन को रोककर चलान काटा जाएगा.
लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार के मुताबिक वाहनों की गति निर्धारित करने को लेकर विचार विमर्श चल रहा है. अगर वाहन चालक भीड़-भाड़ वाले इलाके में निर्धारित गति से वाहन चलाएंगे तो इससे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.