आखिरी सलाम घुम्मन साहब : जीवन भर की अपनी पेंशन साथियों को दे डाली

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आरएस घुम्मन की यह तस्वीर मई 2014 की है जब वह बतौर डीआईजी रिटायर हुए थे. यह उनकी पुलिस विभाग से विदाई की फोटो है.

चुपचाप अपना फर्ज़ निभाते हुए, काम करते हुए रिटायर हो जाने वाले कुछ सरकारी अधिकारी ऐसे भी होते हैं जिनके काम या किसी विशेषता को लोग लम्बे समय तक याद रखते हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं जो मिसाल बन जाते हैं और कइयों के लिए प्रेरणा भी. चंडीगढ़ में बतौर पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रिटायर हुए आरएस घुम्मन भी कुछ ऐसा कर गये.

लम्बे समय तक दिल्ली और उसके बाद चण्डीगढ़ ही उनकी कर्मभूमि रही जहां रविवार को उन्होंने आखिरी सांस ली. लम्बे समय से बीमार थे रजिंदर सिंह घुम्मन जिन्हें लोग आरएस घुम्मन के तौर भी जानते रहे. पंजाब के संगरूर के मूल निवासी आरएस घुम्मन का अंतिम संस्कार भी वहीं किया गया. पांच साल पहले जब वह रिटायर हुए थे तो पूरी जिंदगी की अपनी पेंशन दान करने की शपथ दे गये थे. ये मई 2014 की बात है. आरएस घुम्मन चाहते थे कि उनको मिलने वाली पेंशन उन पुलिसकर्मियों के परिवारों के कल्याण में खर्च कर दी जाए जिनकी ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है.

1983 के दानिप्स (DANIPS) कैडर के पुलिस अधिकारी आरएस घुम्मन ने दिल्ली पुलिस में कई सब डिवीजन और यूनिटों में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के ओहदे पर काम किया. वो जिलों में एडीशनल डीसीपी भी रहे और रेलवे पुलिस के भी प्रभारी रहे. एक समय में वह दिल्ली पुलिस कमिश्नर के कानूनी सलाहकार भी थे. उन्होंने 1993 -94 में पंजाब पुलिस को भी अपनी सेवाएं दीं और पंजाब के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में बतौर एसपी तैनात रहे.

इसके बाद एक बार फिर आरएस घुम्मन की तैनाती चंडीगढ़ में हुई और 2008 में वह वहां एसपी (ऑपरेशंस एंड ट्रेनिंग) बने. चंडीगढ़ पुलिस में ही तैनाती के दौरान उन्हें तरक्की देकर एसएसपी बनाया गया. फिर यहीं पर आरएस घुम्मन डीआईजी भी बने और चंडीगढ़ के डीआईजी के तौर पर रिटायर हुए.

दिल्ली पुलिस की अपराध और रेलवे शाखा में तैनाती के दौरान उन्हें कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए अमेरिका के लॉस एंजेलिस में ‘वेबर सीवे’ अवार्ड दिया गया था. इस सम्मान के आवेदन के लिए दुनिया भर की पुलिस से 200 एंट्री आई थीं. ये पहला मौका भी था जब दिल्ली पुलिस को ये सम्मान ‘आइज़ एंड इयर्स’ (Eyes and Ears) के लिए मिला था. अमेरिका में सम्मानित इस योजना को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नोडल प्रोजेक्ट के तौर पर स्वीकार किया था. आरएस घुम्मन को 2002 में सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था. यही नहीं 2012 में 15 अगस्त को उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए भी राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया.

पुलिस में 31 साल की नौकरी करने के बाद रिटायरमेंट के वक्त अपनी पेंशन सम्बन्धी शपथ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था कि उनके पास संगरूर में पुश्तैनी जमीन है जिस पर खेती होती है और वह सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि उन्होंने ऐसे कई पुलिसकर्मियों के परिवारों को तंगहाली में देखा है जिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत हुई. आरएस घुम्मन इसीलिए चाहते थे कि उनकी पेंशन की रकम ऐसे पुलिसकर्मियों के परिवारों की मदद में खर्च की जाए.

रक्षक न्यूज की टीम की तरफ से ऐसे प्रेरणास्रोत अधिकारी को भावभीनी श्रद्धांजलि.