दिल्ली हाई कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस पूनम ए बाम्बा ( justice poonam a bamba ) को दिल्ली की पुलिस शिकायत अधिकरण ( police complaints authority -PCA ) का अध्यक्ष बनाया गया है. दिल्ली सरकार के मातहत काम करने वाली यह पीसीए पुलिसकर्मियों के खिलाफ मिलने वाली उन गम्भीर किस्म की शिकायतों पर कार्रवाई करती है जिनमें पुलिस ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल किया हो. पीसीए के पास ऐसे मामलों का स्वत: संज्ञान लेने और जांच कराने के भी अधिकार है.
दिल्ली के उपराज्यपाल विनोद कुमार सक्सेना ने , अधिकरण के प्रमुख के पद पर हाल ही में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लेने वाले , जस्टिस ( रिटायर्ड ) पी एस तेजी की जगह जस्टिस ( रिटायर्ड ) पूनम ए बाम्बा की नियुक्ति को मंज़ूरी दी है . जस्टिस तेजी का पीसीए के अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल 13 अगस्त को पूरा हो गया था.
कौन हैं जस्टिस पूनम ए बाम्बा :
दिल्ली में पली – बड़ीं 62 वर्षीय जस्टिस ( सेवानिवृत्त ) पूनम ए बाम्बा दिल्ली यूनिवर्सिटी ( delhi university ) के हंसराज कॉलेज में विज्ञान की छात्रा रही हैं. उन्होंने यहां से बोटनी ऑनर्स करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी की ही लॉ फैकल्टी से एल एल एल बी और एल एल एम किया. यही नहीं विधि प्रशासन में भी उन्होंने डिप्लोमा कोर्स दिल्ली के इंडियन लॉ इंस्टिट्यूट से ही किया . पूनम ए बाम्बा ने यहां की जिला अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस की. उन्होंने विभिन्न बैंकों के साथ भी काम किया और कई विदेशी संस्थाओं के कार्यक्रमों का हिस्सा रहीं. दिल्ली प्रमुख तौर पर लेकिन मुंबई भी उनकी कर्मभूमि रही है.
एक जज के तौर पर 19 साल के कार्यकाल का अनुभव रखने वाली पूनम ए अग्रवाल 5 दिसंबर 2005 को दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा में शामिल हुई. दिल्ली की विभिन्न अदालतों में उन्होंने विभिन्न तरह के मुकदमों का फैसला किया . वह लेखिका भी हैं और उनकी 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं . बैंकिंग और आर्थिक विषयों पर अपनी विशेष पकड़ रखने वालीं जस्टिस पूनम ए बाम्बा क़ानून के विद्यार्थियों को यदाकदा पढ़ाती भी हैं . कॉलेज के जमाने में ‘ बेस्ट एथलीट ‘ पूनम ए बाम्बा को मानवीय संबंधों के विभिन्न आयामों और पर्यावरण से जुड़े विषयों में काफी दिलचस्पी है. बर्ड वाचिंग ( bird watching) यानि पक्षियों का अवलोकन उनका एक विशेष शौक है.
पीसीए क्या है :
पीसीए यानि पुलिस कम्प्लेंट्स अथॉरिटी का बनाने का मकसद पुलिस के कामकाज में और न्याय प्रणाली में पारदर्शिता लाना है ताकि पुलिस व नया प्रणाली में जनसाधारण का भरोसा भी बड़े , साथ ही पुलिस को निरंकुश होने से रोका जा सके. इसीलिए इसमें अहम पैनल में वरिष्ठ और अनुभवी जज , सिविल प्रशासन ( आईएएस) और पुलिस के अधिकारी ( आईपीएस ) अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं. पीसीए मानवाधिकार आयोगों या सरकारी विभागों से , पुलिस के खिलाफ प्राप्त होने वाली शिकायतों की जांच करा कर उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करता है. हालांकि ऐसे मामले में दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करने का अंतिम फैसला वहां के शासन प्रमुख या पुलिस प्रमुख आदि को ही करना होता है .
पीसीए को लेकर शासन में बेरुखी :
भारत की सुप्रीम कोर्ट के 2006 में , प्रकाश सिंह बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया व अन्य केस , में दिए गए फैसले के मद्दे नज़र पुलिस सुधार कार्यक्रम के तहत राज्य व जिला स्तर पर पुलिस कम्प्लेंट्स अथॉरिटी ( पीसीए ) बनाई जानी है. यूं तो देश की राजधानी दिल्ली में ही इसका गठन काफी देर से 2018 में हुआ जबकि अभी भी देश के बहुत से राज्यों ने इसका गठन नहीं किया या इस अधिकरण के प्रति गम्भीर रुख नहीं दिखाया है . दिल्ली पुलिस अधिकरण में अध्यक्ष समेत 4 सदस्य होते हैं जिनमें कम से कम एक महिला का शामिल होना अनिवार्य है.
शासन तंत्र और सरकारें इस अथॉरिटी जैसी संस्थाओं को लेकर कितनी गंभीर है उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीसीए अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसके स्थान पर नई नियुक्ति की मंज़ूरी भी दो महीने बाद हुई. अभी नए सदस्यों की नियुक्ति तो होनी तो संभवत: बाकी है. यह लेख लिखे जाने तक ( 18 अक्टूबर 2023 ) पीसीए की आधिकारिक वेबसाइट पर अध्यक्ष के अलावा दो अन्य सदस्यों के पद भी खाली होने की सूचना है. जस्टिस तेजी के साथ भारत सरकार में सचिव रही , भारतीय प्रशासनिक सेवा ( आई ए एस ) की रिटायर्ड अधिकारी नूतन गुहा बिस्वास और भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस) के रिटायर्ड अधिकारी पी . कामराज पीसीए में थे. वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ वर्तमान में यह अधिकरण एकमात्र सदस्य टीनू बाजवा के बूते पर काम कर रहा है. टीनू बाजवा जानी मानी वकील हैं .