जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से गैंगरेप और हत्याकांड को सुलझाने वाली राज्य की क्राइम ब्रांच की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी-SIT) की एकमात्र महिला मेम्बर और पुलिस उपाधीक्षक (DySP) श्वेताम्बरी शर्मा का कहना है कि बेहद संवेदनशील इस केस को सुलझाने में हमें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने मीडिया को पूरी कहानी बताई कि हम किस तरह केस के अंजाम तक पहुंचे. इस बीच बता दें कि देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने ट्वीट करके श्वेताम्बरी शर्मा को ‘सलाम’ किया है.
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जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा की 2012 बैच की DySP श्वेताम्बरी शर्मा मूलत: जम्मू की रहने वाली हैं. पुलिस अफसर बनने से पहले श्वेताम्बरी यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट पढाती थीं. पुलिस ज्वाइन करने के बाद भी पढाई जारी रखी और डाक्ट्रेट की उपाधि हासिल की. बकौल श्वेताम्बरी “उस 8 साल की मासूम पर हुए जघन्य अत्याचार में हमें जिन लोगों के शामिल होने का शक था उन्होंने हमारी जांच में जितनी अड़चनें वे पैदा कर सकते थे उन्होंने पैदा कीं. इसमें उनके रिश्तेदार, उनसे सहानुभूति रखने वाले और कई वकील शामिल थे. उन्होंने अड़चनें ही नहीं पैदा कीं बल्कि बुरी तरह अपमानित और परेशान भी किया. लेकिन हमने भी ठान ली थी पीछे नहीं हटेंगे.”
घटनाक्रम ये था कि 10 जनवरी को कठुआ जिले में हीरानगर के रासना गांव की एक 8 साल की बच्ची लापता हो गई थी. उसे अगवा किये जाने की आशंका थी पर पुलिस उसे खोजने में नाकाम रही. जम्मू-कश्मीर विधानसभा भी इस वजह से बाधित हुई. 17 जनवरी को बच्ची की लाश बुरी हालत में मिली. 23 जनवरी को केस क्राइम ब्रांच के हवाले किया गया. पुलिस महानिरीक्षक (IGP) आलोक पुरी और सैयद अहफदुल मुज्तबा के नेतृत्व में SIT गठित हुई.
श्वेताम्बरी के मुताबिक इस केस को हल करना बहुत टेढा काम था. कई बार लगता था कि हम फेल हो गये. उस समय तो हम और निराश हो गये जब पता लगा कि हीरानगर पुलिस थाने को केस दबाने के लिये घूस दी गई है. पुलिस वाले ने ही घटना के साक्ष्य मिटाने के लिये बच्ची के कपड़ो को धो दिया. इसके बावजूद हमने केस को सुलझा लिया. यह नवरात्र के दिनों की बात थी. श्वेताम्बरी का कहना है, “केस पर काम करना मुश्किल जरूर था लेकिन मां दुर्गा हमारे साथ थीं. उन्होंने मुझे शक्ति दी और मैंने SIT के पुरुष सदस्यों के सामने घटना से सम्बंधित सारे सवाल आरोपितों से पूछे.” श्वेताम्बरी के मुताबिक बच्ची का अपहरण कर उसे नशे की दवा दी गई थी ताकि वह बेहोश रहे. आरोपितों में एक सांझी राम ने उसे अपने देविस्थान मंदिर में रखा था. श्वेताम्बरी ही मंदिर में गई थीं सबूत जुटाने जिससे बाद में यह पाया गया कि बच्ची मंदिर में ही थी.
श्वेताम्बरी बताती हैं, 9 अप्रैल को SIT ने CJM के सामने 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. इसके बाद आरोपितों और उनके समर्थकों की तरफ से इस केस को सीबीआई को सौंपने की बात शुरु हो गई.
श्वेताम्बरी ने और क्या कहा…
- जांच के दौरान धर्म के नाम पर डाले जा रहे दबाव पर श्वेताम्बरी साफ कहती हैं, “चूंकि ज्यादातर आरोपित ब्राह्मण थे, इसलिये मुझे बार-बार यह याद दिलाने की कोशिश की गई कि हम एक ही धर्म और जाति से हैं, मुझे उन्हें एक मुस्लिम बच्ची के रेप और हत्या के लिये आरोपित नहीं बनाना चाहिये, मैंने उनसे कहा कि एक पुलिस आफिसर होने के नाते मेरा एक ही धर्म है…वह है वर्दी.”
- यही नहीं जब श्वेताम्बरी ने जाति-धर्म की बात नहीं मानी तो उन्हें आरोपितों के परिवार वालों और समर्थकों ने डराना-धमकाना शुरु कर दिया. लाठियां लेकर घूमते, नारे लगाते, रोड जाम करते, तिरंगा लेकर रैलियां निकालते लेकिन हमने धैर्य नहीं खोया.
- हमने जब SHO से FIR दर्ज करने को कहा तो उसने मना कर दिया. हम जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास गये. हर जगह अराजकता और डर का माहौल था.
- इस केस की तह तक जाने और बच्ची के साथ हुई भयावह घटना ने मेरी रातों की नींद उड़ा दी. वो बच्ची मेरे बेटे की उम्र की थी. मैंने 72 दिन और रात इस केस पर लगा दिये.
- मैं इस केस के दौरान अपने पति और बच्चों के साथ बिल्कुल समय नहीं बिता पाई.