बसंत रथ : एक ऐसा आईपीएस अफसर जो खुद चाहता है सरकार उसे बर्खास्त करे

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जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिरीक्षक बसंत रथ (फाइल फोटो )
सरकार ने जहां एक तरफ भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी बसंत रथ का निलंबन छह  महीने और बढ़ाने का आदेश जारी किया है तो वहीं दूसरी तरफ खुद बसंत रथ ने अपनी बर्खास्तगी की मांग कर डाली है.  2000 बैच के आईपीएस बसंत रथ जम्मू कश्मीर में पुलिस महानिरीक्षक के ओहदे पर हैं लेकिन अरसे से निलंबित हैं .
 इत्तेफाकन इस  बीच जब हाल ही में जैसे ही बसंत रथ की  निलंबन की अवधि बढ़ाई गई उसके 2 दिन बाद ही  श्रीनगर की एक अदालत ने उनकी  गिरफ्तारी के वारंट भी जारी किए .यूं  आईपीएस रथ ने पहले ही  पुलिस सेवा छोड़कर   में जाने का इरादा ज़ाहिर कर चुके है. उनके करीबियों का कहना है कि रथ सियासत में उतरने के लिए भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के प्लान पर काम कर रहे हैं .

बसंत कुमार रथ और जम्मू कश्मीर के वर्तमान पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के बीच जारी खटपट और इसका समाधान कर पाने में नाकाम रहे सिस्टम के कारण यह हालात बने हैं . बसंत रथ उस जम्मू कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं जो जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित क्षेत्र बन जाने से अब एजीएमयूटी कैडर में शामिल कर दिया गया है.

बर्खास्तगी का अनुरोध  : 
आईपीएस बसंत रथ ने आज सोशल मीडिया पर  अपने हैंडल @KangriCarrier पर उस पत्र को सार्वजनिक किया है जिसमें उन्होंने अपनी बर्खास्तगी की मांग की है. श्री रथ के मुताबिक़ उन्होंने यह पत्र जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को ई मेल किया है जिसकी कॉपी पुलिस महानिदेशक के दफ्तर के साथ यूटी जम्मू कश्मीर के गृह सचिव को भी भेजी गई है .  पत्र में उन्होंने इस बात का ज़िक्र किया है कि उन्होंने बीते साल ( जून /जुलाई 2022) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ( voluntary retirement ) लेने  के लिए आवेदन किया था. अपने बेलगाम बोलने के लिए बदनाम बसंत रथ ने मुख्य सचिव को  सत्ता के नशे धुत अफसर बताते हुए लिखा है , ” आपके पास मेरे अनुरोध को देखने की भी फुर्सत नहीं मिली. न ही पिछले साल आपने मेरे फोन कॉल्स का जवाब दिया.”

सोशल मीडिया पर बर्खास्तगी की प्रार्थना का पत्र

बसंत रथ ने पत्र में यह भी बताया है कि उन्होंने केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव से अनुरोध किया है कि सरकार से सिफारिश करके उनकी बर्खास्तगी का आदेश जारी करवाएं. बसंत रथ ने लिखा है कि ऐसा करके वह उनकी सहायता करेंगे. बसंत रथ ने अपने इस श्री मेहता के 2018 में पडोसी होने की बात का ज़िक्र भी किया है और यह भी निवेदन करके  पूछा है कि साल भर पहले लिखे गए उनके पत्र पर क्या कार्यवाही हुई ? आईपीएस बसंत रथ ने उनकी ईमानदारी पर तंज कसते हुए टिप्पणी भी की है .

सरकार ने बसंत रथ का निलंबन  31 जुलाई 2023  से 27 जनवरी  2024  यानि 180 दिन और बढ़ाने का आदेश 28 जुलाई को जारी किया. राष्ट्रपति की तरफ से  यह आदेश केन्द्रीय समीक्षा समिति  ( central review committee ) की सिफारिश पर जारी किया गया है.

शुरुआत कहाँ से हुई :
पुलिस महानिरीक्षक  ( inspector general ) स्तर के पद पर नियुक्त बसंत रथ और डीजीपी दिलबाग सिंह  ( DGP Dilbagh Singh ) के बीच मतभेद की शुरुआत उस किस्से से जुड़ी है जब जून 2020 में जम्मू के गांधी नगर थाने  में दिलबाग सिंह का हवाला देते उन्होंने   शिकायत दर्ज कराई थी . इसमें  बसंत रथ ने अपनी सुरक्षा और प्रतिष्ठा पर खतरे की आशंका ज़ाहिर की थी . हालांकि उनका कहना था कि ये शिकायत उन्होंने पुलिस अधिकारी के तौर पर नहीं बल्कि एक नागरिक के तौर पर करवाई है .

गिरफ्तारी वारंट :
श्रीनगर में द्वितीय अतिरिक्त मुंसिफ अह्तेजाज़  अहमद की अदालत ने 2 अगस्त को बसंत रथ के गिरफ्तारी वारंट जारी किये हैं . ये वारंट श्रीनगर के सदर थाने में 2020 में  धारा 506 के तहत दर्ज मामले में पेश न होने पर किये गए हैं .  उन पर आपराधिक इरादे से धमकी देने का आरोप है .

विवादों से नाता :
इससे पहले 2018 में  श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू के साथ सोशल मीडिया पर हुए विवाद के बाद बसंत रथ को यातायात पुलिस  ( traffic police ) से हटा कर होमगार्ड और सिविल डिफेन्स में स्थानांतरित कर दिया गया था . हालांकि यातायात पुलिस में उनकी तैनाती लोगों के लिए यादगार रही. सादा कपड़ों में उनका कहीं भी पहुँच जाना वो भी बिना किसी सुरक्षाकर्मी के. खुद सड़क पर उतर कर नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करना और इस दौरान लोगों से उनकी भिड़ंत आदि के कारण उनकी छवि अलग किस्म के पुलिस अधिकारी की बन गई. काम के स्टाइल को लेकर उनके कई प्रशंसक बने तो कुछ के लिए आलोचना का विषय भी बने. जनता ही नहीं उनकी प्रशंसा और आलोचना करने वाले उनके अपने ही पुलिस महकमे में भी कम नहीं थे.

आईपीएस बसंत रथ की डीजीपी दिलबाग सिंह से तनातनी जारी

मददगार की भूमिका :
आईपीएस बसंत रथ की एक विशेषता और भी है. वह ज़रूरतमंद गरीब विद्यार्थियों को मुफ्त में किताबें , लैपटॉप  , टेब  आदि सामग्री मुहैया कराते हैं ताकि उनकी शिक्षा में मदद कर सकें . इस शानदार काम और समाज सेवा को करने के पीछे उनकी अपने जीवन की पृष्ठभूमि है. उनका बचपन और जवानी काफी अभावों में बीता था.