भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी शत्रुजीत सिंह कपूर को हरियाणा का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया है . श्री कपूर हरियाणा कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में हरियाणा में महानिदेशक ( विजिलेंस ) के पद पर तैनात थे. शत्रुजीत सिंह को पी के अग्रवाल के स्थान पर हरियाणा पुलिस की कमान सौंपी गई है . श्री अग्रवाल अपने दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रिटायर हो गए. उन्हें पुलिस रीति रिवाजों के साथ पुलिस मुख्यालय से विदाई दी गई .
आईपीएस शत्रुजीत कपूर को हरियाणा पुलिस की बागडोर सौंपने की बात तो पहले ही तय थी और इसका मीडिया में काफी चर्चा भी रहा क्योंकि उनको शुरू से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पहली पसंद माना जा रहा था . संघ लोक सेवा आयोग ( यूपीएससी upsc ) दिल्ली से तीन अधिकारियों के पैनल की फाइल आने के बाद उसमें से तीन नाम में से एक को छांटने का निर्णय लेने की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई. हालांकि बाकी दो नाम उनसे वरिष्ठ अधिकारियों , 1988 बैच के आईपीएस मुहम्मद अकील और 1989 बैच के डॉ आर सी मिश्रा के थे.
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के दफ्तर से फाइल आने के बाद राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने आईपीएस शत्रुजीत सिंह कपूर को पुलिस महानिदेशक के तौर पर राज्य की पुलिस की कमान सौंपने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए .
अपने काम के कारण और राज्य नेतृत्व से अपनी नजदीकी के कारण यूं तो हरियाणा के नए डीजीपी के रूप में शत्रुजीत सिंह की तैनाती का अंदाज़ा तो पहले से ही था लेकिन चयन प्रक्रिया में एक तकनीकी नुक्ते के कारण विवाद से संशय पैदा हो गया था. राज्य सरकार से यूपीएससी/केंद्र के पास नए पुलिस प्रमुख के लायक अधिकारियों के नाम की जो लिस्ट भेजी थी उसमें पूर्व पुलिस महानिदेशक मनोज यादव का नाम नहीं था . मनोज यादव 1988 बैच के हरियाणा कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं और वर्तमान में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर रेलवे सुरक्षा बल ( आरपीएफ – RPF ) के प्रमुख भी हैं . उन्होंने अपने मूल कैडर में लौटने की अनिच्छा पहले ही ज़ाहिर कर दी थी लिहाजा राज्य सरकार ने उनका सर्विस रिकॉर्ड नहीं भेजा था. यूपीएससी ने हरियाणा सरकार से इस पर स्पष्टीकरण माँगा जिसका जवाब मिलने के बाद मामला आगे बढ़ा.
हरियाणा में 2014 में भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) की सरकार आने के बाद शत्रुजीत सिंह ips shatrujeet kapoor को सीआईडी का पहला प्रमुख बनाया गया था और उनको भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए स्वतंत्रता से काम करने को कहा गया था. सरकार उनके काम से संतुष्ट रही .