तकरीबन दो साल से निलंबित और अपने काम करने के स्टाइल के कारण अक्सर विवादों व सुर्ख़ियों में रहने वाले आईपीएस अधिकारी बसंत रथ ने एक बार फिर सबको चौंका दिया है. जम्मू कश्मीर पुलिस में महानिरीक्षक (आईजी) के ओहदे पर तैनात बसंत रथ ने इस्तीफा दे दिया है और चुनावी राजनीति में उतरने की तैयारी में हैं. अपने इस्तीफे में उन्होंने सियासत में उतरने का मकसद भी साफ साफ़ ज़ाहिर किया है. चर्चा तो यहां तक है कि जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव से 50 वर्षीय बसंत रथ अपनी सियासी जिंदगी की पारी की शुरुआत करेंगे.
पुलिस महानिरीक्षक आईपीएस बसंत रथ ने सोशल मीडिया पोस्ट पर इस्तीफे की जानकारी साझा की है. जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को सम्बोधित अंग्रेज़ी में लिखे और प्रेषित किये दो लाइन के इस पत्र को उन्होंने पुलिस सेवा से अपना इस्तीफा माने जाने की गुज़ारिश की है. इस इस्तीफे पर तारीख 25 जून 2022 और समय सुबह 4.20 बजे (हाथ से ) लिखा गया है. इस्तीफे में बसंत रथ ने लिखा है , ‘ चुनावी राजनीति में हिस्सेदारी लेने के कारण मैं भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा देना चाहता हूं. मेरे पत्र को कृपया इस्तीफा/वालंटरी रिटायर्मेंट की प्रार्थना के तौर पर विचार में लाया जाए और इसके मुताबिक प्रक्रिया अपनाई जाए “. श्री रथ ने इस्तीफे की कॉपी जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक को और कमान्डेंट जनरल एचजी/सीडी और एस डी आर एफ को भेजी है.
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जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता को भेजे अपने त्यागपत्र को अपने मशहूर ट्वीटर हैंडल कांगड़ी केरियर @KangriCarrier पर साझा करते हुए बसंत रथ ने सियासत को एक ‘ नोबल प्रोफेशन ‘ बताया है. इस्तीफा साझा करने के कुछ घंटे पहले बसंत रथ ने जो पोस्ट साझा की थी उसमें कहा था, ” अगर किसी राजनीतिक दल में शामिल होऊंगा तो वो बीजेपी होगा, अगर चुनाव लडूंगा तो कश्मीर से , अगर सियासत में गया तो 6 मार्च 2024 से पहले “.
बसंत रथ भारतीय पुलिस सेवा के 2000 बैच के अधिकारी हैं. 2018 में बसंत रथ को पुलिस महानिरीक्षक ( आईजी ) के पद पर तरक्की मिली थी. बसंत रथ अपने कम करने के तरीकों के कारण अक्सर चर्चा का विषय तो बने रहते ही हैं उनके कारनामे कई बार वरिष्ठ अधिकारियों की परेशानी का सबब भी बने हैं.
बॉस के खिलाफ की शिकायत :
ठीक दो साल पहले यानी 25 जून 2020 को उन्होंने जम्मू के गांधी नगर थाने में जम्मू कश्मीर पुलिस के ही महानिदेशक दिलबाग सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने एक नागरिक के रूप में अपनी सुरक्षा और प्रतिष्ठा को खतरा बताया था. ये शिकायत सोशल मीडिया पर खड़े हुए विवाद के मद्दे नजर बताई जाती है जो उनके अपने ही बॉस यानि 1987 बैच के आईपीएस दिलबाग सिंह से था. इसके दो हफ्ते बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बसंत रथ को उनके बुरे व्यवहार और गलत आचरण का दोषी मानते हुए सस्पेंड कद दिया था. इससे पहले मेयर जुनेद अज़ीम मत्तो से भी उनका विवाद हुआ था जब रथ यातायात पुलिस में थे. इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया था.
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बेख़ौफ़ और लोकप्रिय अधिकारी की छवि :
जहां बसंत रथ रूखे , बदमिजाज़ अधिकारी कहे जाते हैं वहीं वे ऐसे बेख़ौफ़ और दबंग पुलिस अफसर की छवि रखते हैं जो बिना किसी तरह की सुरक्षा के ताम झाम के श्रीनगर की सडकों पर निकल पड़ता था. यहां तक कि कभी स्थानीय युवाओं के कार्यक्रम में सादा लिबास में चले जाना तो कभी सड़क किनारे बैठ बच्चों से बतियाना जैसे उनके अनेक किस्से हैं . उनकी ऐसी ही एक तस्वीर को ट्वीट करते हुए मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने कहा था कि ऐसे किरदार पर फिल्म बनाना चाहेंगे.
साहित्य और कश्मीरियत में दिलचस्पी :
साहित्य और कविताओं में खासी दिलचस्पी रखने वाले आईपीएस बसंत रथ का कश्मीर और कश्मीरियत से लगाव इस बात से भी स्पष्ट होता है कि उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल का शीर्षक , कश्मीर में सर्दी से बचने के लिए अलाव की तरह इस्तेमाल होने वाली ‘कांगड़ी ‘ से जोड़ा है. कांगड़ी कश्मीरी संस्कृति का प्रतीक भी कही जा सकती है. उन्होंने अपना काव्य संकलन जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को समर्पित किया था.