ये कहानी एक ऐसे लड़के की है जो भारत के उस हिस्से से एक शरणार्थी बनकर आया था जिसे आज पाकिस्तान कहा जाता है. इस लडके ने अभी ठीक से चलना भी नहीं सीखा था कि इसे परिवार समेत वहां से भागना पड़ा जहां इसका जन्म हुआ. लेकिन अपनी ज़मीन से उखड़े इस पौधे ने नई जगह की चुनौतियों और तमाम संघर्षों के बीच अपनी जड़ें जमा लीं और भारत की सर्वोच्च प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास की. इसके बाद ये बना भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी. नाम है बी एल वोहरा.
भारतीय पुलिस सेवा के 1967 बैच के आईपीएस बीएल वोहरा (ips b l vohra) अब तक 13 पुस्तकें लिख चुके हैं और उनकी ये पुस्तक ‘ एन अनलाइकली पुलिस चीफ’ (an unlikely police chief) ऑटोबायोग्राफी है. श्री वोहरा ने इसमें अपने उन तमाम संघर्षों, तकलीफों और कामयाबी के लम्हों को श्रंखलाबद्ध किया है जो उनके जीवन का हिस्सा बने. इस किताब का विमोचन जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे एनएन वोहरा (N N Vohra) 26 अगस्त को दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में करेंगे. दिल्ली पुलिस से लेकर, मणिपुर, त्रिपुरा, पंजाब और जम्मू कश्मीर में पुलिस अधिकारी के तौर पर उन्होंने अपने जो अनुभव साझा किए हैं वे नए बने या कम तजुर्बेकार पुलिस अधिकारियों के काम आ सकते हैं. ये किताब उन युवाओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हो सकती है जो जीवन के संघर्षों से थक कर बैठ जाते हैं या हौसला छोड़ देते हैं.
विद्यार्थी जीवन में एक साधारण से छात्र रहे बी एल वोहरा लिखित ये किताब भारत के 75 साल के इतिहास के पन्नों के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी मदद करती है. एक ऐसा समय जब भारत में नई राजनीतिक व्यवस्था और अफसरशाही का जन्म हुआ. राजनीतिक वर्ग और पुलिस के काम में अंदरूनी चुनौतियों से निबटने के लिए आजमाए तौर तरीकों का भी श्री वोहरा ने इस किताब ‘एन अनलाइकली पुलिस चीफ’ में ज़िक्र किया है.