दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त अजय राज शर्मा दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में कानून और व्यवस्था को लेकर बने माहौल के लिए पुलिस के नेतृत्व समेत बड़े अफसरों के समय पर फैसले न लेने के रवैये को ज़िम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि साम्प्रदायिक दंगे का होना देश के लिए सबसे खतरनाक चीज़ है. कुल मिलाकर यमुनापार इलाके में हुए खून खराबे के लिए अजय राज शर्मा पुलिस के काम करने के तरीके या काम न करने को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर कसूरवार मानते हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्री वाले समय में एनडीए की सरकार के दौरान दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहे अजय राज शर्मा ने दिल्ली पुलिस के बाद सीमा सुरक्षा बल की कमान सम्भाली थी. हालाँकि वह उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी थे, फिर भी सरकार ने उन्हें दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया था. सीधे सपाट बात करने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अजय राज शर्मा रिटायरनेंट के बाद से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीआर) में ही रह रहे हैं. वह दिल्ली के मौजूदा हालात में पुलिस की बनी छवि को लेकर खराब महसूस कर रहे हैं.
श्री शर्मा ने करन थापर को ‘द वायर’ के लिए दिए साक्षात्कार में माना कि पुलिस सियासी दबाव में आकर सम्भवत: काम कर रही या काम नहीं कर रही थी. हालांकि करन थापर अपने कुछ शब्द अजयराज शर्मा की जुबान से भी कहलवाने में कामयाब हुए. खासतौर से नेताओं के आपत्तिजनक या साम्प्रदायिक भाषणों के सन्दर्भ में.
अजय राज शर्मा ने कहा कि अगर वह पुलिस कमिश्नर होते तो अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया होता. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री को गिफ्तार करने के लिए गृह मंत्रालय को पहले सूचित करना होता है, अजयराज शर्मा का कहना था कि जिस वक्त बीजेपी नेता कपिल मिश्रा धमकी भरा और आपत्तिजनक भाषण दे रहा था, पुलिस को उसी समय उसे रोकना चाहिए था. जब उन्हें बताया गया कि उस वक्त इलाके के डीसीपी वीपी सूर्या वहीं मौजूद थे तो अजय राज शर्मा का कहना था कि अगर मैं कमिश्नर होता तो ऐसे अधिकारी को तुरंत उसके ओहदे से हटा देता.
उन्होंने माना कि हालात से लगता है पुलिस का मनोबल टूटा हुआ है और पुलिस के अधिकारी रीढ़विहीन हैं. अजय राज शर्मा का कहना था कि वर्तमान पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक परीक्षा की इस घड़ी में नाकाम हुए है. उनका कहना था कि पहली बात तो शाहीन बाग़ में नागरिकता विरोधी जमघट लगने ही नहीं दिया जाना चाहिए था लेकिन जब वहां से साम्प्रदायिक बातें होने लगीं तो इन पर तभी काबू करके एक्शन लेना और जमघट हटाना चाहिए था लेकिन शायद पुलिस दबाव में आ गई थी. पूर्व पुलिस आयुक्त अजयराज शर्मा ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया में पुलिस के एक्शन पर सवाल उठाये. हालांकि ये तमाम बातचीत करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस के भीतर के हालात और तथ्यों के बारे में उन्हें सटीक जानकारी नहीं है लेकिन वो जो कुछ भी कह रहे हैं वो एक बाहरी व्यक्ति के तौर पर महसूस करते हुए कह रहे हैं.