व्यवसायी निशांत शर्मा की तरफ से दायर शिकायत से संबंधित मामले में 17 पेज का आदेश मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने जारी किया है .
आदेश सुनाते समय, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे, हालांकि, पक्षों के दावों की योग्यता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं क्योंकि मामले में जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है.
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए यह भी कहा कि इस मामले में यह पता नहीं क्यों गृह सचिव ने अपनी आंखे मूंद ली. अदालत ने कहा कि न्याय के हित में और जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए और इस सिद्धांत को भी ध्यान में रखते हुए कि न्याय न सिर्फ किया जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए.
हाई कोर्ट ने गृह सचिव को , दोनों आईपीएस अधिकारियों को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने के लिए निर्देश देते हुए कहा, “हमारी राय है कि यह वांछनीय होगा कि हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ( dgp of himachal pradesh ) और कांगड़ा एसपी का तबादला किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दर्ज एफआईआर में निष्पक्ष जांच हो.”
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने निशांत शर्मा की 28 अक्टूबर 2023 को भेजी ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने के आदेश दिए थे. व्यवसायी निशांत शर्मा ने हाईकोर्ट को भेजे मेल में कहा था कि उन्हें और उनके परिवार को जान का खतरा है क्योंकि उन पर हरियाणा के गुरुग्राम के साथ-साथ हिमाचल के मैक्लोडगंज में भी हमला हुआ है. शर्मा ने इस आधार पर अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी कि उसे शक्तिशाली लोगों से सुरक्षा की जरूरत है क्योंकि वह लगातार मारे जाने के डर में जी रहा है.
पिछली दफा सुनवाई के दौरान कांगड़ा की एसपी की तरफ से बताया गया था कि प्रार्थी निशांत शर्मा की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए आरोपों की जांच ज़िले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ( asp , kangra ) को सौंपी जा चुकी है. वहीँ एसपी शिमला ने इस मामले में ऊंचे लोगों की संलिप्तता का शक ज़ाहिर किया था. एसपी शिमला की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया कि डीजीपी संजय कुंडू कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे. जांच में यह भी पाया गया कि डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल की. साथ ही डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी जबकि एसपी कांगड़ा द्वारा मामले में देरी से एफआईआर दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया गया था.