शांत स्वभाव के अमन पसंद हवलदार 42 वर्षीय रतन लाल दिल्ली में दंगाइयों को काबू करने पहुंचे दिल्ली पुलिस के एक एसीपी के साथ घटनास्थल पर थे जब दंगाइयों ने उन्हें घेरकर मार डाला. अपना फर्ज़ पूरा करते हुए हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हुए रतन लाल के शोक संतप्त परिवार में पत्नी पूनम, 13 साल की बेटी सिद्धि, 10 साल की कनक और 8 साल का बेटा राम हैं. रतनलाल की हत्या करने वाले वे लोग थे जो नये नागरिकता क़ानून के विरोध में और इसके पक्ष में आन्दोलन करने सड़कों पर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर उतरे हुए हैं.
आज दोपहर बाद शहीद स्मारक स्थल पर रतनलाल को दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस सम्मान के साथ उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
ये सब पूर्व दिल्ली में दयालपुर थाने के पास सोमवार को हुआ. हिंसा के इस तांडव में चार और लोगों की भी जान गई और बड़ी तादाद में लोग जख्मी हुए. इन जख्मियों में शाहदरा पुलिस जिले के डीसीपी अमित शर्मा समेत कई पुलिस कर्मी भी हैं. डीसीपी अमित शर्मा की सर्जरी की गई है. हालांकि उनके सिर में चोट आई है लेकिन हालत खतरे से बाहर है. उनके अलावा 6 और जख्मी पुलिसकर्मियों को पटपडगंज के मैक्स अस्पताल में लाया गया था.
मूल रूप से राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर तिह्वाली गाँव के रहने वाले थे और दिल्ली में बुराड़ी इलाके की अमृत विहार कालोनी के मकान में पत्नी और तीनों बच्चों के साथ रहते थे. 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए रतन लाल का 2004 में जयपुर की पूनम से विवाह हुआ था.
हवलदार (एक्सिक्यूटिव) रतन लाल गोकुलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के दफ्तर में बतौर रीडर तैनात थे. एसीपी जब दयालपुर थाने के पास दंगाइयों से निपटने की कार्रवाई के लिए जब पहुंचे तो हालात खतरनाक थे. दंगा चरम था. दंगाई पथराव कर रहे थे और डंडे लाठियां लिए थे. ऐसे ही एक गुट ने अकेले पड़े हवलदार रतन लाल को घेरकर हमला कर डाला.
रतनलाल के साथी और पहचान वाले बताते हैं कि रतन लाल बेहद मिलनसार और शांत स्वभाव के थे. उनकी जान जाने की सूचना आने पर परिवार तो क्या अड़ोस पड़ोस वालों को भी यकीन नहीं हो रहा था कि रतन लाल भी ऐसी परिस्थितियों में फंस सकते हैं. दोपहर बाद 4 बजे किंग्सवे कैंप स्थित न्यू पुलिस लाइंस में शहीद स्मारक स्थल पर रतनलाल का पार्थिव शरीर लाया जाएगा जहां पुलिस सम्मान के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी.