पुलिस सम्मान के साथ अश्रुपूर्ण नेत्रों से जांबाज और साहसी हवलदार राजपाल कसाना को दिल्ली पुलिस के उसके साथियों, अधिकारियों, मित्रों और परिवारजनों ने आखिरी विदाई दी. बेहद छोटे ओहदे पर रहते हुए बड़े-बड़े काम करने वाले 44 वर्षीय राजपाल का जुझारूपन और बड़े से बड़े खतरनाक पुलिस ऑपरेशन का हिस्सा बनकर अपराधियों से निपटने का हौसला ही इस बहादुर पुलिसकर्मी की जान ले गया. आतंकवादियों, सरगनाओं और ड्रग माफिया को उनके अंजाम तक पहुँचाने में बड़े बड़े घमासान के लिए तैयार रहा राजपाल जीवन के लिए पांच दिन संघर्ष करने के बाद आखिर हार गया था. रविवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश के पैतृक गाँव में राजपाल का अंतिम संस्कार किया गया.
दिल्ली पुलिस का स्पेशल सेल तो इस राजपाल को कभी भुला ही नहीं पायेगा जिसने आखिरी तक कर्तव्य के प्रति अपने संकल्प को पूरा करने में कसर नहीं छोड़ी और अगर भाग्य ने थोड़ा और साथ दिया होता तो राजपाल की जगह हथियारों के वो तस्कर सलाखों के पीछे होते जिनका पीछा करते वक्त राजपाल 14 जनवरी को दिल्ली में घायल हुआ.
उस दिन का घटनाक्रम : उस दिन दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल को दोपहर करीब तीन बजे एक हथियार तस्कर के दिल्ली में घुसने की खबर मिली थी जो उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद से आने वाला था. हवलदार राजपाल कसाना और उनके साथी हवलदार मोहित पंवार ने मोटर साइकिल पर तस्कर की कार का पीछा करना शुरू किया था ताकि तस्कर के ठिकाने तक गुपचुप तरीके से पहुंचा जा सके. सराय काले खां अंतरराज्यीय बस अड्डे के बाद बारापूला एलिवेटेड सड़क पर सूर्य घड़ी लूप के पास उनकी मोटर साइकिल को पीछे से आये किसी वाहन ने टक्कर मारी. दोनों हवलदार मोटरसाइकिल समेत गिर गये और ज़ख्मी हो गये. दिनदहाड़े टक्कर मारने वाली अज्ञात कार रुकी भी नहीं. राजपाल को गम्भीर चोटें आईं थीं. किसी तरह घायल साथी मोहित ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन शनिवार की शाम एम्स के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान हवलदार राजपाल ने प्राण त्याग दिये.
कौन था ये बहादुर हवलदार राजपाल : उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद के लोनी क्षेत्र के शरीफाबाद गाँव का राजपाल कसाना 1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती हुआ नौजवान था. 2006 में उसका तबादला दिल्ली पुलिस के उस स्पेशल सेल में किया गया था जो आतंकवादियों, खतरनाक सरगनाओं और माफिया से निपटने के लिए बना है. इस सेल में रहते और इससे पहले भी राजपाल ने अपनी बहादुरी और साहस के दम पर पुलिस के ऐसे कई ऑपरेशंस में सक्रियता से हिस्सा लिया जिनसे राजधानी की पुलिस को बड़े नतीजे और उपलब्धियां हासिल हुईं.
बारी से पहले तरक्की : हवलदार राजपाल पांच साल पहले स्पेशल सेल की उस टीम का हिस्सा था जिसके साथ मुठभेड़ में फायरिंग के दौरान हरियाणा का कुख्यात सरगना सल्ली खान और उसके सात साथी मारे गये थे. इन अपराधियों के मेवात के अड्डे से बड़ी मात्रा में हथियार और गोलीबारूद बरामद हुआ था. इसी कामयाबी की वजह से राजपाल को बारी से पहले तरक्की देकर सिपाही से हवलदार बनाया गया था.
राजपाल के कारनामे : इतना ही नहीं राजपाल ने 2018 में यानि एक साल में ही 10 ऐसे अपराधियों को पकड़वाया जिनकी गिरफ्तारी पर 11 लाख रुपये का इनाम था. पंजाब की नाभा जेल में बंद आतंकवादी और खालिस्तान लिबरेशन फ़ोर्स के उस प्रमुख हरमिंदर सिंह मिंटू को 24 घंटे में दबोच लेने वाली दिल्ली पुलिस की उस टीम में राजपाल शामिल था जो जेलकर्मियों के हथियार भी लूटकर फरार हुआ था. ये घटना 26 नवंबर 2016 की थी. पुलिस की एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ हवलदार केवाईकेएल, केसीपी, पीयूएलएफ जैसे कई प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के 17 सदस्यों को गिरफ्तार कर चुकी टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है.
पुलिस की सम्पत्ति था : दो चार नहीं ऐसे कितने ही घटनाक्रम उनके साथी याद करते हैं जिनमें हवलदार राजपाल के अहम और साहसपूर्ण किरदार ने दिल्ली पुलिस को अपराधियों से निपटने में कामयाबी दिलाई.
स्पेशल सेल के उपायुक्त (डीसीपी – DCP) प्रमोद सिंह कुशवाह का तो कहना है कि हवलदार राजपाल एक ऐसा अनुशासित और संकल्प वाला जवान था जो राजधानी की पुलिस के लिए सम्पत्ति था.