डीसीपी संजीव कुमार यादव समेत दिल्ली पुलिस के 5 अफसरों को वीरता पदक

6035
DCP Sanjeev Kumar Yadav
डीसीपी संजीव कुमार यादव अपनी पत्नी शोभना के साथ (फाइल फोटो)

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के उपायुक्त संजीव कुमार यादव समेत, उनके नेतृत्व वाली उस टीम के सभी चार सदस्यों को वीरता के पुलिस पदक (PMG) के लिए चुना गया है जिन्होंने राजधानी दिल्ली में पांच साल पहले भीषण मुठभेड़ के दौरान खतरनाक बदमाशों के गिरोह से लोहा लिया था. इन्होंने बदमाशों से निपटने में अपनी जान तक की परवाह नहीं की थी. बदमाशों की बन्दूकों से दागी गई वो गोलियां इनकी शौर्य गाथा को साफ़ साफ़ बयाँ करती हैं जो उनके जिस्मों से तो टकराईं लेकिन भेद न सकीं. अगर इन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट न पहनी होती तो पलड़ा शायद उन बदमाशों का ही भारी बैठता.

पहले से ही एक पुलिसकर्मी की हत्या में शामिल रहे इस गिरोह के इरादों और ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये पुलिस से आमने सामने तक भिड़ने में हिचकता नहीं था.

भारत के स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रपति ने जिन अधिकारियों को मेडल देना मंजूर किया है उनमें संजीव यादव के अलावा जिन्हें वीरता पदक देने का ऐलान किया है उनमें सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) ललित मोहन नेगी, हृदय भूषण और रमेश चंदर लाम्बा जो उस वक्त स्पेशल सेल में बतौर इंस्पेक्टर तैनात थे. मेडल पाने वाले चौथे पुलिसकर्मी हैं सब इंस्पेक्टर सुखबीर सिंह. ये मुठभेड़ 24 अक्टूबर 2013 की रात वसंत कुंज में होटल ग्रैंड के पास हुई थी जिसमें सुरेन्द्र मलिक उर्फ़ नीटू दबोधिया और उसके साथी आलोक गुप्ता और दीपक गुप्ता मारे गये थे. ये गिरोह, अपना पीछा कर रही दिल्ली पुलिस की गाड़ियों में से एक, एसीपी मनीषि चंद्रा की स्कार्पियो को अपनी कार से टक्कर मारने के बाद उतरकर अलग अलग दिशा में भागते वक्त पुलिस पर गोलियां दाग रहे थे.

यूँ तो इस मुठभेड़ में और पुलिसकर्मी, सब इंस्पेक्टर (SI ) रविन्द्र जोशी, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) विनोद कुमार, हेड कांस्टेबल (HC) बन्ने सिंह भी थे लेकिन वीरता मेडल की मंजूरी उन्हीं के लिए की गई जिन्होंने जान का जोखिम उठाकर बदमाशों से आमने सामने का मुकाबला करते हुए उन्हें ढेर किया था.