न्यूयॉर्क में सफ़ोक काउंटी पुलिस विभाग के प्रमुख रहे जेम्स बर्क ( james burke)एक बार फिर अपने गलत कृत्यों के लिए सुर्ख़ियों में हैं . जेम्स बर्क को एक पार्क में पार्क रेंजर के सामने सार्वजनिक अश्लीलता करने , यौन कृत्य की पेशकश और ऐसे गैरकानूनी प्रस्ताव रखने के इलज़ाम में गिरफ्तार किया गया है . यह स्थान न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड ( long island) में है . अमेरिका की तमाम पुलिस बिरादरी को शर्मसार कर देने वाली यह घटना फार्मिंगविले में वियतनाम वेटरन्स मेमोरियल पार्क में मंगलवार की है .
न्यू यॉर्क में 1980 के दशक में पुलिस अधिकारी रहे जेम्स बर्क को 2012 में सफ़ोक काउंटी ( suffolk county ) के कार्यकारी स्टीव बेलोन ने सफ़ोक काउंटी पुलिस विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया था. जेम्स तीन साल तक इस पद पर रहे.
खुद का आपराधिक करतूतें :
अपराधों की रोकथाम और अपराधियों की पकड़ जैसे ज़िम्मेदार कार्य में शामिल जेम्स बर्क का अपना इतिहास भी गैर कानूनी हरकतों और आपराधिक करतूतों से अछूता नहीं है . 1995 में तो सफ़ोक काउंटी पुलिस महकमे की आंतरिक जांच में पाया गया था कि बर्क के वेश्यावृत्ति और नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल एक महिला के साथ रिश्ते थे. जेम्स बर्क को ड्यूटी पर और वर्दी में रहते हुए पुलिस वाहनों में यौनचार में शामिल होने का केस भी सामने आया था .
गिल्गो बीच केस :
यही नहीं सफ़ोक काउंटी पुलिस प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जेम्स बर्क ने गिलगो बीच पर लगातार हुई हत्याओं ( gilgo beach murders) की जांच सही तरीके से न कराने का दोषी पाया गया था. गिलगो बीच केस में बर्क के काम की आलोचना इसलिए भी की गई थी क्योंकि उन्होंने अमेरिकी फेडरल जांच एजेंसी एफबीआई ( federal investigation agency ) के साथ सहयोग नहीं किया था . यह सीरियल किलिंग्स (serial killings ) का वह केस था जिसमें 1996 से लेकर 2011 के बीच न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड के दक्षिण छोर पर ‘ गिल्गो बीच ‘ से 11 लोगों के शव या उनके अवशेष मिले थे . मृतकों में ज़्यादातर सेक्स वर्कर थे जो क्रेग्सलिस्ट ( craigslist ) में अपना विज्ञापन भी देते थे. दरअसल , क्रेग्सलिस्ट ऑनलाइन समुदायों का एक केंद्रीकृत नेटवर्क है, जिसमें लोग नौकरी, माकन -दुकान , व्यक्तिगत, बिक्री हेतु, सामान , विभिन्न सेवाओं के लिए निःशुल्क ऑनलाइन वर्गीकृत विज्ञापन दे सकते हैं .
एफबीआई को बाद में दिया केस :
पुलिस ने शुरू शुरू में इस हत्याओं को समुद्र में डूबने से हुई मौत मानकर हल्के में लिया और रफा दफा करने की कोशिश की थी . बाद में खुलासा हुआ कि उनमें से कई की मौत गला दबाने या दम घोंटने से हुई है . हालाँकि यह क़त्ल जेम्स बुर्के के सफ़ोक काउंटी पुलिस प्रमुख बनने से पहले के हैं. लेकिन उन्होंने एफबीआई के इसमें जांच पर अड़ंगा लगाया था. नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में केस होने पर जेम्स बर्क ने इस्तीफा दिया था . इस केस में जिस दिन जेम्स के दोषी होने की बात सामने आई उससे अगले ही दिन 10 दिसंबर 2015 को सफोक काउंटी के पुलिस कमिश्नर टिम सिनी ( police commissioner tim sini) ने सीरियल हत्याओं के मामले की जांच आधिकारिक रूप से एफबीआई को सौंपे जाने की घोषणा की थी. हालांकि एफबीआई इस मामले में तलाश और जांच के काम में पहले से गैर आधिकारिक तौर पर जुड़ी रही थी .
आखिर मानी गलती :
मई 2013 में, एफबीआई और अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने जेम्स बर्क द्वारा पुलिस हिरासत में एक संदिग्ध पर कथित हमले, बाद में लीपापोती और गवाहों के साथ जबरदस्ती करने के मामले की जांच की थी . जेम्स बर्क पर क्रिस्टोफर लोएब नाम के एक शख्स ने हमला करने का आरोप लगाया गया था. असल में क्रिस्टोफर लोएब ( christopher loeb ) को जेम्स बर्क की खुली हुई कार में से बंदूक की बेल्ट, सिगार का एक डिब्बा सेक्स टॉयज (sex toys) और पोर्नोग्राफ़ी से भरा एक बैग चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
जेम्स बर्क को 46 महीने की सज़ा :
जेम्स बर्क को नवंबर 2016 में, हमले और न्याय में बाधा डालने के लिए संघीय जेल में 46 महीने कैद की सजा सुनाई गई थी. जनवरी 2017 में, जेम्स बर्क ने एलनवुड लो स्थित संघीय सुधार संस्थान में अपनी सजा काटनी शुरू की. जेम्स को नवंबर 2018 में घर में नजरबंदी के लिए रिहा कर दिया गया था और यह सजा अप्रैल 2019 में पूरी हो गई थी.