किसी भी पुलिस के लिए उसकी संचार प्रणाली और सार्वजनिक स्थलों पर उपलब्धता कानून व्यवस्था की स्थिति को सही समय पर सम्भालने में ही अहम रोल अदा नहीं करती बल्कि अपराधों की रोकथाम और जनसेवा में भी उसकी ख़ास भूमिका होती है. इसका अहसास होने के बाद दिल्ली पुलिस ने पुलिसिंग में अपनी नीतिगत गलती जब पिछले महीने सुधारी तो उसके अच्छे नतीजे भी सामने आने शुरू हो गए. अब पीसीआर को एक अलग इकाई के तौर पर फिर से स्थापित कर दिया गया है.
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के ऑडिटोरियम में स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह ने संचार व पीसीआर (communication and pcr ) के 30 कार्मिकों को बेहतरीन काम के लिए पुरस्कृत किया. उन्होंने आपात स्थिति में फोन नंबर 112 पर आने वाली कॉल्स पर शीघ्रता से पहुँच नागरिकों की प्रभावी मदद की थी. स्पेशल कमिश्नर ने पुलिसकर्मियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किये.
वर्तमान पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से पहले दिल्ली पुलिस के चीफ रहे गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के कार्यकाल में पीसीआर का जिला पुलिस में विलय करने का नीतिगत निर्णय लिया गया था. हालांकि तब भी इस फैसले से कुछ अफसर सहमत नहीं थे. दिल्ली के कंझावला कांड के बाद जब हालात का विश्लेषण किया गया तो पीसीआर की उपलब्धता की कमी का बिंदु भी सामने आया. इस बात को लेकर दिल्ली पुलिस के उस फैसले की आलोचना भी हुई जिसके तहत पीसीआर का थानों के साथ विलय किया गया था.
इसी आलोचना के बाद दिल्ली पुलिस ने पीसीआर से सम्बन्धित अपनी पुरानी नीति पर अमल करने का फैसला लिया. संचार व पीसीआर यूनिट अब बीते महीने से एक अलग इकाई के तौर पर काम कर रही है.