अफसरों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले श्री मुखर्जी के उनके पिता इन्द्रजीत गुप्त के तब विशेष सलाहकार रहे जब इंद्रजीत गुप्त केन्द्रीय गृह मंत्री थे. उनके भाई अमिताव मुखर्जी भारतीय प्रशासनिक सेवा ( आईएएस – IAS ) के अधिकारी रहे और वर्तमान में विश्व बैंक, वाशिंगटन में कार्यरत हैं.
असल में पश्चिम ब्नागाल में एक नाटकीय घटनाक्रम के बीच राज्य पुलिस के शीर्ष स्तर में बदलाव तब हुआ जब चुनाव आयोग ने सोमवार को आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को राज्य के डीजीपी के पद से हटा दिया. राजीव कुमार को तीन महीने पहले ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तत्काल प्रभाव से 5 दिनों के भीतर नियुक्त किया था. राजीव कुमार के पूर्व रेकॉर्ड को देखते हुए उन्हें डीजीपी पद से हटाया गया था. असल में 2016 में जब कोलकाता में नगर निगम चुनाव हुए थे तब राजनीतिक दलों ने ‘ चुनावी गड़बड़ी ‘ की शिकायतों की थीं. राजीव कुमार तब कोलकाता के पुलिस कमिश्नर ( kolkata police commissioner ) थे. शिकायतों के कारण उनको हटा दिया गया था. नियमों और मानक संचालन प्रक्रिया ( standard operative procedure ) का हवाला देते हुए यह कहा गया है कि यदि किसी अधिकारी को आयोग द्वारा एमसीसी चुनाव ड्यूटी से हटा दिया जाता है, तो उसे शेष सेवा कार्यकाल के दौरान चुनावी ड्यूटी पर तैनात करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. क्योंकि लोकसभा चुनाव की घोषणा किए जाने के साथ ही चुनावी आचार संहिता भी लागू हो गई है इसलिए लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक राजीव कुमार ऐसे किसी पद पर नहीं रखे जा सकते जहां चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता या आशंका हो सकती है .
इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने आईपीएस राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में सोमवार को तीन अधिकारियों के नाम का पैनल राज्यपाल के पास भेजा. यह नाम थे विवेक सहाय, संजय मुखर्जी और राजेश कुमार. क्योंकि चुनाव आयोग के आदेश में नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए शाम 5 बजे तक की समय सीमा दी गई थी, राज्यपाल ने लिस्ट में सबसे ऊपर रहे नाम विवेक सहाय को नया डीजीपी नियुक्त कर दिया . विवेक सहाय 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं .
संजय मुखर्जी ने 2011 में बैरकपुर पुलिस कमिश्नरेट में आयुक्त ( police commissioner ) के रूप में कार्यभार संभालने से पहले कोलकाता पुलिस में पुलिस उपायुक्त, मुख्यालय के उपायुक्त, सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में कार्य किया था.