दिल्ली पुलिस के नये कमिश्नर राकेश अस्थाना कॉन्फ्रेंस में बोले- ‘टीम वर्क’ चाहिए

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दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आने पर नवनियुक्त पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना का स्वागत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव ने किया जिन्हें पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त काम का काम सौंपा गया था.

भारतीय पुलिस सेवा के गुजरात कैडर से दिल्ली पुलिस में लाये गए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना ने राजधानी की पुलिस की कमान सम्भालते ही अधिकारियों से दिल्ली पुलिस को दुनिया की बेहतरीन मेट्रोपोलिटन पुलिस बनाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ‘टीम’ की तरह काम करने का संदेश दिया. मंगलवार की शाम आदेश जारी होने के बाद बुधवार को पुलिस कमिश्नर का कार्यभार सम्भालने के बाद राकेश अस्थाना ने जय सिंह रोड स्थित पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ‘विमर्श कान्फ्रेंस हॉल’ में बैठक की. इस बैठक में मुख्यालय के बाहर के दफ्तरों में मौजूद बाकी अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये जोड़ा गया था.

बैठक के दौरान कामकाज की रूपरेखा खींचते हुए श्री अस्थाना ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि अपराधों की रोकथाम और केस सुलझाने के साथ कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल रखना और विशेष कार्यों पर ध्यान देने को प्राथमिकता बनाकर काम करना होगा. उन्होंने दिल्ली पुलिस की सेवाएँ देने वाले एक प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण हालात में काम करने वाले पुलिस बल के तौर पर सराहना की.

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दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कार्यभार लेते आईपीएस राकेश अस्थाना

एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने क़ानून व्यवस्था सम्भालने के साथ साथ साइबर अपराधों, आतंकवाद, नारकोटिक्स और असलहे की तस्करी जैसे अपराध करने वालों की धरपकड करने के दिल्ली पुलिस के ट्रेक रिकॉर्ड की तारीफ की और इस सिलसिले को जारी रखने को कहा. उन्होंने कहा कि अपराधों की रोकथाम के असरदार उपाय और अपराधियों पर नकेल कसने से न सिर्फ अपराधों का बोझ कम होगा बल्कि इससे लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ती है और खासतौर से महिलाओं और ऐसे वर्ग में जिनके अपराध की चपेट में आने की आशंका ज्यादा रहती है. श्री अस्थाना ने समुदाय पुलिस व्यवस्था के तहत शुरू की गई विभिन्न योजनाओं जैसे ‘युवा’ और ‘वरिष्ठ नागरिक’ आदि पर भी ज़ोर दिया.

गुजरात के वडोदरा और सूरत शहरों में कमिश्नर रह चुके राकेश अस्थाना के लिए दिल्ली में कानून व्यवस्था की कमान सम्भालना किसी चुनौती से कम नहीं है. यूँ दिल्ली उनके लिए नई नहीं है. उन्होंने आगरा के सेंट जॉन कॉलेज से स्नातक और स्नातकोत्तर जरूर किया है लेकिन दिल्ली में रहकर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई भी की है. सीबीआई, विमान पत्तन सुरक्षा महानिदेशालय और नारकोटिक्स ब्यूरो के प्रमुख के तौर पर दिल्ली में भी रह चुके हैं. लेकिन दिल्ली में क़ानून व्यवस्था सँभालने में उनका इस तरह के काम का पहला अनुभव है और दूसरे कैडर में नई टीम के साथ काम करना व काम कराना उनके लिए चुनौती का एक और पहलू है क्यूंकि कैडर के बाहर के अधिकारी होने के कारण अपनेपन वाले भाव का अभाव उनके लिए स्वाभाविक तौर पर एक परेशानी खड़ी करेगा.

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दिल्ली पुलिस मुख्यालय में विमर्श हाल में नवनियुक्त कमिश्नर के साथ स्पेशल कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव और सुन्दरी नंदा

इससे पहले दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आने पर उनका स्वागत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव ने किया जिन्हें पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त काम सम्भाले महीना भर भी नहीं हुआ था. बालाजी श्रीवास्तव एजीएमयूटी कैडर के 1988 बैच के आईपीएस हैं और उन्हें एसएन श्रीवास्तव के रिटायर होने पर हाल ही में पुलिस कमिश्नर की कुर्सी सौंपी गई थी. दिल्ली पुलिस के हलकों में माना जा रहा था कि जिस तरह कालान्तर में एसएन श्रीवास्तव को पहले अतिरिक्त कार्यभार के तौर गृह मंत्रालय ने राजधानी के पुलिस आयुक्त की कुर्सी पर बिठाया और बाद में नियमित किया था वैसे ही बालाजी श्रीवास्तव को भी बाद में पूरी तरह से आयुक्त की शक्तियाँ और अधिकार दे दिए जायेंगे.

हालाँकि ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली में यूटी कैडर के बाहर से किसी अधिकारी को लाकर पुलिस कमिश्नर बनाया गया हो लेकिन दिल्ली पुलिस के इतिहास ये दो ही बार हुआ है. पहले एसएस जोग को 2000 के दशक के शुरुआत में जब उत्तर प्रदेश कैडर के अजय राज शर्मा को लाया गया. तब भी केंद्र सरकार में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक मोर्चा की सरकार थी. दिल्ली में संसद भवन जैसा खतरनाक हमला भी हमला भी हुआ था जो भारत में अब तक आतंकवादियों का सबसा बड़ा दुस्साहसिक हमला है. इसके बावजूद अजय राज शर्मा दिल्ली पुलिस के सफलतम आयुक्तों में से एक गिने जाते हैं.

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दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे अजयराज शर्मा
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दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे एसएस जोग.

वर्तमान हालात में कुछ अधिकारियों के पूर्वाग्रह भी श्री अस्थाना के लिए तब तक सुचारू रूप से काम करने में बाधा रहेंगे जब तक दोनों तरफ से एक दूसरे को कबूल करने के भाव का असर नहीं होता या जब तक नवनियुक्त आयुक्त नई टीम में रम नहीं जाते. हालांकि 1984 बैच के श्री अस्थाना की वरिष्ठता और देश की सत्ता के शीर्ष तक उनकी ज़ाहिर हो चुकी पकड़ उनके लिए मुश्किल काम को आसान बनाने में मददगार साबित होगी. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ – BSF) के महानिदेशक बनने से पहले श्री अस्थाना नागरिक विमान पत्तन महानिदेशालय में महानिदेशक थे.

उससे पहले वह केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई – CBI ) में विशेष निदेशक थे और जहां निदेशक व अपने वरिष्ठ आलोक वर्मा के साथ उनके झगड़ा जगज़ाहिर हो गया था. उन पर भ्रष्टाचार का इलज़ाम लगा था और दोनों ही अधिकारीयों को सीबीआई से हटा दिया गया था. हालांकि बाद में श्री अस्थाना को इसमें क्लीन चिट मिल गई थी. इन सबके बावजूद रिटायरमेंट से सिर्फ चार दिन पहले अचानक राकेश अस्थाना को देश की राजधानी की पुलिस की कमान सौंपा जाना और कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया जाना उनकी सत्ता में पकड़ जग ज़ाहिर करता है. नई भूमिका में उनकी ये छवि सहायक भी हो सकती है.

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दिल्ली पुलिस के नए कमिश्नर राकेश अस्थाना

उन्होंने भारत के ‘चारा घोटाला’ नाम से चर्चित सैकड़ों करोड़ रुपये वाले घोटाले और धोखाधड़ी व जालसाजी केस का परीक्षण भी किया जिसमें 1997 में पहली बार लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया गया था. राकेश अस्थाना का जन्म तत्कालीन बिहार के शहर रांची (अब झारखंड) में हुआ था.