जुर्म या गलत काम करने वाले को पकड़ना, उसकी गलती सुधारना या सज़ा देना जहां एक स्थापित तरीका है वहीं अच्छा करने वाले को प्रोत्साहित करके गलत दिशा की तरफ जाने वाले को भी रोका जा सकता है. ये जहां अच्छा करने वाले को और अच्छा करने के लिए तो उत्साहित करता ही है, गलती करने वाले को भी अहसास कराने का काम करता है. जुर्म करने या नियम तोड़ने वालों की समस्या के समाधान के इस तरीके को सुधारवादी सोच व मान्यता के साथ आधुनिक दौर में अक्सर अलग अलग तरीके से अपनाया या आजमाया गया है. यही नुस्खा दिल्ली में यातायात पुलिस ने कोरोना वायरस (COVID -19) के दौरान दिल्ली वासियों को जागरूक करने और इस सन्दर्भ में जारी किये गये नियमों का पालन करवाने के लिए अपनाया है.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर नरेंद्र बुंदेला के नेतृत्व में ऐसी ही अभियान शुरू किया गया गया है जो कोरोना वायरस की रोकथाम की कवायद के तहत किये गए लॉक डाउन और सड़कों पर वाहनों की कम संख्या से काम का बोझ कम होने से पुलिस कर्मियों के समय के सदुपयोग का भी अवसर देता है. इसके तहत दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी उन शहरियों के पास जा रहे हैं जो COVID -19 की रोकथाम के लिए जारी दिल्ली सरकार और पुलिस कमिश्नर के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सामाजिक फासला कायम रख रहे हैं. खुद को अपने घर की दीवारों तक सीमित रखने और किसी को घर में न आने देने वाले ये लोग ही कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने में सहायक होंगे. पुलिसकर्मी ऐसे दिल्ली वालों से जाकर उनके घर के दरवाज़े पर ही मिलते हैं. प्रोत्साहित करने के लिए प्रशंसा करते हैं , कुशल क्षेम पूछते है और साथ में प्रशंसा पत्र व गुलाब का फूल भी देते हैं.
श्री बुंदेला का कहना है कि ये राजधानी दिल्ली को सुरक्षित बनाने और इस दिशा में कड़ी निगरानी रखने का तरीका है और ये इस युद्ध में एक दूसरे के साथ खड़े होने का भाव भी है.