दिल्ली पुलिस की दर्जनों मोटर साइकिलों और कारों का काफिला रविवार को जिस तरह जय सिंह रोड और अशोका रोड से गुज़रा, वो नज़ारा देखने लायक था. धीमी गति और दिन में भी रोशन की गई हेड लाइट्स के साथ अनुशासित तरीके से रफ्तार को बराबर रखते चलते ये वाहन किसी पुलिस कार्रवाई का हिस्सा नहीं बल्कि आस्था से लबरेज़ उस परम्परा और संस्था के प्रति कृतज्ञता ज़ाहिर करने निकले थे जिसे सैकड़ों साल पहले सिखों के पहले गुरु यानि गुरु नानक देव ने शुरू किया था. नई दिल्ली ज़िले के डीसीपी के नेतृत्व में निकले इस काफिले में वाहनों में सवार अधिकारी और जवान दरअसल दिल्ली के उस ऐतिहासिक गुरूद्वारे बंगला साहिब के परिसर की परिक्रमा कर रहे थे जहां से वैश्विक महामारी कोविड 19 से युद्ध लड़ने में ख़ास तरह की मदद की जा रही है. इस गुरुद्वारे से रोजाना तकरीबन 75 हज़ार लोगों के लिए भोजन (लंगर/प्रसाद) उपलब्ध कराया जाता है.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (DSGMC) की देखरेख में संचालित गुरुद्वारा बंगला साहिब देश के उन चुनिन्दा विशाल गुरुद्वारों की फेहरिस्त में शामिल है जहां किसी भी दिन और किसी भी वक्त आने वाले श्रद्धालुओं के पेट भरने का इंतजाम होता है. यहाँ हर उस शख्स को प्रसाद के रूप में भरपेट भोजन मिलता है चाहे वो किसी भी पूजा पद्धति या धर्म में आस्था रखता हो. दिल्ली के कनाट प्लेस के बाबा खडक सिंह मार्ग, अशोका रोड, जय सिंह रोड और हनुमान रोड क्षेत्र से घिरा गुरुद्वारा बंगला साहिब सिखों के आठवें गुरु गुरु हरकृष्ण से सम्बन्धित पूजा स्थल है. नोवेल कोरोना वायरस के प्रकोप की शुरुआत के बाद से लाखों जरूरतमंदों के लिए भोजन की व्यवस्था यहाँ पर कर्मचारियों, सेवादारों और श्रद्धालुओं की मदद से की गई है और ये सिलसिला लगातार जारी है. यहाँ से लगातार भोजन के पैकेट बनाकर उन लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं जिनके लिए लॉक डाउन के इस मुश्किल दौर में पेट भरने का समुचित जरिया या इंतज़ाम नहीं है.
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि रविवार को गुरुद्वारे कीपरि क्रमा करना इस पवित्र स्थल और यहाँ से किये जाने समाज कल्याण के कार्य के प्रति सम्मान ज़ाहिर करने का तरीका है. गुरुद्वारा बंगला साहिब की परिक्रमा के दौरान कुछ पल के लिए गुरूद्वारे की दहलीज़ पर आस्था प्रकट करने के लिए रुके वरिष्ठ अधिकारियों का दिल्ली सिख मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्वागत किया और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पालन किया. अधिकारियों ने उम्मीद ज़ाहिर की कि गुरूद्वारे की तरफ से मुसीबत की इस घड़ी में ज़रूरतमंदों को उपलब्ध कराई जा रही मदद जारी रहेगी. उन्होंने आशा व्यक्त की कि गुरुदवारा बंगला साहिब का प्रबन्धन गरीबों और ज़रुरतमंदों की मदद करने के लिए दिखाए प्रथम गुरु गुरु नानक देव के मार्ग पर चलते हुये सेवा करता रहेगा. गुरुद्वारा बंगला साहिब की परिक्रमा में नई दिल्ली जिले के गश्ती वाहन, मोटर साइकिलें, कोविड मोटर साइकिल शामिल थीं.
श्री बंगला साहिब का इतिहास :
सत्रहवीं सदी में शासक राजा जय सिंह ने अपना विशाल बंगला सिखों के आठवें गुरु, गुरु श्री हर कृष्ण को समर्पित किया था. उस जमाने में यहाँ जलस्त्रोत के रूप में कुआं था जो अब एक विशाल और शानदार सरोवर के तौर पर विकसित किया जा चुका है. माना जाता है कि उस समय में चेचक और हैज़े ने महामारी का रूप ले लिया था. यहीं पर गुरु हर कृष्ण कई मरीजों की सेवा करते थे और कुएं का ताज़ा जल उन्हें दिया करते थे. तब से इस स्थान की इसी नजरिये से मान्यता हो गई कि यहाँ आने स्नान करने और जल ग्रहण करने पर रोगी स्वस्थ हो जाते हैं. राजा जय सिंह ने प्रभावित होकर अपना बंगला गुरु हर कृष्ण को समर्पित कर दिया था. रोगियों की सेवा करते करते खुद गुरु हर कृष्ण भी संक्रमण की चपेट में आ गये थे. माना जाता है कि इसी कारण 30 मार्च 1664 को उनका देहांत हो गया था.
गुरुद्वारे में सुविधाएँ :
कालांतर में गुरुद्वारा बंगला साहिब का विकास होता गया. सफेद पत्थरों से निर्मित और स्वर्ण शिखर गुम्बद की वजह से दूर से ही दिखाई पड़ने वाले इस पूजा स्थल के भीतर भी अब सोने के पतरे से खूबसूरत कला का प्रदर्शन किया गया है. गुरुद्वारा बंगला साहिब परिसर में धार्मिक आस्था, परम्परा और आधुनिकता का गजब मेलजोल है. आधुनिक और ओपन रसोई घर में बेहद साफ़ सुथरे तरीके से सेवादार और श्रद्धालु मिलकर लंगर तैयार करते हैं जो 24 घंटे चलता है. ज़मीन पर ही बैठकर परम्परागत तरीके से पंगत में भोजन परोसा जाता है लेकिन सैकड़ों लोगों को एक साथ भोजन कराने के लिए बना ये वातानुकूलित लंगर हाल है. बुज़ुर्ग या किसी कारण से जमीन पर बैठ पाने में असमर्थ लोगों के लिए बैठने की अलग से सुविधा है. हर बार पंगत के उठने पर आधुनिक मशीनों से यहाँ सफाई होती है.
गुरुद्वारा बंगला साहब परिसर में शानदार सराय (धर्मशाला) हैं जहां दूरदराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है. सरोवर की सफाई का पूरा ख्याल रखने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाता है. प्राथमिक उपचार के लिए डिस्पेंसरी भी है.