दिल्ली पुलिस की हवलदार सीमा ढाका को पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बारी से पहले तरक्की मिलने पर अपने हाथों से वर्दी पर नई फीत लगाई. 14 साल पहले दिल्ली पुलिस में सिपाही (कांस्टेबल) के तौर पर भर्ती हुई सीमा ढाका अब सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई -ASI) बन गई हैं. गुमशुदा बच्चों को तलाशने और उन्हें अपने तड़पते परिवारों से मिलवाने के जुनून ने उन्हें सकून तो पहुँचाया ही साथ ही करियर में मदद भी की. लापता बच्चों को खोज निकालने की कोशिशों के तहत शुरू की गई दिल्ली पुलिस की इन्सेन्टिव स्कीम (incentive scheme) के तहत लाभ पाने वाली सीमा ढाका पहली ऐसी महिला हवलदार हैं और कइयों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई.
सीमा ढाका बाहरी दिल्ली के समयपुर बादली थाने में तैनात हैं. उन्होंने गुम हुए 76 बच्चों को खोज निकाला था और उनमें 56 ऐसे हैं जिनकी उम्र 14 साल से कम है. गुम हुए इन बच्चों का ताल्लुक सिर्फ दिल्ली ही नहीं पंजाब और दूरदराज़ के पश्चिम बंगाल राज्यों से भी हैं. सीमा ने सिर्फ तीन महीने में 14 साल से कम उम्र के उन 56 बच्चों को तलाश कर लिया जो अपने घर वालों से बिछड़ गये थे.
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने अगस्त में इस योजना का एलान किया था. इसके मुताबिक़ जो कोई भी सिपाही (constable कांस्टेबल) या हवलदार (head constable हेड कांस्टेबल) घरों से गायब हुए 14 या इससे कम उम्र के 50 या इससे ज्यादा बच्चों को 12 महीने (एक साल) में खोजेगा उसे बारी से पहले तरक्की का लाभ दिया जाएगा. इस अरसे के दौरान जो पुलिसकर्मी 15 बच्चों को खोज लेगा उसे असाधारण कार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
सीमा 3 जुलाई 2006 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुई थीं. साल 2012 तक सीमा ढाका दक्षिण पूर्व जिले में तैनात रहीं. इसके बाद सीमा को रोहिणी और फिर बाहरी उत्तरी जिले में स्थानांतरित किया गया था.
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक़ 2019 में गुम हुए 5412 बच्चों में से 3336 को दिल्ली पुलिस ने तलाश किया. इस साल अक्टूबर तक दिल्ली से गायब हुए 3507 में से 2629 बच्चों को दिल्ली पुलिस ने खोज निकाला.