आखिर वही हुआ जिसका शक ज़ाहिर किया जा रहा था. दिल्ली पुलिस के सिपाही अमित कुमार राणा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने आधिकारिक तौर पर माना कि अमित की जान भी वैश्विक महामारी का रूप लेने वाले नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण ने ली है. दिल्ली के पंजाबी बाग़ शवदाह गृह में आज पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और परिवार वालों की मौजूदगी में अमित का अंतिम संस्कार किया गया. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने कांस्टेबल अमित राणा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हुये संदेश दिया है. मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सरकार की तरफ से अमित के आश्रितों को एक करोड़ रूपये की धनराशि देने का ऐलान किया है.
दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल 31 वर्षीय अमित की मृत्यु, कोविड 19 संक्रमण की रोकथाम के लिये लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराने में जुटी दिल्ली पुलिस के लिए न सिर्फ इसलिए बड़ा झटका है कि राजधानी की पुलिस में कोविड संक्रमण से मौत का पहला मामला है बल्कि जिन हालात में ये जान गई वो बेहद अफसोसनाक हैं.
इन हालात को लेकर उस व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं जो कोरोना वारियर्स की अहमियत को नज़रन्दाज़ करने वाली प्रतीत हो रही है. सवाल उठाये जा रहे हैं कि क्या कांस्टेबल की मृत्यु लापरवाही का नतीजा थी? आखिर क्या वजह रही कि 31 साल के हट्टे कट्टे दिल्ली पुलिस के एक जवान ने डॉक्टरों के पास पहुँचने के महज़ 24 घंटे में ही प्राण त्याग दिए.
सिपाही अमित की मृत्यु बेहद डरावनी भी है क्यूंकि ये कोविड 19 के संक्रमण के बेहद खतरनाक होने का भी इशारा कर रही है. मरीज़ को 24 घंटे का भी मौका नहीं देता. दिल्ली पुलिस के किसी कार्मिक की मौत का तो ये पहला मामला है ही लेकिन ये इस तरह का भी पहला केस है जिसमें मरीज़ को 24 घंटे का भी मौका नहीं मिला. दिल्ली पुलिस के 80 कार्मिक अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार हो चुके हैं.
मूलत: हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले दिल्ली पुलिस के सिपाही अमित राणा की तैनाती उत्तर पश्चिम दिल्ली के भारत नगर थाने में थी. सोमवार को को उनकी तबियत खराब हुई थी और सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों से इलाज शुरू करवाने के बावजूद अगले ही दिन मौत हो गई.
कहां हुई चूक ?
दिल्ली पुलिस के सिपाही अमित राणा के साथियों और परिवार वालों ने जो पूरा घटनाक्रम बयान किया है वो काफी हद तक इशारा करता है कि वक्त पर की गई कार्रवाई से एक बेशकीमती जान को जाने से रोका जा सकता था. असल में सोमवार को अमित ने रूटीन के मुताबिक़ अपनी पूरी ड्यूटी की थी लेकिन शाम को तबियत थोड़ी खराब हुई. अमित को बेचैनी और कोल्ड की शिकायत हुई तो मुखर्जी नगर में अपनी रिहायश पर जाने की बजाय वो अपने एक साथी के पास नज़दीक के नेहरू विहार में उनके घर चला गया. देर रात अमित को सांस लेने में तकलीफ हुई तो साथियों ने उसे पीने को गर्म पानी दिया. उससे अमित को आराम आया और नींद भी आ गई. मंगलवार सुबह उठते ही अमित राणा को फिर से सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी.
अस्पताल का घटनाक्रम :
द इंडियन एक्प्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अमित के साथियों के हवाले से बताया गया है कि सुबह आठ बजे वो अमित को वहां से लेकर हैदरपुर स्थित उस सेंटर में गये जो पुलिसकर्मियों के लिए बनाया गया है.यहाँ पर उन्हें बताया गया कि सिर्फ टेस्ट करने की सुविधा है, उपचार की नहीं. तब अमित को बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया लेकिन अमित के साथियों का कहना है कि उसकी हालत इतनी खराब थी कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था और लाइन में लगना पड़ रहा था जोकि लम्बी बहुत थी . इसके बाद जब भारत नगर थाने के एसएचओ ने डॉक्टर से बात तो डॉक्टर ने कहा कि यहाँ जांच तो हो जायेगी लेकिन कोविड 19 पोज़िटिव की रिपोर्ट आने पर यहाँ इलाज के लिए भर्ती करने की सुविधा नहीं है. द इंडियन एस्प्रेस डॉट कॉम की रिपोर्ट इसके बाद अमित को उसके साथी भारत नगर में दीपचंद बन्धु अस्पताल ले गये जहां एसएचओ ने ड्यूटी ऑफिसर को भी भेज दिया था. वहां डॉक्टर ने कहा कि अमित को कोविड जांच के लिए अशोक विहार ले जाना होगा क्यूंकि उस दिन का उनका काम निपट चूका था.अमित के साथियों के मुताबिक़ वे वहां 1 .30 – 2 .00 बजे पहुंचे थे. अनुरोध करने पर डॉक्टरों ने टेस्ट तो कर लिया और अमित को घर ले जाकर ख्याल रखने की सलाह दी.
इस रिपोर्ट में दीपचंद बंधू अस्पताल के अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि अमित की स्थिति संतोषजनक थी और उन्हें डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया जबकि उत्तर पश्चिम ज़िले की पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्य का कहना था कि डॉक्टरों ने ऐसी कोई सलाह नहीं दी थी.
इसके बाद दोनों साथी सिपाही अमित को लेकर वापस नेहरू विहार आ गये. इसके बाद कुछ दवाई ली और अमित की तबीयत सही रही. अमित ने तब फोन पर अपनी पत्नी पूजा से बात भी की जो सोनीपत में थी. शाम को 7 बजे के आसपास अमित की तबीयत फिर से खराब होनी शुरू हुई. अमित को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और बिलकुल चल नहीं पा रहा था. तब अमित को दोनों साथियों ने पांचवीं मंजिल से उठाकर नीचे तक सीढ़ियों से लाये. अमित को उन्होंने कार में डाला और तब वो होश में था. बल्कि जब साथियों ने उसे हौंसले से काम लेने की बात कही तो अमित ने ‘ठीक है ‘ कहकर जवाब भी दिया था. इसके साथ ही उन्होंने एसएचओ को सूचित किया और एस एच ओ ने फ़ौरन लोहिया अस्पताल में डॉक्टर को खबर भी कर दी लेकिन साथियों का कहना था कि लोहिया अस्पताल से दो किलोमीटर पहले ही अमित ने होश खो दिए थे. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टरों ने अमित को मृत घोषित कर दिया. कहा कि कोविड 19 जांच के ताज़ा नमूने भी लिए गये. मृत्यु का सटीक कारण रिपोर्ट आने पर ही पता चल पायेगा.
अमित के एक करीबी रिश्तेदार रवि के हवाले से बताया गया कि सोनीपत में दस दिन की छुट्टी बिताने के बाद अमित शनिवार को दिल्ली लौटा था. वो बिलकुल फिट था और किसी तरह की बीमारी भी नहीं थी.
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऐसे मामलों में वे खुद निगरानी रखते हैं और पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव के इस पर स्पष्ट निर्देश हैं. अधिकारी का कहना था कि पहले दिन ही अगर अमित की तबीयत के बारे में एसएचओ या सम्बद्ध अधिकारी को बताया जाता तो सम्भवत इलाज को लेकर जल्द कार्रवाई शुरू हो जाती. थाना प्रभारी के पास तो इसकी जानकारी मंगलवार को दोपहर में मिली और थाना प्रभारी ने मदद के लिए तभी ड्यूटी ऑफिसर को अस्पताल भी भेज दिया था.
पुलिस कमिश्नर ने कहा:
इससे पहले दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने ट्वीट करके दिए संदेश में कहा था कि सिपाही अमित कुमार की अचानक मृत्यु से पुलिस समुदाय में शोक है और संकट की इस घड़ी में हम उनके परिवार के साथ खड़े है. एक अन्य सन्देश में उन्होंने कहा था कि उत्तर पश्चिम ज़िले की उपायुक्त विजयन्ता आर्य ने अमित के ससुर साहब सिंह से बात्त की और परिवार के सदस्यों से सम्पर्क किया. पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली सरकार से अमित के परिवार को एक करोड़ रूपये की राशि दिए जाने का भी प्रस्ताव भेजा था.
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल :
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सिपाही अमित की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए आज ट्वीट किया है, ” अमित जी अपनी जान की परवाह ना करते हुए करोना की इस महामारी के समय हम दिल्ली वालों की सेवा करते रहे. वे खुद करोना से संक्रमित हो गए और हमें छोड़ कर चले गए. उनकी शहादत को मैं सभी दिल्लीवासियो की ओर से नमन करता हूँ. उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी जाएगी”.